डायरियों पर कारोबार करने वाले शहर छोड़कर फरार

करोड़ों रुपए की डायरियां अब उलझना तय, बयान के आधार पर बिल्डर भी मुकदमे के दायरे में आयेंगे

इंदौर।
शहर में डायरियों पर हुए अरबों रुपए के कामकाज पर अब ग्रहण लगना तय हो गया है। जिन ब्रोकरों ने डायरियों पर प्लाट बेचकर बड़ी राशि एकत्र की थी उनमे से कल कई स्थानों पर पुलिस ने हिरासत में लेने के लिए छापे मारे। कुछ ब्रोकरों के परिवारों के लोगों को उठाया गया है। इस बीच कई बिल्डर भोपाल की शरण में पहुंचे हैं तो वहीं मुख्यमंत्री ने इंदौर जिला कलेक्टर द्वारा जमीनों के नाम पर हो रही बड़ी जालसाजी को रोकने के लिए उठाये गये कदमों को लेकर पीठ थपथपाई है। वहीं कुछ डायरी लेने वाले जिला प्रशासन के पास भी कार्रवाई के लिए पहुंचे हैं। इधर खंडवा रोड़ पर दस साल पहले कॉलोनी के नाम पर डायरियों पर बेचे गये भूखंड अभी तक नहीं मिले हैं। खरीददार हर बार जिला प्रशासन को शिकायत कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि शहर के पास ब्रोकरों ने ही तीन सौ करोड़ से ज्यादा का कामकाज डायरियों पर किया है। इसमे आनंद लखोडिया, संजय मालानी, उमेश डेमला शहर से फरार हो गये हैं। कुल मिलाकर अब यह डायरियां उलझ गई है। जिला प्रशासन ब्रोकरों के बयान के आधार पर जमीन मालिकों के खिलाफ बिना अनुमति कॉलोनी काटने और दो नंबर में पैसा एकत्र करने के मामले में मुकदमा दर्ज करने की तैयारी कर रहा है। इसमे जहां किसानों से केवल एग्रीमेंट कर प्लाट बेचे गये हैं वहां किसानों को भी सहयोगी मानते हुए प्रकरण दर्ज होंगे।
आठ सौ करोड़ रुपए से ज्यादा के प्लाटों की डायरियां चलाने वाले नौ से अधिक ब्रोकर गिरफ्तारी वारंट निकलने के बाद से अपने परिवार से मुक्त होकर फरार हो चुके हैं। कल दिन में और देर रात पुलिस ने कई स्थानों पर दबीश दी। इसमे खंडेलवाल परिवार से दो लोगों को बैठाया गया है तो वहीं निलेश पोरवाल के परिजनों को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया है। दूसरी ओर कार्रवाई शुरु होते ही सभी ब्रोकरों ने अपने मोबाइल बंद कर लिये हैं। १५ लाख फीट से ज्यादा माल की डायरियां बेचने वाले आनंद लखोटिया अपने परिवार के साथ नाथद्वारा निकले हैं। वहीं संजय मालानी और उमेश डेमला जिनका रेडिमेड काम्पलेक्स में कामकाज है वे भी भाजपा के बड़े नेता की शरण में पहुंच गये हैं। प्रशासन का कहना है कि सबसे पहले ब्रोकरों को गिरफ्तार कर इन्हें एसडीएम कोर्ट में पेश कर डायरियों पर किये गये हस्ताक्षरों के बारे में पूरी जानकारी लेने के बाद इनसे बांड भरवाये जाएंगे और इनमे से कुछ का जेल जाना भी तय है। पुलिस अब सुनील जैन, बबल खंडेलवाल, गौतम जैन, गणेश खंडेलवाल, कमल गोयल और हर्ष चुघ की तलाश शुरु कर चुकी है। बिना रेरा की अनुमति प्लाट बेचने के मामले में प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि किसान से जमीन की रजिस्ट्री करवाकर या किसान से रेशों डील रजिस्ट्रर्ड होने के बाद डायवर्सन, विकास अनुमति और रेरा में पंजीयन के बाद ही भूखंड बेचे जा सकते हैं। ऐसे में बिना अनुमति बेचे जा रहे हैं भूखंड में बिल्डर के साथ ब्रोकर और किसान भी अपराधी माने जाएंगे। पूछताछ के आधार पर भी यह कार्रवाई होगी। जिला प्रशासन की कार्रवाई के बाद अब डायरियों पर किये गये कामकाज उलझना तय हो गये हैं क्योंकि आगे की किश्तें लोग अब डायरियों पर देने को तैयार नहीं होंगे। वहीं कई जगहों पर केवल किसान से समझौते के आधार पर ही प्लाट डायरियों पर बेचे गये थे। जिला प्रशासन अब किसानों से भी सीधी पूछताछ करने की तैयारी कर चुकी है।
दस साल से महालक्ष्मी धाम की डायरियां घूम रही हैं
खंडवा रोड़ पर दस साल पहले १३०० रुपये वर्गफीट में जमीन मालिक सुनिल मनवानी से समझौता करने के बाद छह लाख स्के.फीट माल ६० करोड़ रुपए में बेचने का नक्शा बनाकर तीस करोड़ रुपए एकत्र किये जा चुके थे। इसके बाद दस साल में ना तो विकास कार्य हुए और ना ही यहां आगे कोई कार्रवाई हुई अब लोग डायरियों पर प्लाट बेचने वालों के यहां चक्कर लगा रहे हैं। इन डायरियों पर छाबड़ा और माटा ने हस्ताक्षर करवा रखे हैं अब जो भी लोग यहां प्लाट लेने आते हैं तो उन्हें पैसे वापस देने की बात की जाती है। दूसरी ओर यही लोग इस क्षेत्र में खंडवा रोड़ पर सबसे बड़े जमीन कारोबारी की जमीनों पर भी डायरियों पर ही प्लाट अभी भी बेच रहे हैं। जबकि जमीनें विवादास्पद है।

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