पुलिस को भी अपनी जमीन पर कब्जे की चिंता

बजट के अभाव में बैरिकेट्स से काम चलाना पड़ रहा है

इंदौर (संजय नजाण)।
इन दिनों पूरे इंदौर में जमीनों पर कब्जे का शौर और दौर है जिसे जहां समझ में आ रहा है वह किसी की परवाह किये बिना कब्जा करता ही जा रहा है और दूसरी तरफ जिला प्रशासन के लिए कब्जे वाली जमीनें सिरदर्द बन गई है और पुलिस के लिए तो यह काम प्रभावित कर देने वाला कार्य हो गया है। अब पुलिस अपराधियों को पकड़े की जमीन पर कब्जे करने वालों को रोके यही स्थिति प्रशासन की है वह जमीन पर कब्जे करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे या राजस्व और सरकार के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को पूरा करें। बहरहाल इन सबके बीच पुलिस ने तय किया है कि अपनी जमीन पर कब्जे बचाने और अपनी जमीन को बचाने को लेकर वह अपने स्तर पर हर प्रयास जो कि संभव है वह करेगी। यही कारण है कि पुलिस ने अब अपने कब्जे वाली जमीनों पर तार फेसिंग लगाकर बाउंड्रीवाल करवाना तय किया है। हालांकि बजट का उनके पास अभाव है इनका रास्ता उन्होंने यातायात विभाग के संसाधनों के उपयोग के रुप में लिया है और सदर बाजार, मल्हारगंज सीएसपी आफिस और आसपास की जमीन पर उसने कहीं बाउंड्रीवाल बनवाकर और कहीं बैरिकेट्स लगवाकर अपनी जमीन पर कब्जा होने से बचा लिया है।
इंदौर में भूमाफियाओं की स्थिति यह है कि बड़े भूमाफिया नजूल, चरनोई और अन्य सरकारी लंबी चौड़ी बड़ी भूमियों पर न कि कब्जा जमाये बैठे हैं बल्कि उन्होंने तो वहां कॉलोनी, रिसोर्ट और रो-हाउस, मल्टी तानकर उन्हें बेचकर अपने पैसे खड़े कर हाथ भी झटक लिये तो दूसरी तरफ छोटे कब्जेदारों ने भी यहां वहां कब्जा कर अपने अतिरिक्त आय के ोत पैदा कर लिये हैं। किसी ने गुमटियां लगी दी है तो किसी ने पक्का निर्माण कर किराये पर उठा दिया है। इंदौर में ऐसे सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों उदाहरण यहां वहां सामने ही दिखाई देते हैं और जिस प्रकार कब्जे दारों ने पहले कब्जा कर के और न्यायालय में जाकर स्टे लेकर मामले को उलझाने की प्रवृत्ति दिखाई है। इन्हीं सब घटनाक्रमों से पुलिस ने सबक लेकर अपने थाने, चौकियों और परिसर की खैर खबर लेकर इन्हें सुरक्षित करना तय किया है और अपने अपने स्तर पर तमाम थाना प्रभारी, सीएसपी व्यक्तिगत प्रयास करके भी पुलिस की जमीन को बचाने के लिए प्रयासरत है। यहां विशेष रुप से उल्लेखनीय रहे कि इंदौर जिले में पचास से अधिक थाने और दर्जनभर से अधिक पुलिस चौकियां हैं और इनमें से अधिकांश स्थानों पर पुलिस की जमीन तो है लेकिन कहीं खुली पड़ी है और कहीं रखरखाव का अभाव है। लेकिन अब पुलिस खुद भी सचेत हो गई है और इसको लेकर पुलिस ने अपने स्तर पर भी पुख्ता प्रबंध आरंभ कर दिये हैं। कई मामलों में थाना प्रभारी खुद ही थानों की बाउंड्रीवाल और तार फेंसिंग करवा रहे है तो कुछ थाना प्रभारियों ने ऐसे मामलों में और ज्यादा सजगता दिखाते हुए क्षेत्रीय पटवारी और आरआई को भी यह कहकर तलब कर लिया है कि भाई बताओ तो सही हमारे थाने की जमीन की सरकारी दस्तावेजों में क्या स्थिति है। वैसे यातायात पुलिस के संसाधनों का जिस प्रकार सीएसपी सदर बाजार ने उपयोग किया है उसकी पुलिस महकमे में अच्छी खासी चर्चा है।
दर्जनों थानों की जमीनों पर संचालित हो रही है अवैध दुकानें
इंदौर में पचासों थानों और दर्जनों पुलिस चौकियों के आसपास एक खास बात देखने में आई है इन थानों और चौकियों के आसपास या परिसर से ही लगी हुई चाय-पान, नाश्ते की गुमटियां हैं जो कि पुलिसकर्मियों की ड्यूटी में कहीं न कहीं अप्रत्यक्ष रुप से सहायक की भूमिका निभा रही है। वह ड्यूटी कर के आते है या ड्यूटीपर जाते है तो यहीं से व्यवस्थित होकर जाते हैं। अब इतनी सुबह मैडम तो खाना बनाने से रही।

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