गुस्ताखी माफ़- मुरली तान पर अब केवल एक ताल…भाजपा के नए भेरू पर नजरें…नए-नए मुल्ला…
मुरली तान पर अब केवल एक ताल
लंबे समय से मध्यप्रदेश के जिलों के प्रभारी मंत्री का निर्णय नहीं हो पाने के बाद अंतत यह निर्णय दिल्ली से ही हुआ। इस निर्णय में सबसे ज्यादा ध्यान इंदौर को लेकर लगा हुआ था प्रहलाद पटेल से लेकर राजेंद्र शुक्ला तक के नाम चले पर अंत में इंदौर में मोहन की मुरली की तान पर ही फैसले होने का निर्णय हो गया। लोग यह नहीं समझ पाये कि ऐसी क्या स्थिति बनी कि मुख्यमंत्री को खुद ही इंदौर में कमान संभालनी पड़ी। इसके पीछे की कथा बताने वाले बता रहे हैं कि शिवराजसिंह चौहान के कार्यकाल में इंदौर की राजनीति में कई धड़े काम कर रहे थे और उनके बीच खींचतान के चलते यहां पर प्रभारी मंत्री दूरी बनाये रखते थे। ऐसे में इस बार इंदौर और उज्जैन दोनों पर बेहतर निर्णय हो सके और विधायकों और मंत्रियों के बीच समन्वय स्थापित रहे इसके लिए मोहन यादव खुद ही प्रभारी हो गये। यह नाम दिल्ली से ही तय किया गया है। इससे अब इंदौर के विधायकों की अलग अलग गुटों में समनव्य बना रहेगा साथ ही इंदौर सबसे ज्यादा राजस्व देना वाला जिला भी कहलाता है। किस नेता की कितनी फाइलें चल रही है इसके बारे में भी मुख्यमंत्री को सीधी जानकारी रहेगी। इन सब मामलों में इंदौर जिलाधीश आशीष सिंह अब और ताकतवर होकर उभरते हुए दिखेंगे। शहर को लेकर मुख्यमंत्री ने फ्री हैंड भी दे रखा है। अगले छह महीनों में शहर की फिजा बदलती हुई भी दिखेगी कई कठोर निर्णय शहर के हित में देखे जा सकेंगे। इसमे अवैध रुप से शहरभर में पार्किंग समाप्त कर बेचे गये तलघरों के खिलाफ बड़ा अभियान भी शामिल है। इसमें पहले चरण में कुछ बड़े घरों के शोरूम जो तलघर में बने है उन पर कार्रवाई शुरू होगी। इसके बाद दवा बाजार और जेल रोड मुख्य निशाना रहेंगे।
भाजपा के नए भेरू पर नजरें…
अभी सूत न कपास पर जुलाहों के बीच ल_म ल_ा को लेकर अपनी अपनी तैयारियां शुरु हो गई है। हम बात कर रहे हैं इंदौर शहर के भाजपा के नये नगर अध्यक्ष को लेकर। वैसे भी अब गौरव बाबू यानी गौरव रणदीवे की रवानगी ससम्मान होना तय हो गई है। इसके कारण में सबसे ज्यादा प्रमुख कारण दादा दयालु की नाराजगी तो है ही साथ ही पहले जो सबके काका थे वो गौरव बाबू के आका थे। अब समय के साथ जैसा होता है भाजपा में वे कमजोर हो गये हैं। सुहास भगत की भक्ति के परिणाम में गौरव बाबू को रायशुमारी की भोंगली बनाने के बाद नगर अध्यक्ष का पद उन्हीं के सौजन्य से मिला था। जबकि उस टाइम के तात्कालिन भाजपा नेता उमेश शर्मा के पक्ष में सर्वाधिक लोगों ने राय दी थी। अब इस बार नये समीकरण में वे निगम मंडल तक जाने के समीकरण भले ही बना रहे हो पर भाजपा के ही दिग्गज नेता का कहना है कि बहुत अच्छा कार्यकाल रहा हमेशा याद रखा जाएगा नये लोगों को अब आगे लाया जाएगा। अब नये लोगों में कौन होगा जो चार विधानसभाओं में मजबूत होगा। ऐसे में हरिनारायण यादव और टीनू जैन का नाम लिया जा रहा है। हालांकि यह भी सही है कि आर के स्टूडियों ने अपनी विधानसभा में कभी नया नेता नहीं बनने दिया। ऐसे में उनकी नजर क्षेत्र क्रमांक ५ पर भी बनी हुई है जिसमे नये नेता को मैदान में लाया जाएगा। हालांकि अभी चावल की हंडी पकने में समय लगेगा और समय के साथ ही कौन कब भाजपा में पत्थर से भेरु होकर पुजाने लगे इसके बारे में ऊपर वाले ही जानते हैं।
नए-नए मुल्ला…
नये नये हिन्दू नेता बने संजू बाबू यानी संजय शुक्ला को भी अब सवारी आ गई है हट जाओ… कुछ दिन पहले संजू बाबू को सवारी आई… उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को सीधे चि_ी लिखते हुए बांग्लादेश पर सर्जिकल स्ट्राइक कर हिन्दुओं को निकालने का बयान जारी कर दिया था। इधर इतने भारी बयान से भाजपा के नेता भी आश्चर्यचकित है। उनका कहना है कि पहली बात तो सर्जिकल स्ट्राइक में बड़ा हमला करना पड़ता है और उस दौरान लोगों को निकालने के लिए कोई प्रयास नहीं हो पाता है। यदि उन्हें मांग ही करना थी तो भारत बांग्लादेश की बार्डर पर पांच हजार हिन्दु जयश्रीराम के नारे लगा रहे हैं उन्हें भारत में लाकर नागरिकता देने की मांग कर देना थी। जिन्हें सेना के जवान भारतीय सीमा में घुसने नहीं दे रहे हैं। अभी तक प्रधानमंत्री ने भी खुद बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे मामलों को लेकर कोई भी बयान जारी नहीं किया है। हो सकता है संजू बाबू को ऐसा लग रहा होगा जैसे उनके साथ भाजपा द्वारा हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद वे अपने खास साथी विशाल पटेल के साथ भाजपा में आ गये ऐसी ही सर्जिकल स्ट्राइक होती होगी। यह भी हो सकता है कि भाजपा में आते ही वे रक्षा और विदेश मामलों के जानकार भाजपा नेताओं से ज्यादा हो गये होंगे। भाजपा के ही नेता उनके बयान को लेकर बकवास बता रहे हैं। कुछ कह रहे है रायचंद बदल दो।