गुस्ताखी माफ़- गौरव डाल-डाल गोलू पांत-पांत…..सुन ले अरज बनवारी रे…

gustakhi maaf
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गौरव डाल-डाल गोलू पांत-पांत

गौ रव बाबू का टेसू कुछ ऐसा हो गया है कि अगर वो अड़ जाए तो फिर अड़ा ही रहता है फिर चाहे विधायक गोलू पंडित हो या बल्लेबाज पूर्व विधायक ऐसा भी कह सकते हैं कि मेरा टेसू यहीं अड़ा खाने को मांगे दही बड़ा…. अब दही बड़ा मिल नहीं रहा तो क्या करें। मामला कुछ ऐसा हो रहा है कि क्षेत्र क्रमांक तीन को वे गोलू पंडित के आने के बाद भी गरीब की जोरु मोहल्ले की भाभी जैसा समझ रहे थे। इधर अब गोलू पंडित की समझ में भी यह बात आ गई है कि यदि यहां अपनी गोटे नहीं बैठाई तो अगले चुनाव तक गोटी खेलना पड़ेगी। इसलिए उन्होंने अब अपने खास साथियों को संगठन में बैठाना शुरु कर दिया है। और इसमे उन्होंने चंद्रभान सोलंकी को मंडल अध्यक्ष बना दिया है पर उनके बनाने के बाद भी गौरव बाबू अभी तक उन्हें आंकने को तैयार नहीं है। उन्होंने क्षेत्र के पार्षद गजानंद गावड़े जो झोन कमेटी के अध्यक्ष भी है और मंडल अध्यक्ष भी उनसे यह पद लिया है। परंतु इतना सब होने के बाद भी गौरव बाबू संगठन के किसी भी आयोजन के चंद्रभान को पीले चावल नहीं भेजते हैं। चंद्रभान युवा मोर्चा के समय से भाजपा में अपनी पहचान बना रहे हैं। अब आने वाले समय में देखना होगा कि गौरव बाबू का टेसू अड़ा रहेगा या फिर चंद्रभान को संगठन के कामों में बुलायेगा। कहने वाले तो यहां तक कहते हैं कि गौरव बाबू ने तो बल्लेबाज विधायक के पद से हटने के बाद उनको भी विमानतल पर आमंत्रित लोगों की सूची में से बाहर कर दिया था। अब देखना होगा किस किस का हिसाब गौरव बाबू से बाकी है जो समय आने का इंतजार कर रहे हैं।

सुन ले अरज बनवारी रे…

निगम मंडलों में अपनी ताजपोशी को लेकर जो नेता कुर्तेपजामे सहित अपनी तैयारियां पूरी कर चुके थे उनके लिए यह खबर दुखदाई है कि अब उन्हें संक्रांत तक नियुक्तियों के लिए इंतजार करना होगा। इसके जो भी कारण रहे हैं पर अब मुख्यमंत्री भी आने वाले दो तीन महीनों तक चुनावी कार्यों में व्यस्त रहेंगे। हरियाणा के बाद उन्हें झारखंड और महाराष्ट्र में भी प्रचार करने के लिए जाना होगा। इधर कोई ऐसा सामाजिक समीकरण तैयार नहीं हो रहा है जो किसी को भी इस पद पर आसीन करवा सके। हालांकि संघ के माध्यम से एक बार फिर निगम मंडल में दो नियुक्ति हो सकती है इसमे एक इंदौर के पुराने बड़े मजदूर नेता भी शामिल है जो पहले भी निगम में रह चुके हैं। वैसे भी अब सगंठन के चुनाव का चाला लगने वाला है।

जनसुनवाई का एक और तरीका….

जिलाधीश कार्यालय में इन दिनों जनसुनवाई पर तो सबकी नजरे लगी ही रहती है परंतु अचानक एक ओर जनसुनवाई बीच में ऊग आई है जिसको लेकर ज्यादा चर्चा होने लगी है। बताया जा रहा है कि प्रशिक्षु आईएएस के रुप में इंदौर में अपर कलेक्टर के पद पर पदस्थ हुई महिला अधिकारी ने दो बार अपने कमरे के बाहर ही चपरासी की कुर्सी पर बैठकर ही जनसुनवाई कर दी। हालांकि जिन्हें लाभ मिला वे तो हो गये पर इसी दौरान उनके कर्मचारियों की लू भी उन्होंने उतार दी यहां तक कहा कि तुम ही लोगों के कारणआमलोगों के कामनहीं होते हैं। इधर अब लोगों को इंतजार है कि कब सवारी आयेगी और जनसुनवाई फिर चपरासी की कुर्सी पर बैठकर शुरु होगी।

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