मिजाजपुर्सी और चावलों की जांच कर गए, कार्यकर्ताओं का दिल भी जीता

कहीं कोई प्रतिक्रिया नहीं केवल भरपूर सुनी सभी की

 

इंदौर। जिले के प्रभारी मंत्री नरोत्तम मिश्रा के दो दिवसीय दौरे में जहां उन्होंने इसे परिचयात्मक रखा तो वहीं कार्यकर्ताओं का दिल जीतने का भी प्रयास किया। उनके अभिन्न मित्र कैलाश विजयवर्गीय और मंत्री तुलसी सिलावट के यहां ही वे ज्यादा देर रुके, बाकी स्थानों पर केवल हाजिरी लगाने का ही काम उन्होंने किया। इस दौरे के दौरान उन्होंने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। दौरे के दौरान उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि उनका कोई खास नहीं है। कुल मिलाकर हंडी के चावल चेक करने के बाद वे इंदौर से रवाना हो गए। प्रभारी मंत्री होने के बाद पहले दौरे में ही उन्होंने कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं के बीच अपनी जगह बना ली। खासकर समितियों में नियुक्तियों को लेकर की गई घोषणा ने उन्हें सम्मान दिला दिया।
दो दिनी दौरे में वे शहर का मिजाज समझने के लिए आए थे। जहां उन्होंने प्रशासन स्तर पर चल रही कार्रवाई की समीक्षा की। इसके अलावा कोविड की तीसरी लहर को लेकर बड़े पैमाने पर तैयारियों का जायजा लिया और राष्ट्रीय खाद्य कार्यक्रम की समीक्षा भी उन्होंने की। पुलिस विभाग की पीठ भी वे थपथपा गए। संकेत दे गए ज्यादा हेरफेर नहीं है आप लोग अपना काम करिये। दूसरी ओर विधायकों की भी भरपूर सुनी। इस दौरान सुदर्शन गुप्ता के क्षेत्र में अस्पताल की समस्या को उन्होंने प्राथमिकता दी तो क्षेत्र क्रमांक 2 के विधायक रमेश मेंदोला के आग्रह पर एक अस्पताल का नाम बदलने पर भी सहमति दी। इसके अलावा विधायक महेंद्र हार्डिया के मूसाखेड़ी अस्पताल को लेकर चल रहे जमीन विवाद में भी निराकरण के लिए आश्वासन दिया। भोपाल से जब वे दौरे पर आ रहे थे उस दौरान केवल वे कैलाश विजयवर्गीय के निवास पर ही भोजन करने जाने वाले थे इसका कार्यक्रम भी इसी प्रकार जारी किया गया था, परंतु बाद में कई नाम जोड़ते गए। हालांकि वे जोड़े गए नामों में उनके निवास पर 6 मिनट से ज्यादा नहीं रुके, केवल तुलसी सिलावट और कैलाश विजयवर्गीय के यहां 1 घंटे से ज्यादा रुके। कैलाश विजयवर्गीय से उनकी एकांत चर्चा भी हुई। हालांकि इस बार नरोत्तम मिश्रा के भोज में घर के ही पकवान खिलाए गए थे, जबकि इसके पूर्व ज्योतिरादित्य सिंधिया के आगमन पर विजयवर्गीय के निवास पर कचौरी, समोसे से लेकर अन्य सामान भोज में प्रस्तुत किए गए थे। उनके स्वागत में जिन्होंने विज्ञापन जारी किए थे वे आखिरी तक भी उनके आसपास नहीं दिखाई दिए। इसके अलग-अलग कारण बताए जा रहे है। कार्यकर्ताओं से खुलकर मिलने के कारण कार्यकर्ताओं ने भी नरोत्तम मिश्रा की प्रशंसा की। कुल मिलाकर उनका यह दौरा नेताओं की स्थिति का आंकलन के साथ अपनी जमीनी तैयारी को लेकर भी था। इधर पिछले दिनों कैलाश विजयवर्गीय के एक बयान को लेकर बड़ी चर्चा रही है जिसमें उन्होंने कहा था कि वे इंदौर में रहते है खंडवा जाकर चुनाव क्यों लड़ेंगे। इस मामले में भी कुछ चर्चा जरूर हुई है।

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