इन्दौर का दवा बाजार बना डपिंग यार्ड

1700 से ज्यादा दुकानों वाला राज्य का सबसे बड़ा

इंदौर। राज्य के सबसे बड़ा दवा बाजार ‘डपिंग यार्डÓ में तब्दील होते जा रहा है। हाल यह है कि यहां के व्यापारी खुद ही एक्सपायर्ड दवाओं को पार्किंग एरिया में फेंक रहे हैं। नियमानुसार उक्त व्यापारियों को इंसीनेटर के माध्यम से इन दवाओं को जलवा कर नष्ट करवाया जाना चाहिए।
ज्ञातव्य है कि दवा बाजार में १७०० से भी अधिक दवा दुकानें हैं। इसके चलते यहां पर रोजाना १२ से १५ हजार लोगों एवं व्यापारियों का आना जाना लगा रहता है। यहां पर एक्सपायर्ड दवाओं को डम्प किया जाना आसपास के लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। उनके फेफड़ों में जहां इन्फेक्शन हो सकते हैं वहीं इन दवाओं से निकलने वाली विषाक्त गैसे कई किमी क्षेत्र तक के वातावरण को प्रदुषित करती है। कहने का मतलब एक्सपायर्ड दवाओं को पार्किंग में ही फेक दिये जाने से कई प्रकार की खतरनाक बीमारियां भी फेल सकती है।
व्यापारी ही कर्मचारियों से फिंकवाते हैं दवाएँ- जानकारों के मुताबिक दवा बाजार के थोक व्यापारी से दवा वापस लेने की जगह इनकी कीमत लौटाकर दवा कंपनियां अक्सर उन्हें ही इन दवाओं को नष्ट करवाने के लिए कह देती हैं। उस समय तो व्यापारी इसके लिए राजी हो जाता है बाद में खर्च बचाने के लिए वे अपने कर्मचारियों से उक्त एक्सपायर्ड दवाएँ बाजार के पार्किंग में ही फिंकवा देते हैं इनमें इंजेक्शन, टैबलेट विभिन्न प्रकार के सायरप आदि शामिल होते हैं।
दस लाख तक जुर्माना और तीन साल के कारावास का प्रावधान
देखा जाए तो ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट में इन दवाओं के निपटान का प्रावधान किया गया है। इन्हें इंसीनेटर में जलाकर नष्ट करना चाहिए अन्यथा जुर्माने का प्रावधान भी है। मानक नियमों के मुताबिक ऐसी एक्सपायर्ड औषधियों का उचित तरीके सेनिपटान नहीं करने पर दस लाख रुपए तक के जुर्माने और तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के बायोमेडिकल वेस्ट एवं हैंडलिंग के नियमों के तहत भी जुर्माने का प्रावधान है।

 

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