इंदौर। नगर निगम चुनाव के पहले पंचायत चुनाव का ऐलान हो गया, उम्मीदवार मैदान संभाले हुए हैं इधर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने न केवल नगर निगम चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है बल्कि शहर से जुड़ी प्रदेश की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत बांक में भी प्रत्याशी खड़ा कर दिया है। यहां कांग्रेस से जुड़े सौरभ पटेल 25 बरस से पंचायत पर काबीज है। पूरे मध्यप्रदेश मैं केवल बांक पंचायत में ही ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने प्रत्याशी दिया है, ऐसे में यहां पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है। इंदौर नगर निगम सीमा के वार्ड 1 को पार करते ही प्रदेश की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत बांक शुरू हो जाती है। राऊ विधानसभा के अंतर्गत आने वाली इस पंचायत पर पिछले 25 साल से सोहराब पटेल का ही नेतृत्व है। राऊ विधानसभा में सबसे बड़ी जीत कांग्रेस को इसी क्षेत्र से मिलती है।
19450 वोटर वाली इस पंचायत में अधिकांश मतदाता मुस्लिम समाज के हैं वही 3300 बोहरा समाज के तथा 1400 गैर मुस्लिम समुदाय के हैं।पटेल नायता समाज से हैं जनपद में भी इनका अच्छा खासा दखल रहता है। मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने के लिए ओवैसी की पार्टी से खलील मुल्तानी सरपंच के लिए चुनाव मैदान में खड़े हैं,उनकी पत्नी अस्मा बी भी जनपद चुनाव लड़ रही है। जनपद के लिए पटेल ने आबिद हुसैन को समर्थन दिया है भाजपा ने भी राशिद शेख को उम्मीदवार बनाया है। बांक पंचायत इंदौर जनपद का भी एक वार्ड है यह आदर्श पंचायत कहलाती है यह एकमात्र पंचायत है जहां सरपंच चुना जाता है तो जनपद सदस्य के लिए भी जनता वोट डालती है। पटेल को क्षेत्र की जनता हमेशा जीताती आई है।
सोहराब खुद चार बार सरपंच रह चुके हैं एक बार उनकी पत्नी भी सरपंच रह चुकी है। भाजपा की ओर से शादाब पटेल, गोपाल चौधरी जैसे नाम चुनाव मैदान में दिख रहे हैं। हालांकि यहां कई बार निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में रहते हैं लेकिन ओवैसी के उम्मीदवार के मैदान में आने से मुकाबला रोचक हो गया है वही इस मामले में पटेल का कहना है कि जनता के लिए काम किया है तो जनता व्यक्ति को देखती है काम को देखती है। यह एक आदर्श पंचायत है और इसे इस मुकाम पर बनाए रखना है।भाजपा से पिछली बार जनपद का चुनाव लड़े शादाब पटेल हार गए थे इस बार भाजपा से किनारा कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है इस बार जनपद की बजाए सरपंच के लिए मुकाबले में आये है बांक पंचायत मुस्लिम बाहुल्य है यहां से भाजपा समर्पित को वोट हासिल करने में खासी मसक्कत करना पड़ रही है इसलिए कई मुस्लिम नेता निर्दलीय लड़ रहे है सोहराब को रोकने के लिए पहले भी कई बार निर्दलीय खड़े हो चुके है इस बार क्या कर पाते है नतीजे बताएंगे ।