एक दर्द ऐसा भी…इंदौर में जमीन धोखाधड़ी के बेहिसाब मामले

 

इंदौर ने स्वच्छता, वैक्सीनेशन सहित कई मामलों में नम्बर वन का तमगा अपने नाम कर रखा है और देश दुनिया मे अपना नाम भी रोशन किया है। इंदौर कई मामलों में नम्बर वन है और रहने लायक शहरों की सूची में 9 वें स्थान पर है बावजूद इसके कुछ मामलों में इंदौर के दामन पर कुछ दाग भी हैं। इसमें सबसे अहम दाग है जमीनों की धोखाधड़ी का। कॉलोनाइजर हों या गृह निर्माण संस्था अधिकतर मामलों में लोग अपने खून पसीने की कमाई लगाकर धोखे का शिकार हुए हैं।हालांकि समय समय पर प्रशासन ने भू माफिया व गृह निर्माण संस्थाओं पर कार्रवाई की है और कर भी रहा है।
अनेक भू माफिया के अवैध निर्माण गिराए गए है और कई संस्थाओं के पीड़ितों को प्लाट भी दिलाए है । इतना सब होने के बाद भी इंदौर में भू माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। इंदौर में जमीन धोखाधड़ी के बेहिसाब मामले है।कई नामी टाउनशिप में लोगों का पैसा डूबा तो शहर में कुकुरमुत्ते की तरह उग आए कॉलोनाइजर ने लोगों का हक़ छिन लिया ।इसके अलावा नोटरी व डायरी पर प्लाट की खरीदी बिक्री का तो मामला ही अलग है।कई लोगों के आशियाने तो नोटरी के कागज पर ही खड़े है।इंदौर में सैकड़ो की संख्या में अवैध कॉलोनी हैं।हालांकि सरकार ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा जरूर की है मगर फिर भी सैकड़ों लोग ऐसे है जिनकी छत किसी भी समय छीनी जा सकती है।इंदौर में ऐसे मामले भी दिखे की जब विकास के लिए लोगों ने जज्बा दिखाया और अपने हाथों से अपने आशियाने पर हथौड़े चला दिए वहीं दूसरी तरह ऐसे भी लोग रहे जिन्होंने अपना आशियाना बसाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया मगर उन्हें जमीन का टुकड़ा तक नसीब नही हुआ और कई तो उस टुकड़े को पाने के संघर्ष में दुनिया से ही कूच कर गए।यहाँ इन सब बातों का जिक्र इसलिए किया गया कि हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर कॉलोनाइजर अपने स्वार्थ के लिए किस हद तक धोखाधड़ी कर सकते है।यहां बात कर रहे है गणेश धाम कॉलोनी पिपलिया राव की। यहाँ हाल ही में प्रशासन ने मंदिर की जमीन पर बने एक अवैध मकान को ढहा दिया और 7 अन्य पर बुलडोजर चलाने की तैयारी है।दहशत के साए में जी रहे इन 7 परिवारों का सुख चैन नींद सब गायब है।जाहिर सी बात है कि जिस छत के नीचे लोग रह रहे हो वो किसी भी पल उजड़ जाए ये ख्याल ही सिहरन औऱ दहशत के लिए काफी है।दरअसल इन परिवारों का दर्द ये भी है कि अपनी जिंदगी भर की जामा पूंजी लगाने व पीड़ित होने के बावजूद इन परिवारों के मुखियाओं को जेल की हवा खानी पड़ी है।प्रशासन से न्याय की आस लिए बैठे ये परिवार अब प्रशासन की कार्रवाई पर ही सवाल उठा रहे है।दरअसल पटवारी की तरफ से लिखाई गई रिपोर्ट में क्रेताओं को भी आरोपी बना दिया गया है।जबकि वे खुद पीड़ित है और धोखे का शिकार हुए है।पीड़ित परिवारों का कहना है है कॉलोनाइजर मिथुन सोलंकी,महेश कुमावत व दिनेश मेहता ने उन्हें निशान लगाकर प्लाट का कब्जा दिया औऱ रजिस्ट्री कराई थी।मामले में पर्दे के पीछे एक अन्य कॉलोनाइजर का भी नाम सामने आया है जो इन तीनों का इस्तेमाल कर लोगों को ठग रहा है।।मामले में पेंच ये है कि कॉलोनाइजर ने पीड़ितों को गुटकेश्वर महादेव मंदिर की सर्वे क्रमांक 393 में कब्ज़ा दिया और रजिस्ट्री में सर्वे क्रमांक 395/1 की भूमि दर्शाई गई।छोटा मोटा कारोबार कर अपने परिवार को पालने वाले लोग कॉलोनाइजर की चाल समझ नहीं सके और पीड़ित होने के बावजूद जेल पहुँच गए।पीड़ित मंजू कटारे,सपना वर्मा,बबिता वर्मा,छाया मंडलोई व अन्य के आंसू हैं कि थमने का नाम नहीं लेते।।छत छीन जाने का डर,बैंक की किश्त,घर मे अनाज के खाली डिब्बे,छोटे छोटे बच्चों का भविष्य ये कुछ सवाल है जो इनके आंसू थमने नहीं देते। पीड़ित परिवारों को अब ये भी डर सता रहा है कि सर्वे क्रमांक 393 से बेदखल होने के बाद उन्हें उनके हक़ की सर्वे क्रमांक 395/1 में भी जमीन या मुआवजा मिल भी पाएगा या नहीं।पीड़ित परिवारों को अब बस कोर्ट से ही आस है उन्हें भरोसा है कि कोर्ट जरूर उन्हें न्याय दिलाएगी।दरअसल लंबे समय से ये देखा जा रहा है कि हमारे यह के सिस्टम में ही खासी लू पोल है और ये लू पोल प्लाट की खरीदी बिक्री से लेकर पंजीकरण तक है ओर यही वजह है कि प्रॉपर्टी ब्रोकर का काम करने वाला भी कॉलोनाइजर बन जाता है।
चाहे जो व्यक्ति या किसान अपनी मनमर्जी से बिना सक्षम अनुमति के प्लाट, फॉर्म हाउस काटकर लोगों को मूर्ख बनाते आ रहे हैं और ये सिलसिला चलता जा रहा है।।जनसुनवाई में अगर देखे तो अधिकतर शिकायतें जमीन धोखाधड़ी की ही आती हैं।हालांकि सरकार ने लंबे समय बाद रेरा कानून तो बनाया मगर ये कानून भी पूरी तरह से कारगर साबित होता नहीं दिखता।।रेरा में रजिस्टर्ड कॉलोनी में भी जमीन के जादूगर खेल करने से बाज नहीं आ रहे और शायद यही वजह भी है कि कई बड़े पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को ये कहते सुना गया है कि इंदौर में जमीन तौबा तौबा।
दरअसल जमीन की धोखाधड़ी को रोकने के लिए अभी भी एक ठोस व सख्त सिस्टम की आवश्यकता है> एक ऐसा सख्त सिस्टम की किसी की भी जमीन की धोखाधड़ी करने की हिम्मत ही न पड़े।। ताकी फिर कभी किसी को अपनी जमीन से बेदखल न होना पड़े कभी किसी को अपने आशियाने को उजड़ते हुए ना देखना पड़े।।शायद कभी कोई सरकार इस पर विचार करे और एक ऐसा सिस्टम लाए जिससे इंदौर के दामन पर लगा जमीन धोखाधड़ी का दाग धुल सके।
अभिलाष शुक्ला
प्रभारी सम्पादक हैथेवे बीटीवी न्यूज
9826611505

 

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