2 नहीं 16 मैरिज गार्डन तन गए हैं अवैध रूप से

लीज निरस्त हो चुकी, कब्जा भी लिया और सो गए

 

इंदौर। आज जिला प्रशासन और नगर निगम की संयुक्त कार्यवाही में कनाड़िया रोड पर सिलिंग की जमीन पर बने दो गार्डन ध्वस्त कर दिए गए। 15 वर्षों से अधिक समय से यह गार्डन सरकारी जमीन पर कैसे चल रहे थे, यह इस बात का उदाहरण है कि जब भी अभियान चलेगा, तभी कार्यवाही होगी। इंदौर विकास प्राधिकरण ने शहर में अवैध रूप से बिना अनुमति चलाए जा रहे 16 मैरिज गार्डनों को 10 साल पहले अवैध मानते हुए इनकी लीज भी निरस्त कर दी है, परन्तु आज भी यह गार्डन बुकिंग कर रहे हैं। लाखों रुपए कमा रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इन गार्डनों में बने भवनों को लेकर किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं है। कई जगहों पर 30 प्रतिशत से ज्यादा भी अवैध निर्माण है। दूसरी ओर शहर में 1200 ए$कड़ भूमि जिस पर वर्ष 2000 में शासन ने कब्जा लिया था। इसकी कोई देखरेख नहीं होने के बाद इसमें से भी बड़े कब्जे माफिया कर चुके हैं। कुछ पर तो अवैध कालोनियां भी तन गई है।
आज तड़के 4 बजे से कनाड़िया रोड के रिवाज और प्रेम बंधन पर भारी लबाजमा नगर निगम और जिला प्रशासन का पहुंच चुका था। पूरे गार्डन को सरकारी भूमि पर बताते हुए इसे ध्वस्त कर दिया गया है। यह भूमि वर्ष 2000 में सिलिंग में लेने के बाद पेपर पर ही इसका कब्जा जिला प्रशासन ने अपने कार्यालय में बैठकर ले लिया था। जमीन पर जाकर वास्तविक स्थिति किसी भी अधिकारी ने कभी नहीं देखी। इधर शहर में चंदन नगर से प्रारंभ हुए रिंगरोड में सिरपुर तालाब रोड पर 16 से अधिक मैरिज गार्डन बिना अनुमति धड़ल्ले से चल रहे हैं। यह सभी भूखंड आवासीय थे और इन पर व्यवसायिक उपयोग करते हुए बड़े मैरिज गार्डन बना दिए गए। क्षेत्र के रहवासियों ने भी इसका विरोध किया था, इसके बाद अदालत में याचिकाएं भी लगी थी। इसके बाद इंदौर विकास प्राधिकरण ने इन सभी मैरिज गार्डन की लीज निरस्त कर दी थी। इसे भी 10वर्ष से ज्यादा हो चुके हैं। आज तक न बिजली काटी गई और न ही पानी के कनेक्शन काटे गए। परिणाम यह है कि अवैध घोषित हो जाने के बाद भी 10 सालों में इन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। करोड़ों रुपए अवैध रूप से इन गार्डन पर विवाह समाहो करवाकर कमाए जा चुके हैं। अब सवाल उठ रहा है कि प्रशासन अभियान के दौरान ही क्यों जाग्रत होता है? इंदौर में सरकार की 1000 करोड़ से ज्यादा की जमीनों पर  कब्जे हो चुके हैं। इन जमीनों को लेकर कमीश्नर की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई गई थी। जिसमें इन जमीनों की पूरी जानकारी निकाली गई थी। परन्तु अभी भी यह जानकारी फाईलों में ही दबी हुई है। नए कमीश्नर को भी इसकी जानकारी नहीं है।

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