गुस्ताखी माफ़- वाह क्या रायता फैला…चाल, चरित्र, चेहरे सबके अलग-अलग…अल्लाह मेहरबान तो सारे कानूनों की भोंगली…
वाह क्या रायता फैला…
जिला प्रशासन और नगर निगम में अपनी साख में चार चांद लगाने वाले संतोष टैगोर इन दिनों बिजली कंपनी में पदस्थ हैं। बड़े अधिकारी रहे, इसलिए बड़े पदों पर ही जमे रहे। बेहतरीन जुगाड़ के चलते वे इंदौर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालिक अधिकारी की कुर्सी पर विराजमान होने ही वाले थे, इस बीच उनकी शानदार टेपिंग बाजार में आ गई, जिसमें उन्होंने बड़ी अदा से सहजता के साथ कंपनी के ठेकेदारों से अपने घर लाखों रुपए बुलवाए थे। कहने वाले तो कहते हैं कि बड़े व्यावहारिक हैं। कम-ज्यादा हो तो कहते हैं बाद में दे देना, परंतु अब उनकी सीआर पर ऐसा रायता फैला है कि सारे कपड़े उतारकर भी वे रायता समेटने का प्रयास करेंगे तो भी अब बड़ी मुश्किल होगी। हालांकि उनके आडियो टेप के बाद दूसरे कई अधिकारी आजकल फोन पर बोलने के बजाय आंखों से ही बात कर लेते हैं।
चाल, चरित्र, चेहरे सबके अलग-अलग…
भाजपा में चाल, चरित्र, चेहरे और सिद्धांतों की ऐसी दुर्दशा हो रही है कि हर नेता का अपना अलग सिद्धांत कार्यक्रम चलता है और वह सिद्धांत केवल उसी तक ही सीमित रहता है। पिछले दिनों इंदौर आए मुख्यमंत्री के स्वागत को लेकर वे ऐसे तन्नाए कि उन्होंने भविष्य में स्वागत नहीं करवाना का ही ऐलान कर दिया। इसके बाद जो भी नेता इंदौर आ रहा है, वह भव्य स्वागत कर यहां आनंद ले रहा है। पूछने पर बोलते हैं मुख्यमंत्री की मुख्यमंत्री जानें। इंदौर आए युवा मोर्चा के मुखिया ने सौ से अधिक मंचों पर भरपल्ले हार पहने और कोविड कानून को पूरी तरह बनाने वालों के लिए रखवादिया। इधर बेचारे गणेशजी कोविड कानून के चलते डूबने के लिए भी नहीं निकल सके। वह तो अच्छा है कि नाला टेपिंग बढ़िया हो गई है, अब आपको पानी तक नहीं जाना होगा, पानी खुद ही गणेशजी ले जाएगा।
अल्लाह मेहरबान तो सारे कानूनों की भोंगली…
कहावत है अल्लाह मेहरबान हो तो गधा पहलवान हो जाता है। वैसे तो शहर में आप तब ही बिना नक्शे मकान बन सकते हैं, जब आपका नक्शा हो। इधर पिछले दिनों कुछ कॉलोनियों को बसाहट की अनुमति दिलाते हुए धड़ल्ले से भूखंडों का आवंटन करवा दिया। बड़े उत्साह के साथ आवंटित मकान मालिकों ने प्लाटों पर मकान बनाना भी शुरू कर दिया। सही बात है, सब सैंया ही कोतवाल होंगे तो फिर कौन झांक रहा है। अब हम बताते हैं यह मामले हैं अयोध्यापुरी, पुष्प विहार, न्याय नगर की उन भूमि का, जो अलग-अलग योजनाओं में उलझी हुई थी। जैसे अयोध्यापुरी के नक्शे पास ही नहीं हो सकते हैं, क्योंकि यह जमीन स्वास्थ्य के लिए और स्वास्थ्य एवं ग्रीन बेल्ट का भूमि परिवर्तन नहीं हो सकता है, वहीं दूसरी ओर पुष्प विहार और न्याय की कुछ जमीन प्राधिकरण की योजना में है। अभी भी योजनाएं यथावत हैं। इधर भूमाफिया को ठिकाने लगाने के चक्कर में प्रदेश में नियम और कानून भी ठिकाने लग गए। शहर में और भी कॉलोनियां हैं, जिनकी जमीनें योजनाओं में है, परंतु वहां पर कुछ नहीं हो सकता और बिना अनुमति किसी ने कुछ निर्माण करने की कोशिश की तो उसे बैठे-बिठाए बड़ी मुसीबत में जाना होगा। इसका मतलब आप कभी इस प्रकार की कॉलोनियों में निर्माण कर सकते हैं, जब या तो अल्लाह मेहरबान हो या सैंया कोतवाल।
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