सुलेमानी चाय-डायमंड गार्डन से खुद को चमका रहे जिम्मेदार…खरगोन मसले को लेकर चाँद काजी साहब के मुंह में जमा दही…चापलूसी की चाशनी…

दुमछल्ला-झूले वालो की दवाई से तहसीलदार में आई फुर्ती...

डायमंड गार्डन से खुद को चमका रहे जिम्मेदार…


शहर की ज्यादातर वक्फ संपत्तियां गरीब की जोरू की तरह होती जा रही है, जिसको जैसा समझ में आ रहा है इस्तेमाल कर रहा है, वक्फ संपत्तियों से होने वाली कमाई मुस्ताहिक (जरूरतमंद) की मदद गरीब बीमारों का इलाज और गरीब बच्चों की पढ़ाई पर खर्च होना चाहिए, लेकिन उन संपत्तियों की निगरानी करने वाले निगरा खुद ही मुस्ताहिक बनकर उन संपत्तियों से खुद की झोलियां भर रहे हैं। ताजा मामला सदर बाजार के डायमंड गार्डन का है, जिस पर अस्पताल बनना था, जिसके लिये शहर भर से चंदा भी हुआ, लेकिन शहर भर के लिए बनने वाले इस अस्पताल की शक्ल एक छोटे से क्लीनिक ने ले ली, जो कि शहर तो दूर मोहल्ले तक की जरूरत पूरी नहीं कर पाता, बाकी बची जमीन पर डायमंड गार्डन बन गया, निगराँ बड़ी शख्सियत है, हम नाम नही लेना चाहते, हजरत ने जमीन अपने पट्टे के हवाले कर दी, जिसका 1 दिन का किराया 85000 रु. लिया जा रहा है जो कि सीजन में ही देखा जाए तो रकम करोड़ो में पहुंच रही है। वक्फ बोर्ड में सिर्फ 7 प्रतिशत जमा हो रहा है, बाकी 93, प्रतिशत से जरूरतमंदों की मदद तो नहीं हो रही, जिम्मेदार खुद जरूरतमंद बनकर उस रकम से अपनी जरूरत पूरी कर रहे है, जिसका कोई हिसाब किताब नहीं है, जिसे लेकर ईद के बाद कई शिकायतें होने वाली है।
खरगोन मसले को लेकर चाँद काजी साहब के मुंह में जमा दही…


हमारे काजी साहब 29 वे रोजे ओर चाँद की तैयारी में बहुत मशगुल (व्यस्त) हैं, शायद इसीलिए हाल ही में खरगोन में हुए उपद्रव में एक निष्पक्ष जांच का आवेदन तक नहीं दे पा रहे हैं। खरगोन में प्रशासन द्वारा बिना जांच एक पक्ष पर भारी कार्यवाही कर डाली, जिस पर इंदौर से अब तक सिर्फ कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शेख अलीम इदरिश की मौत को लेकर जांच का आवेदन दे चुके हैं, इनके अलावा अगर देखा जाए तो इंदौर से कोई बड़ा दूसरा नाम खरगोन की के लिए फिक्रमन्द नहीं दिख रहा, जांच हो ना हो कम से कम जांच की मांग करना तो हमारी जिम्मेदारी है।
चापलूसी की चाशनी…
हिंदुस्तान में वलियों और मजारो का जितना एहतेराम होता है शायद दुनिया में कहीं नहीं होता, लेकिन अपने शहर में पिछले दिनों अजमेर दरगाह कमेटी के सदर अमीन पठान की चापलूसी में मंजूर भाई एंड कंपनी में सारे नियम कायदे ताक पर रखते हुए रात 12 बजे बाद एक बार बंद हो चुके दरगाह तुकोगंज के पट खुलवा कर अमीन साहब को आस्ताने की जियारत करवा दी जिस पर कई सूफी हजरत नाराज है। उनका कहना है कि यह मजार की बेअदबी है। हिंदू मंदिरों में भी रात को एक बार पट बंद होने के बाद सुबह ही खोले जाते हैं, लेकिन इंदौर में अमीन साहब के नूरे नजर बनने के चक्कर में मंजूर भाई की टीम बहुत बड़ी गलती कर बैठे है। इसका खामियाजा कब और कहां उठाना पड़ेगा यह तो वक्त ही बताएगा।
दुमछल्ला
झूले वालो की दवाई से तहसीलदार में आई फुर्ती…
खजराना नहर शाह वाली दरगाह में 71 साल से चली आ रही उर्स की परंपरा को इस बार तहसीलदार साहब की सुस्ती का शिकार होना पड़ा, जबकि पिछले लॉकडाउन के दौर में भी प्रतीकात्मक उर्स मनाया गया था, अबकी बार भी लोगों ने तहसीलदार साहब को मनाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन साहब ने भोपाल ना जा पाने का हवाला देकर हाथ ऊंचे कर दिए, पर इस बार ईद पर मेले, झूले लगाने की परमिशन के लिए जनाब झटपट भोपाल पहुंच गए और तैयारियां शरू हो गई। अब स्थानीय लोग पूछ रहे है कि दुकानदार और झूले वालो ने साहब को ऐसी कौनसी दवाई दे दी की सारी सुस्ती, फुर्ती में बदल गई।
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