गुस्ताखी माफ – दरी उठाते रहे भाजपाई, खीर खा गए मदारी…वरियता की बात मत करो…पहले नेताओं को भोग बाद में पंगत के आसार…

दरी उठाते रहे भाजपाई, खीर खा गए मदारी…
इन दिनों भाजपा में गलियारों से खेलने वालोंं को अच्छे मौके मिल रहे हैं। उधर कार्यकर्ता दरी उठा उठा कर बाल सफेदकरवाने में लगे रहें और दूसरी ओर किताबें बांटने वाले गोपनीय तरीके से पद ले रहे हैं। इंदौर के भी विद्यार्थी परिषद के एक नेता इन दिनों शिखर पद पर पहुंच गये वे भी संगठन मंत्री को ज्ञान बढ़ाने के लिए किताबें ही दिया करते थे। दूसरी ओर संघ के सहकार्यवाह को दत्तात्रेय होसबोले को भी जादूगर लंबे समय तक किताबें देते रहे। इस बीच उन्होंने दिल्ली की अटल बिहारी वाजपेई सरकार में भी कागजों में जादूगरी दिखाते हुए विदेश यात्रा का आनंद ले लिया था। अब जिसके साथ होसबोले हो उसके काम तो फिर बिना बोले ही हो जाएंगे। श्रीमानजी को लेकर दस्तावेजों में भी यह लिखा गया था कि भविष्य में इन्हें किसी भी सरकारी पद पर नहीं बैठाया जाए फिर भी जादूगरी और किताबें काम आई और वे एक नहीं मध्यप्रदेश के दो पदों पर विराजित हो गये साथ में केबिनेट मंत्री का दर्जा भी लूट लाए। भाजपा के प्रति उनका क्या समर्पण रहा यह तो नहीं मालूम पर व्यक्तिगत समर्पण ही भाजपा में काम आ रहा है। अब किताबें कौन सी आ जा रही है यह जानकारी हमारे पास नहीं है।
वरियता की बात मत करो…
पिछले दिनों निगम आयुक्त प्रतिभा पाल चंद दिनों के लिए अवकाश पर चली गईं। उन्होंने आयुक्त का प्रभार 64 कलाओं में पारंगत संदीप सोनी को दे दिया। वे वैसे भी कई विभाग देख रहे हैं। अब मजेदार बात यह है कि संदीप सोनी वरीयता के मामले में रजनीश कसेरा से जूनियर हैं, यानी फिर वही बात हुई कि तहसीलदार ज्ञान दे और डिप्टी कलेक्टर ज्ञान सुने। अब नगर निगम है, यहां तो दरोगा भी उपायुक्त पर कब भारी हो जाए, पता नहीं लगता।
पहले नेताओं को भोग बाद में पंगत के आसार…
शहर के भाजपा नेताओं की नजरें इस समय शहर इकाई के गठन को लेकर टिक गई हैं। शतरंज की मोहरों के बीच किसका जोर और किसका जरिया काम आएगा, यह तो वक्त बताएगा, पर जो आंकड़े सामने दिख रहे हैं, उसके अनुसार यह लग रहा है कि पार्टी की शहर इकाई के गठन के बाद कई लोग संगठन को हिलाने में लग जाएंगे। अभी भले ही वे खुद ही हिल रहे हों। अब एक नजर इस पर भी डाल लें कि नियुक्ति कैसी होंगी तो छह विधायक के एक-एक हो गए, दो पूर्व विधायक ले जाएंगे, एक पद भाजपा के वरिष्ठ नेता कृष्णमुरारी मोघे के कोटे में रहेगा तो फिर सांसद भी एकाध नाम तो लेकर चल ही रहे हैं। फिर एक नाम कैलाश विजयवर्गीय का भी है तो वहीं दो मंत्रियों के नाम होंगे यानी पेलवान और उषा दीदी। पेलवान के पास यूं तो 7-8 नाम जेब में रखे है। हालांकि पद एक ही मिलना है। इधर ले-देकर एकाध पत्ता तो अध्यक्ष का भी होगा। एक संगठन मंत्री का भी होगा। अब इसके बाद वैसे ही 22 हो रहे हैं। कार्यकारिणी इक्कीस की बनना है। अब भाजपा में कांग्रेस की संस्कृति पूरी तरह छा गई है। इसलिए पहले नेताओं को भोग लगाया जाएगा, अगर भोजन बचा तो फिर कार्यकर्ताओं के नंबर आएंगे, वरना दरी उठाने का कामकाज तो लंबे समय से कर ही रहे है आगे भी करना है। बाकी भाजपा नेता अब अगले किसी कामकाज में देखे जाएंगे।

 

 

 

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