80 एकड़ सरकारी जमीनों पर प्लाट बेचने का बड़ा फर्जीवाड़ा

संस्था के पास खुद की 20 एकड़ जमीन थी, 100 एकड़ पर प्लाट बेच दिए

इंदौर। जहां एक ओर जिला प्रशासन भूमाफियाओं के खिलाफ बड़ा अभियान चला रहा है। वहीं दूसरी ओर एक सहकारी साख संस्था के संचालकों ने ८० एकड़ के लगभग ऐसी जमीन पर भी प्लाट काटकर काला कारोबार किया है जिसके व्यवस्थापक कलेक्टर है। वहीं संस्था के पदाधिकारियों ने शासकीय मंदिर और मदरसे तक की जमीन पर प्लाट बेच दिये हैं। अब यहां प्रशासन जहां प्लाट होल्डरों को प्लाट दिलाने के लिए अभियान शुरु करने की तैयारी कर रहा है वहीं बड़ी जमीन पर संचालकों ने सरकार की ही जमीन को ठिकाने लगा दिया। यह संस्था है न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण संस्था। इस मामले में कलेक्टर को भी मय दस्तावेजों के शिकायत की गई है। जिसमे मध्यप्रदेश शासन शहरीय सिलिंग की जमीनों का बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है।
जिला कलेक्टर को की गई शिकायत में बताया गया है कि जिला न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण संस्था मर्यादित द्वारा प्रस्तावित अभिन्यास जो वर्ष २०००-०१ में निर्मित किया गया था। इस अभिन्यास में बड़ी तादाद में शासकीय खसरे और मंदिर के खसरे के अलावा शहरीय सिलिंग के खसरे और कुछ शहरीय सिलिंग से प्रभावित खसरों को भी अपने अभिन्यास में नक्शे एवं सर्वे नंबर के साथ अंकित किया गया है। उक्त सर्वे क्रमांकों में कुछ भूमि पर अवैध आवासीय बस्ती भी निर्मित करवा दी गई है। इसमे दो खसरे शासकीय है है खसरा नं ७६ की जमीन १.४८९ एकड़ और खसरा नं. ७७ जिसका रकबा ०.०९६ एकड़ है। इसके अलावा खसरा नं. ८८/१ का रकबा १.८४२ यह जमीन श्रीराम मंदिर के नाम पर चढ़ी हुई है और इसके व्यवस्थापक कलेक्टर है। जबकि ८८/२ खसरा नंबर की १.२१० एकड़ जमीन श्रीराम मंदिर फिर खसरा नं ८८/२ जिसका रकबा १.२१० और खसरा नं ८८/१५३०/१ जिसका रकबा ०.३२४ और खसरा नं ८८/१५३०/२ जिसका रकबा ०.९४३ एकड़ है। यह सभी जमीनें श्रीराम मंदिर और जटाशंकर मंदिर के नाम पर चढ़ी हुई है और इसके व्यवस्थापक भी कलेक्टर है यह पूरी तरह शासकीय भूमि है। इसके अलावा खसरा नं. ७५/१ का रबका ०.६८१ यह भी शासकीय भूमि है। जिस पर संस्था के संचालकों ने प्लाट काटकर बेचे हैं। संस्था की खुद की मालकिय हक की केवल २० एकड़ जमीन ही मौजूद है। वहीं खसरा नं २६/२/१ का रकबा ०.२०२ और खसरा नं. २६/१/२ का रकबा ०.१६२ दोनों शासकीय भूमि है इन पर भी संस्था के संचालकों ने प्लाट बेेचे हैं। इसके अलावा मदरसे की जमीन भी संस्था के संचालकों ने बेच खाई है। संस्था के कुछ संचालकों के खिलाफ पिछले दिनों जमीनों की हेराफेरी और प्लाट न दिये जाने को लेकर मुकदमे भी दर्ज हुए हैं परंतु दूसरी ओर इस संस्था के पूर्व संचालकों ने न्याय नगर के नाम से सरकारी भूमि पर बड़ी तादाद में प्लाट बेचे हैं। अब इन्हीं सरकारी भूमि पर जिला प्रशासन से प्लाट दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि इस भूमि पर पूरी तरह से शासन का ही अधिकार है और अधिकांश भूमि ऐसी है जो लैंड रिकार्ड में वर्षों से कलेक्टर के नाम पर चढ़ी हुई हैं। कुछ शासकीय भूमि के खसरों में भी यह जमीनें शासन के पास ही बताई गई है। इसके बाद भी उक्त भूमि पर टीएनसी से नक्शा पास करवाने के साथ ही यहां शासकीय जमीनों पर प्लाट बेचने का बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। उल्लेखनीय है कि पिछले ८ जनवरी २०२० को इन्हीं खसरों में से न्याय नगर बसाने वाले भूमाफियाओं ने न्याय नगर एक्सटेंशन के नाम पर प्लाट बेचे थे। करीब सवा हेक्टेयर क्षेत्रफल वाली उक्त जमीन सरकारी रिकार्ड में राम और जानकी मंदिर के नाम पर चढ़ी हुई है। इस पर पचास कर$ोड़ रुपए से ज्यादा के प्लाट बेचे गये थे। कुछ ने यहां पर मकान भी बना लिये थे जिन्हें तोड़ा गया था। अब पुन: यहां पर अवैध निर्माण का काम शुरु हो गया है। कुछ और इसी प्रकार के खसरों पर जो शहरी सिंलिंग में शामिल है उन पर भी धीरे धीरे मकान बनाने का काम चलाया जा रहा है।

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