74 साल बाद भी हक और सम्मान की लड़ाई जारी..

74 साल बाद भी हक और सम्मान की लड़ाई जारी..
दे श कल आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहा है। 74 साल में इस देश ने कई उपलब्धियां हासिल की है। देश बढ़ता है देशवासियों की मेहनत से और शिखर में बैठे राजनेताओं के सही निर्णय सही समय पर लेने से। कौन से निर्णय सही रहे और कौन से गलत यह फैसला भी देश के नागरिक ही करते हैं। विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक ग्रंथ को लिखने का श्रेय भी इसी देश के नागरिकों को जाता है। देश आगे बढ़ा पिछली त्रुटियों को सुधारते हुए, न कि गिनाते हुए। आज देश रामराज्य की परिकल्पना को साकार करना राममंदिर की परिकल्पना से ज्यादा कठिन है। देश में 74 साल बाद भी सबको सम्मान और अपने हक के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है। परमाणु संपन्न देश होने के बाद भी आज युवाओं की बड़ी आबादी रोजगार के लिए प्रयासरत है। उपलब्धियां देश के खाते में दर्ज कराने के लिए ओलंपिक में मिले गोल्ड मेडल से लेकर रीता फारिया के मिस वर्ल्ड बनने, राकेश शर्मा से पीटी उषा तक सभी ने अपने प्रयास से उपलब्धियां देश की झोली में डाली। आप याद करें 50-60 के दशक में पूरा देश अनाज का मोहताज था और अमेरिका से पीएल-480 के गेहूं आते थे, तो लोगों का पेट भरता था। तब भी सरकार खेरात में अनाज बांटती थी, आज भी खेरात में अनाज बंट रहा है। फर्क इतना है कि इस बार इस देश के किसानों की मेहनत और अनाज में उन्हीं के प्रयास से आत्मनिर्भर हो चुके देश को अनाज आयात नहीं करना पड़ रहा है। आज देश को रफ्तार देने के लिए सबसे पहले बेरोजगारी और महंगाई का जो आंकड़ा सर्वोच्च शिखर पर है उससे देश को मुक्त कराया जाना बेहद जरूरी है। जब तक देश के विकास को लेकर एक सशक्त रोडमेप नहीं होगा तब तक देश को गति नहीं मिल सकेगी। कोरोना ने इस देश को कई सबक सिखा दिए हैं। मौत के तांडव के बीच सरकार की योजनाएं किस प्रकार से दम तोड़ती हैं यह भी देखा गया। निश्चित रूप से अब देश में ऐसा माहौल तैयार करना होगा कि विकास के इस महायज्ञ में सभी की भागीदारी दिखाई दे। फैसलों में जिद की बजाय सहमति पर आगे बढ़ा जाए। देश ऐसे किसी भी फैसले को शायद स्वीकार न करे, जिसके तय होने पर ही कई लोगों को अपने जीवन की आहुति देना पड़ी हो। विकास के महायज्ञ में आईये सबको साथ लेकर आहुति देने का प्रयास करें।
-नवनीत शुक्ला

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