नए साल में स्वाधीनता दिवस पर होगा नवश्रृंगारिक राजवाड़े का भव्य लोकार्पण
हेरिटेज एक्सपर्ट के सुझाव पर किया जा रहा है बदलाव
इंदौर (आशीष साकल्ले)।
मध्यप्रदेश ही नहीं, देश-दुनिया में ऐतिहासिक धरोहर के रुप में विख्यात और कभी होलकर राजवंश की शान रहे राजवाड़े का जीर्णोद्धार कार्य अब गति पकड़ चुका है। इधर, राजवाड़ा के मुख्य द्वार में झुकाव आने व पांचवी छठी मंजिल के स्वरुप को यथावत रखने के लिए हेरिटेज एक्सपर्ट के सुझाव पर कुछ बदलाव भी किए जा रहे। इसके चलते, नए साल में स्वाधीनता दिवस पर नवश्रृंगारित राजवाड़ा जनता को समर्पित कर दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि १९८४ में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की निर्मम हत्या के बाद भड़के देशव्यापी दंगों के दौरान राजवाड़ा भीषण अग्रिकांड में जल गया था और उसका उत्तरी हिस्सा ध्वस्त हो गया था। इसके बाद वह वर्षों तक जीर्ण-शीर्ण हालत में खड़ा रहा। इस दौरान, कई बार इसके जीर्णोद्दार की योजनाएँ बनी, फाइलें एख विभाग से दूसरे विभाग में घूमती रही, लेकिन ये कभी अंजाम तक नहीं पहुंच पाई।
२०१९ में शुरु हुई जीर्णोद्धार कार्य की शुरुआत…
लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सन् २०१९ में पुरातात्विक महत्व वाले राजवाड़ा और गोपाल मंदिर जीर्णोद्धार कार्य की शुरुआत हुई। शुरु में इसकी गति काफी धीमी रही। फिर २०२०-२१ में कोरोना महामारी एवं लाकडाउन के चलते जीर्णोद्धार कार्य अवरुद्ध हो गया। अब राजवाड़ा जीर्णोद्दार कार्य के लिए अप्रैल २०२२ की डेडलाइन जारी किए जाने के बाद इस काम ने एक बारद फिर गति पकड़ी है। बावजूद इसके, अप्रैल तक इस प्रोजेक्ट का पूरा होना संभव नहीं है।
तीसरी बार बढ़ाई गई है प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए समय सीमा
जीर्णोद्धार कार्य पूरा करने के लिए पहले एक वर्ष की समय सीमा तय की गई थी, लेकिन जीर्णोद्धार कार्य की धीमी गति की वजह से यह पूर्ण नहीं हो सका। इसके बाद कोविड-१९ एवं लाकडाउन के कारण काम रुक गया। इसके चलते, फिर डेडलाइन आगे बढ़ाई गई, लेकिन फिर भी काम पूरा नहीं होने पर अब तीसरी बार अप्रैल २०२२ तक के लिए डेडलाइन जारी की गई है, लेकिन प्रोजेक्ट का पूरा होना निर्धारित समय सीमा में होना इसलिए मुमकिन नहीं है, क्योंकि अब हेरिटेज एक्सपर्ट ने इसकी पांचवी एवं छठी मंजिल में बदलाव किए जाने के सुझाव दिये हैं।
कायाकल्प के दौरान क्याहोगा बदलाव?
सूत्रों के मुताबिक राजवाड़ा के मुख्य द्वार में झुकाव प्रतीत हो रहा है। इसी झुकाव को खत्म करने के लिए पुरातत्व विशेषज्ञों द्वारा दिशा निर्देश दिये गये हैं। इसके अतिरिक्त राजवाड़ा की पांचवी और छठी मंजिल पर लकड़ी की मेहराबो का इस्तेमाल किया गया था और इन पर खूबसूरत नक्काशी की। अग्रिकांड में जलने की वजह से यह बुरी तरह नष्ट हो गई। बताया जाता है कि पुरातत्व विशेषज्ञों ने अब लोहे के खंबों पर लकड़ी की नक्काशीदार प्लेटे लगाने का सुझाव दिया है ताकि इसका पुराना स्वरुप बरकरार रखा जा सके। इसके चलते निर्माण एजेंसी के कर्ताधर्ताओं का भी यह मानना है कि जून-जुलाई से पहले इस योजना को पूरा करना मुमकिन नहीं होगा। इसके चलते संभवत: आगामी स्वाधीनता दिवस पर ही इसे जनता को समर्पित किया जा सकता है।