कबीले को बचाने की जगह सरदार बनने में लगे हैं सब

कांग्रेस की ताजा राजनीति पर अरुण यादव का तंज

इंदौर। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव के ट्वीट ने पार्टी के आंतरिक हलकों भूचाल ला दिया है। यादव ने इशारे में कहा कि पार्टी की किसी को नहीं पड़ी, सबको अध्यक्ष और पद पाने की लगी है। उनके ट्वीट से राजनीतिक हलकों में कांग्रेस पार्टी की बुरी हालत पर बहस छिड़ गई है।
पूर्व सांसद और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने ट्विटर पर लिखा कि कबीले को बचाने की चिंता किसी को नहीं सब के सब कबीले का सरदार बनने में लगे है। दरअसल बात यह है कि पांच राज्यों के चुनाव के बाद कांग्रेस की बुरी गत हो गई है। कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता पार्टी की चिंता करने की जगह अपने पद पर बने रहने या राज्यसभा की सांसद सीट बचाने में लगे है। खासकर पार्टी का जी – 23 समूह, जिसमें गुलामनबी आजाद से लेकर कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा, मणिशंकर अय्यर, मुकुल वासनिक, मनीष तिवारी तक शामिल है। कहने को यह सब कांग्रेस के दिग्गज है, लेकिन असल मे उक्त सभी नेता एयर कंडीशनर के नेता है। पीछे के दरवाजे (राज्यसभा) से ही इंट्री वाले जनाधार हीन लोग है। जी – 23 सदस्यों में एक भी सदस्य जननेता नहीं है। सब के सब सत्ता भोगी है। कभी कांग्रेस पार्टी के सड़क पर आंदोलन या प्रदर्शन में भाग नहीं लेते। सबसे बड़ी बात यह कि सब बूढ़े हो चले है, लेकिन पद और राज्यसभा नहीं छोड़ना चाहते है। पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी के ईमानदार और बेदाग नेता ए.के. एंटोनी ने सभी राजनीतिक गतिविधियों से अलग होने की घोषणा की, लेकिन जी- 23 के सभी आधारहीन नेताओं को पद पर बने रहना है।
आज हम मध्यप्रदेश की ही बात करें, तो कमलनाथ बड़े साहब है। नेता प्रतिपक्ष भी वही और प्रदेश संगठन अध्यक्ष भी वही है। इसके पहले मुख्यमंत्री भी वही और प्रदेश अध्यक्ष भी वही थे। कायदे से कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ देना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया और परिणामस्वरूप सत्ता ही खो बैठे है। यहां यह बताने की जरूरत नहीं है कि सत्ता कैसे खोई है। यह बात सबको पता है। आज भी हालात यह है कि कमलनाथ से कांग्रेस का आम कार्यकर्ता मिल नही पाता है, क्योंकि उसकी सुनवाई के लिए नाथ के पास समय नही है, वो ठहरे बड़े साहब। यही हालत दिग्विजयसिंह की है, उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष बनकर कांग्रेस की सरकार बनाई। मगर सत्ता में रहते कार्यकर्ताओं को लावारिस बना दिया। हालात यह हुए कि 2003 में बुरी तरह से जनता ने ऐसा नकारा की वे अब कांग्रेस के मिस्टर बंटाधार हो गए है। वे सिर्फ खुद को राजनीतिक रूप से जिंदा रखने के लिए बयानबाजी करते रहते है, लेकिन उनको खुद की पार्टी के नेता गंभीरता से नहीं लेते। जनता में उनकी छवि बहुत ही निगेटिव है।

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