21 करोड़ बेरोजगार हो गए

दिल्ली, मुंबई, मद्रास, कोलकाता में अब रोजगार बंद

नई दिल्ली (ब्यूरो)। समय रहते सरकार ने अगर पूरे देश में रोजगार को लेकर कोई बड़ी तैयारी नहीं की तो अगले साल तक बेरोजगारी देश के लिए श्राप बन जाएगी। आंकड़े बता रहे हैं कि अभी भी कई क्षेत्रों में अगले कई बरसों तक नौकरियां नहीं रहेंगी। अप्रैल-2020 से अप्रैल-2021 के बीच अठारह करोड़ सत्तर लाख लोगों की नौकरियां जाने के साथ ही अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी शहरी क्षेत्र की तरह ही बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी अब एक साल में ही सात से चौदह प्रतिशत तक पहुंच गई है। दूसरी ओर अगले दो सालों में भी पंद्रह से पच्चीस वर्ष के बीच की उम्र के पच्चीस करोड़ युवा रोजगार के लिए मैदान में होंगे।
नौकरियों को लेकर अलग-अलग एजेंसी द्वारा निकली रिपोर्ट में जो जानकारी सामने आ रही है, वह बेहद डराने वाली है। किसी भी देश में दस प्रतिशत से अधिक की बेरोजगारी देश के आम लोगों के बीच विखंडन पैदा करने लगती है। सीएएमआई और नौकरी डॉट कॉम एवं जॉब स्पीक रिपोर्ट के आंकड़े बता रहे हैं कि मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद, बंगलुरू में अब नौकरियां नेगेटिव स्थिति में आ गई हैं, यानी यहां अब नई नौकरियां नहीं निकलेंगी, बल्कि पुरानी नौकरियां ही समाप्त होना शुरू होंगी। वहीं जयपुर, चंडीगढ़, अहमदाबाद, पुणे में भी नई नौकरियां समाप्त हो चुकी हैं। देशभर में जिन क्षेत्रों में नौकरियों की स्थिति समाप्त हो गई है, बल्कि पीछे खिसक गई है, उनमें -10 प्रतिशत की स्थिति डिफेंस, केमिकल रिसर्च में है तो वहीं अकाउंट, टैक्स, एफएमसीजी, बैंक, फूड एवं ब्रेवरीज, टेलिकॉम में भी -20 प्रतिशत तक हालात हो गए हैं और सबसे ज्यादा खराब हालत होटल क्षेत्र, रेस्तरां, एयरलाइंस, पर्यटन और ट्रांसपोर्ट की है। यहां -50 प्रतिशत तक ही नौकरियां नहीं हैं, यानी अगले कई वर्षों तक इन क्षेत्रों में अब रोजगार के अवसर समाप्त हो चुके हैं। बेरोजगारी की स्थिति का आलम यह है कि सरकार के ही आंकड़े बता रहे हैं कि अप्रैल-2020 से अप्रैल-2021 में अठारह करोड़ सत्तर लाख नौकरियां जा चुकी हैं, यानी चौदह प्रतिशत बेरोजगारी का आंकड़ा बता रहा है कि देश में बेरोजगारी की स्थिति इक्कीस करोड़ के लगभग पहुंच गई है। निजी क्षेत्रों में ही केवल रोजगार के कुछ अवसर निकलने की संभावना बनी है।

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