आबादी पर लगाम : अब बढ़ेगी नहीं घटना शुरू होगी

- मुस्लिम आबादी में भी प्रजनन दर 2 प्रतिशत - 2040 तक आबादी कम होना शुरू होगी

नई दिल्ली (ब्यूरो)। देश में अब आने वाले समय में आबादी बढ़ने की बजाए कम होना शुरू हो रही है। 2035 से लेकर अगले 20 सालों में आबादी घट कर 1 अरब 10 करोड़ रह जाएगी। दूसरी और देश के उन तमाम नेताओं के लिए यह राहत भरी खबर है जो मुस्लिम आबादी को लेकर चिंता व्याप्त थे। अब मुस्लिम आबादी भी बढ़ने की बजाए तेजी से घट रही है। मुस्लिम महिलाओं में भी प्रजननदर 5.91 से घट कर 2 रह गई है। इसका मुख्य कारण मुस्लिम समाज में लड़कियों का शिक्षा के प्रति लगातार रूझान बढ़ना भी है, 15 प्रतिशत मुस्लिमों के यह 1 और 2 बच्चे ही जन्म लेकर बेहतर शिक्षा की और बढ़ रहे है। 20 साल पहले भी यह प्रजननदर 4.4 थी। 61 साल में देश की आबादी 90 करोड़ बढ़ गई है तो वहीं अब यह कम होना इस देश के भविष्य के लिए बेहतर होगा।
भारत सरकार की एंजैसी नेशनल फैमेली हेल्थ सर्वे के अनुसार अब भारत में लगातार प्रजननदर में गिरावट दर्ज की जा रही है। 20 साल पहले देश में महिलाओं की प्रजननदर 4.4 थी, जो अब घट कर 2.1 हुई और इसके बाद यह प्रजननदर 2 रह गई है। इसी के साथ सरकार के आकड़े ही बता रहे है कि अब आबादी का बढ़ना समाप्त होकर कम होने की प्रकिया शुरू हो जाएगी। इसके बाद आबादी स्थिर होना शुरू होगी। और प्रजनन दर भी 1.89 के लगभग ही रहेगी। 1960 में आबादी 35 करोड़ थी और प्रजनन दर 5.91 थी जो अब घट कर आबादी 135 करोड़ के साथ 2 हो गई है। यानी अब भविष्य में जन संख्या विस्फोट नहीं होने के साथ भारत की आबादी चीन से पीछे ही रहेगी। वहीं दूसरी और आने वाले समय में जन्म दर और मृत्यु दर भी बराबर होने से 2100 में आबादी घट कर 1 अरब 10 करोड़ के लगभग ही रह जाएगी। ताजा आकड़ों के अनुसार निम्न वर्ग में अभी भी 3.2 प्रजनन दर है, मध्य वर्ग में 2.5 है और उच्च परिवारों में 1.5 है। सरकार के आकड़ों के अनुसार अगले 50 सालों में भी मुस्लिमों की आबादी में कोई परिवर्तन होने की संभावना नहीं है। दूसरी ओर गरीबी को लेकर भी 12 राज्यों में किए गए सर्वे के अनुसार 50 प्रतिशत आबादी अब गरीबी रेखा के नीचे पहुंच चुकी है। आसाम में 80 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के कार्ड पर अपना जीवनयापन कर रही है। सबसे ज्यादा गरीबी आसाम के बाद बिहार में 68.09, झारखंड में 68 और उड़ीसा में 60.03 है।

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