स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले जनता द्रौही, इनकी संपत्ति सरकारी खजाने में जमा करें !

निजी चिकित्सालय, लैब, बड़ी बड़ी जांचों, घातक बिमारियों के इलाज में भी कई गुना खर्चा वसूली हो रही हैं। बेड नहीं होना, अनावश्यक रुप से आईसी में भर्ती करना। लंबे समय तक लूट के कारण लोगों के घरबार तक बिक रहे ह़ै। उधर प्लाज्मा की युनीट, आक्सीजन सिलेंडर जैसी आवश्यक चिकित्सीय सुविधाएं भी महंगी मिल रही है। आम जनता के पास मंहगे इलाज के लिए रुपये नहीं है, वह क्या बिना इलाज कराये जान दे दें।

स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले जनता द्रौही,
इनकी संपत्ति सरकारी खजाने में जमा की जानी चाहिए। कानून इतना कड़ा हो कि लोगों की जिंदगी से खेलने वालों की संपत्ति जब्त कर इन्हें उम्र कैद या फांसी की सजा दी जाऐ तो वह भी कम ही होगी। कम से कम इतना कड़ा कानून तो बनाना ही चाहिए। ये ऐसे लोग हैं जो अनावश्यक रुप से जनता को खुद की पसंद के अस्पताल में दबाव देकर भर्ती कराते हैं, जरूरी नहीं होने पर भी मंहगी जांच कराते हैं और महंगी दवाएं खरीदवाकर मोटा कमीशन लेते हैं। फिर बंगले, गाड़ी, फार्महाउस, परिवार के नाम पर खरीद कर कालाधन इक_ा करते हैं। थोड़े समय में ही अपना खुदका नर्सिंग होम चलाने लगते हैं फिर रियल इस्टेट में, प्रापर्टी व्यवसाय में इनवेस्ट करते है। सबसे बड़ा मुनाफा दवाई बनाने वाली कंपनियां कमा रही है। होलसेल की कीमत से कई गुना एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) छापकर
रिटेलर को कमाने के मौका देती है। मेडिकल स्टोर पर जो दवाई बेची जाती है, ग्राहक को पूरी कीमत चुकाना पड़ती है, कोई मोलभाव नही होता। टैक्स पूरे वसूले जाते हैं लेकिन बेची सभी दवाओं के पक्के बिल नहीं बनाए जाते जिससे कि पूरा टैक्स भी स्वयं, हड़प कर जाते है।
दवाईयों की दुकानों पर प्रतिबंधित दवाएं भी बेची जाती है। जनता का शोषण व जिंदगी से खिलवाड़ सबके सामने होता है।
इन सदाबहार कारनामों के दिगर पिछले वर्ष की कोरोना महामारी के समय से आज तक जनता से चिकित्सा की लूट बेतहाशा रूप से कई गुना बढ़ गई है जो नजरअंदाज हो रही है, सरकार अब थोड़ा चेती है मगर सार्टेज दिखाकर ब्लैकमेलिंग, लूटपाट सब जारी हैं, मैदानीतौर पर, सरकारी महकमें में भी ऊंची कीमतों पर घटिया खरीद, कमीशनबाजी होती है। निजी चिकित्सालय, लैब, बड़ी बड़ी जांचों, घातक बिमारियों के इलाज में भी कई गुना खर्चा वसूली हो रही हैं। बेड नहीं होना, अनावश्यक रुप से आईसी में भर्ती करना। लंबे समय तक लूट के कारण लोगों के घरबार तक बिक रहे ह़ै। कोरोना में लगने वाले रेमडिशिविर इंजेक्शन भी अधिक कीमत लेकर बेचे जा रहे हैं। उधर प्लाज्मा की युनीट, आक्सीजन सिलेंडर जैसी आवश्यक चिकित्सीय सुविधाएं भी महंगी मिल रही है। आम जनता के पास मंहगे इलाज के लिए रुपये नहीं है, वह क्या बिना इलाज कराये जान दे दें।
सरकार को चाहिए कि पूरे देश में दवाओं, इलाज, साधनों,
चिकित्सकों व जांच के शुल्क एक समान हों एवं हास्पिटल चार्जों की कीमतें सरकार नियत एवं नियंत्रित करें। इन कमाईदारों की जनता को लूटकर बनाईअवैध संपत्ति सरकारी खजाने के हवाले करें या सरकारी अस्पतालों में खर्च कर आवश्यक सुविधाएं बढ़ाई जाऐं। -शशिकांत दुबे

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