मोदी का विरोध था कमलनाथ शिवराजसिंह को घेर रहे थे

नाथ और दिग्विजय की भूमिका अब बदलेगी

भोपाल (ब्यूरो)। एक ओर जहां कांग्रेस आज अपने सदस्यता अभियान को लेकर बड़ी बैठक कर रही है, वहीं दूसरी ओर पिछले दिनों दिल्ली पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश में हार के कारण बताए। दूसरी ओर कांग्रेस के ही कई नेता यह मान रहे हैं कि कमलनाथ की चुनावी रणनीति पूरी तरह फ्लाप थी।

देश महंगाई, पेट्रोल-डीजल की कीमत और बेरोजगारी, हिन्दू-मुसलमान को लेकर लड़ा जाना था। वहीं कमलनाथ, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नरियल फोड़ने को लेकर पिछले चुनाव से ही एक जैसा भाषण देते रहे हैं। प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान का विरोध आज भी नहीं है।
दिल्ली के सूत्र बता रहे हैं कि आने वाले समय में मिशन 2023 के पहले कांग्रेस में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों की भूमिका में बड़े परिवर्तन होने जा रहे हैं। आगामी चुनाव तक कुछ और नए नेता इस बार कमान में शामिल मिलेंगे। इसमें अजय सिंह, अरुण यादव, सत्यनारायण पटेल, तरुण भानौत, मुकेश नायक शामिल है। वहीं पिछले दो चुनाव से कमलनाथ के प्रचार में साथ रहे नेताओं का कहना है कि कमलनाथ की राजनीति केवल भाषण तक ही रहती है। संगठन को खड़ा करने को लेकर कोई जमीनी काम नहीं हुआ है। अब इसी का परिणाम है कि कांग्रेस बूथ स्तर पर बुरी तरह मार खा रही है। वहीं पिछले चुनाव से कमलनाथ केवल शिवराज सिंह चौहान के नरियल फोड़ने को लेकर हर बार भाषण दे रहे हैं। जबकि इस चुनाव में अन्य राज्यों में जहां भाजपा को करारी हार मिली, वहां पर रणनीति अलग थी। वे केन्द्र सरकार और नरेन्द्र मोदी के महंगाई को लेकर मैदान में थे। कांग्रेस मध्यप्रदेश में उम्मीदवार चयन से लेकर प्रचार तक में मार खा गई। कमलनाथ के अलावा कांग्रेस के कोई भी बड़े नेता इन चुनावी क्षेत्रों में नहीं दिखे। जबकि भाजपा ने हर विधानसभा में पूरी टीम झोक रखी थी। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार के भरोसे ही मैदान में थी। कहीं पर भी समन्वय नाम की चीज नहीं दिखी। भाजपा पहले दिन से ही जिस रणनीति में कमलनाथ को उलझाना चाहती थी, उसमें कमलनाथ उलझ गए और वे शिवराज सिंह चौहान को ही केवल निशाना बनाते रहे, जबकि आम आदमी महंगाई और बेरोजगारी के अलावा किसानों को नए कानून के लिए खड़ा करना था, जहां कमलनाथ फेल हो गए।

You might also like