परेशान इमरान,हंसता पाकिस्तान,पाकिस्तान की नेशनल असेंबली भंग,( इमरान खान अपदस्थ)

1947 में स्वतंत्रता के बाद से ही पाकिस्तान की सरकार और उनके चुने हुए हुक्मरान लड़खड़ाते हुए शासन तंत्र चलाते रहे थे। यही हाल इमरान खान का हो चुका है। इमरान खान की पार्टी तहरिके इस्लाम के लगभग 24 सांसद बगावत में उतर गए और इमरान को नेशनल असेंबली बंद करने की सिफारिश राष्ट्रपति को करनी पड़ी। राष्ट्रपति ने नेशनल असेंबली भंग कर दी है। विपक्षी नेता बिलावल भुट्टो, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के शहबाज शरीफ, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी और पार्टी के उपाध्यक्ष मरियम नवाज, विपक्ष की सशक्त आवाज मौलाना फजलुर रहमान ने इमरान के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मैं दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक या 2 दिन में सुनवाई कर फैसला करने का आदेश दिया है।
विपक्षियों ने एकजुट होकर शहबाज शरीफ को अपना अगला प्रधानमंत्री घोषित कर दिया है। इमरान खान से सेना के सदर कमर जावेद बाजवा ने भी उनको दो टूक शब्दों में कह दिया है कि हम इस मामले में दखल नहीं देंगे। पाकिस्तान में इमरान की गद्दी अब जा चुकी है। इमरान ने विदेशी साजिश का बहाना बनाकर नेशनल असेंबली भंग करवा दी है। क्रिकेट में वर्ल्ड कप जिताने वाले पाकिस्तान के हीरो, पढ़े-लिखे इमरान खान ने अपनी सारी छवि को खराब करते हुए अब जादू टोने का सहारा लेना शुरू कर दिया था। पाकिस्तान की जनता इमरान की इस व्यवहार से आश्चर्यचकित थी। पाकिस्तान की आवाम उनकी बीबी बुशरा बेगम को जादू टोने की इन हरकतों से अच्छी तरह वाकिफ है,और इमरान खान पाकिस्तान की जनता के बर्दाश्त के बाहर हो चुके थे और पूरी तरह से अपनी पत्नी 5 बच्चों की मां बुशरा बेगम की गिरफ्त में है,वे इस मुगालते में थे कि बुशरा बेगम जादू टोने से उनकी गद्दी बचाने में सफल होंगी पर सारी चीजें धरी की धरी रह गई। संसद में विपक्षी पार्टी की मांग पर अविश्वास प्रस्ताव रखा गया था। इमरान के पास नेशनल असेंबली के कुल 341 सांसदों में से कुल 155 सांसद है,और बहुमत के लिए 172 सांसदों की जरूरत थी। इसके अलावा दूसरी तरफ 155 सांसदों में 24 से 30 सांसदों ने बगावती तेवर दिखाकर सिंध हाउस इस्लामाबाद में अपना अड्डा जमाया है। अविश्वास प्रस्ताव में यदि इन 24 सांसदों ने इमरान के पक्ष में वोट नहीं दिया तो इमरान सरकार का गिरना निश्चित ही था। पाकिस्तान के इतिहास में नजर डालें तो पाकिस्तान का इतिहास रहा है कि अब तक निर्वाचित 18 प्रधानमंत्रियों में कोई भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है, या तो प्रधानमंत्रियों की सरकार गिरा दी गई है या सेना के जनरल ने पाकिस्तान में मार्शल ला लगाकर सैनिक सरकार बना ली थीद्य जुल्फिकार अली भुट्टो को तो जनरल याह्या खान ने अपदस्थ कर अनेक आरोप लगाकर फांसी की सजा दे दी गई थीद्य नवाज शरीफ की दो बार प्रधानमंत्री बने पर दोनों बार अपदस्थ कर दिए गए थे द्य नवाज शरीफ अब इंग्लैंड में निर्वासित जीवन जी रहे हैंद्य अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान नियाजी की स्थिति वैसी ही हो गई है, उनके 3 साथी पाकिस्तान छोड़कर विदेश भाग गए हैं। उनके 3 साल के कार्यकाल में पाकिस्तान में महंगाई का पिछले 70 सालों का रिकॉर्ड टूट गया है, महंगाई 35त्न ऊंचाई पर पहुंच गई मुद्रास्फीति भी आसमान छू रही है, बेरोजगारी चरम सीमा पर है। वैश्विक समुदाय का भरोसा पाकिस्तान की सरकार से टूट गया हैद्य ऐसे में वहां का विपक्षी दल एवं नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज और अन्य दल इमरान सरकार पर निशाना साधे हुए हैंद्य इमरान खान और सेना के जनरल
बाजवा के बीच भी भारी मनमुटाव की स्थिति आ गई सेना भी चाहती है कि अब विपक्षी दलों के साथ मिलकर नवाज शरीफ जैसा ट्रबल शूटर प्रधानमंत्री पाकिस्तान में स्थापित किया जाए जिससे पाकिस्तान की तमाम समस्याओं का इलाज खोज लिया जाए द्य नवाज शरीफ के रूस, चीन, सऊदी अरेबिया और अमेरिका से संबंध इमरान सरकार की तुलना में अच्छे ही रहे हैंद्य इमरान सरकार ने वैसे भी
विश्व समुदाय को धोखे में रख हमेशा कट्टरपंथियों एवं आतंकवादियों को पनाह दी हैद्य अफगानिस्तान ने अमेरिका से अरबों डालर की सहायता लेकर भी तालिबानी आतंकवादियों को लगातार अस्त्र शस्त्र और राजनैतिक मदद अमेरिका को धोखे में रखकर देता आया हैद्य पंजशीर घाटी में भी उसने तालिबानियों को सैनिक तथा हवाई हमले की मदद देकर अब अफगानी लड़कों से लोहा लेकर से खाली करवाया है। वर्तमान में इस्लामिक न्यूज़ एजेंसी ने इस्लामाबाद में बताया कि पाकिस्तान के पंजाब के अधिकारियों से लगभग 2 सप्ताह पहले इस्लामिक प्रतिबंधित आतंकवादी ग्रुप के संघर्षरत 800 सदस्यों को समझौते के तहत रिहा कर दिया है। मंत्री ने आगे बताया कि अभी यह तय नहीं किया गया है कि तहरीक ए लब्बेक पाकिस्तान के कार्यकर्ता जिन्हें लोक व्यवस्था रखरखाव 1960 कानून की धारा 16द्म के तहत गिरफ्तार किया गया था उन्हें भी रिहा किया जाएगा या नहीं। तहरीक ए लब्बेक और पाकिस्तानी सरकार हुए समझौते के तहत इस्लामिक कट्टरपंथी ग्रुप सदस्यों द्वारा अपने प्रमुख हाफिज सईद हुसैन रिजवी की रिहाई के लिए पाकिस्तान सरकार पर लगातार दबाव डालने के लिए सड़क पर आ गए थे। जिन्हें पाकिस्तान सरकार के नुमाइंदों द्वारा गिरफ्तार किया गया था,पर पाकिस्तान सरकार ने समझौते के तहत टीएपी के सदस्यों को छोड़ दिया गया। विदित हो कि पाकिस्तानी सरकार द्वारा गिरफ्तार किए गए तमाम अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों को भी धीरे-धीरे करके रिहा किया जा रहा है। पाकिस्तान की सरकार का आतंकवादी चेहरा बेनकाब होते जा रहा है। इधर पाकिस्तान सरकार कई मोर्चों पर जूझ रही है। पाकिस्तान के अंदरूनी हालात महंगाई ,बेरोजगारी, मुद्रा स्थिति,आर्थिक संकट के कारण अत्यंत खराब हो गए हैं। जेलों में कैदियों को खिलाने के लिए राशन भी नहीं है। पाकिस्तान के इमरान सरकार के खिलाफ वहां की सेना के जनरल बाजवा भी उनके विरोध में आ गए थे। इसके अलावा पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियां इमरान सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कटिबद्ध हो गई। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड भी इमरान सरकार को भविष्य में कर्जा देने में कटौती कर दी थी। अंत में अविश्वास प्रस्ताव के पश्चात यदि इमरान के पक्ष में कम वोट पड़ते , तो इमरान को इस्तीफा देना ही पड़ सकता था। इस सूरत में इमरान सरकार की गद्दी खतरे में पड़ सकती है।
संजीव ठाकुर, लेखक
, चिंतक रायपुर छत्तीसगढ़
, 9009 415 415।

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