जानी सेब कितने भी सस्ते हो जाए आलू के भाव नहीं बिकते
8 अक्टूबर को 'राजकुमारÓ के जन्म दिवस के अवसर पर
इंदौर। 8 अक्टूबर को सुनहरे युग के सफलतम, अपने अनोखे अंदाज से संवाद अदायगी, अक्खड़ स्वभाव के लिये जाने जाने वाले अभिनेता ‘राजकुमार साहबÓ का जन्म दिवस है।
आपका जन्म इसी दिन सन् 1926 में हुआ था, मूल नाम था ‘कुलभुषण पण्डितÓ, अपनी शिक्षा पुर्ण करने के बाद उन्हें ‘बम्बई पुलिसÓ में ‘सब इन्सपेक्टरÓ की नौकरी मिल गयी, अपनी विशिष्ट चाल और शरीर पर पुलिस ऑफिसर की वर्दी को देखकर उनके मित्रों- परिचितो ने उन्हें फिल्मों में अभिनय करने की सलाह दी, राजकुमार भी इस काम की कोशिश में लग गये, पहली फिल्म मिली सन् 1952 में ‘रंगिलीÓ इसके बाद कुछ और फिल्मों में काम मिला, सन् 1957 की ‘मदर इण्डियाÓ और ‘नौ शारवाने आदिलÓ से उन्हें पहचान मिल गयी इसके बाद उन्होंने पीछे पलटकर नहीं देखा।
उनका स्वभाव घमंडी और अक्खड़ टाईप का था, जब वे उम्रदराज हो गए थे और उनके पास फिल्मों में कोई काम नहीं था इस दौरान उनके करीबी फिल्म निर्माता ने उन्हें एक फिल्म में काम करने का आग्रह किया और उनसे काम के लिए फीस पूछी। जिस पर उन्होंने 10 लाख रुपए देने को कहा। इस पर फिल्म निर्माता ने उनसे कहा कि आपके पास अभी कोई काम भी नहीं है मैंने सोचा इससे आपको मदद हो जाएगी। इस पर राजकुमार ने बड़ी अदा से उनसे कहा कि जानी सेब कितने भी सस्ते हो जाए आलू के भाव नहीं बिकते… नहीं बिकते… अंतत: उन्होंने अपनी कीमत पर ही फिल्म में काम किया।
राजकुमार साहब वास्तव मे बहुत शानदार अभिनेता रहे हैं उनके अभिनय से सजी कुछ यादगार फिल्में है – पंचायत, पैगाम, दिल अपना प्रीत परायी, दिल एक मंदिर, घराना, जिन्दगी, उजाला, फुल बनें अंगारे, शरारत, प्यार का बंधन, वक्त, हमराज, मेरे हुजूर, लाल पत्थर, पाकिजा, हिर रांझा, काजल, नई रोशनी, वासना, मर्यादा, नील कमल, धरम कांटा, चम्बल की कसम, कुदरत, 36 घंटे, गोदान, दुल्हन, मरते दम तक, बुलंदी, सौदागर, एक से बढ़कर एक, पुलिस पब्लिक आदि।
सन् 1992 में राजकुमार साहब क्या स्वर्गवास हो गया, उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि
-सुरेश भिटे