गुस्ताखी माफ़- मुझे फांसी दे दो पर इनका चिट्ठा भी खोल दो…कौन कर रहा है यह कलाकारी…कमिश्नर पर भारी थाना प्रभारी…

मुझे फांसी दे दो पर इनका चिट्ठा भी खोल दो…
अंतत: उद्योगपतियों की शिकायत पर भाजपा के वरिष्ठ नेता जो इन दिनों घर बिठाए गए है जगमोहन वर्मा को प्रशासन ने नोटिस जारी कर ही दिया। आरोप है कि वे अभी भी उद्योगपतियों को खड़ी कराई के नाम पर परेशान कर रहे है। जगमोहन वर्मा भी कह रहे है कि यदि आरोप सही है तो तुरंत मुकदमा दर्ज कर फांसी पर टांग देना चाहिए। पर दूसरी ओर जिन उद्योगपतियों ने शिकायत की है उनकी जांच भी साथ में हो जाना चाहिए। यदि वे दोषी हो तो उनके उद्योग भी सील कर उन्हें भी साथ में जेल पहुंचाना चाहिए। मामला कुछ ऐसा है कि हमाम में सभी नंगे हो गए है। जब पूरे शहरभर में इन दिनों 21 हजार से लेकर 51 हजार के चेक लिए जा रहे हो कारोबारियों से तो वे भी कोई दिल से तो नहीं दे रहे होंगे। जो भी हो उद्योगपतियों के खिलाफ जांच की शिकायत का पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय से आ गया है। यानि अब उद्योगपतियों की भी जांच शुरू होने जा रही है। इसमें कई उद्योगपति 50 हजार फीट जमीन लेकर किराए पर दूसरे उद्योगों को चला रहे है। खुद का काम तीन हजार फीट में भी हो रहा है। नगर निगम से भारी टैक्स चोरी का मामला उजागर हो चुका है। जितनी जमीन ले रखी है उसके आधे का ही टैक्स भर रहे है। इसके अलावा वायु प्रदूषण को लेकर भी लगभग सभी जांच के दायरे में है। कुल मिलाकर एक उंगली किसी पर उठाने के चक्कर में चार विभागों की उंगली अब उठने की तैयारी कर रही है। खड़ी कराई के चक्कर में अधिकारियों के सामने थोड़े दिनों बाद खड़ा होना भी खुद का मुसीबत बन जाएगा। अब समय बताएगा कि दांवपेच में कौन कब भारी पड़ता है।
कौन कर रहा है यह कलाकारी…
इंदौरी सांसद यूं तो अपनी विनम्रता के कारण लगभग सभी जगहों पर मौजूद दिखते है, परंतु भाजपा का ही एक बड़ा धड़ा उन्हें संगठन में कही पर भी जगह देने को तैयार नहीं हो रहा है। कारण यह है कि जब भी भविष्य में किसी और नाम को लेकर प्रयास शुरू होंगे तो संगठन की ओर से उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाएगी। पिछले दिनों संगठन में कोई पदाधिकारियों की नियुक्ति में उनका एक भी नाम नहीं जोड़ पाया था। इसके पहले महिला मोर्चे के गठन में भी चोट हो चुकी थी। उन्होंने संध्या यादव का नाम पूरी ताकत से रखा था, परंतु यह नाम भोपाल तक पहुंचा ही नहीं और शैलजा मिश्रा की नियुक्ति हो गई। संगठन के बड़े नेता कह रहे है कि उन्हें समाज से बाहर भी आना चाहिए। अब यह कौन तय करेगा कि समाज से बाहर आ गए थे इसीलिए तो चुनाव जीते।
कमिश्नर पर भारी थाना प्रभारी…
पिछले दिनों इंदौर में पदस्थ हुए एक थाना प्रभारी को इसलिए हटा दिया था कि उन्होंने एक भूमाफिया को थाने पर ही नियमों के विपरीत जाकर जमानत दे दी थी। कमिश्नरी लागू होने का लाभ भूमाफिया को मिलने के बाद जब यह मामला शिकायतकर्ता ने ऊपर पहुंचाया तो फिर थाना प्रभारी की रवानगी करवा दी गई। हालांकि इंदौर के ताकतवर नेता एक बार फिर उन्हें अपने क्षेत्र में थाना दिलवाने में सफल हो गए हैं।
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