प्राधिकरण का ५०० करोड़ का बजट, कोई नई योजना नहीं

इंदौर। इंदौर विकास प्राधिकरण इस माह के अंत तक अपना बजट पेश कर सकता है। बजट लगभग तैयार है, इसे संभागायुक्त के समक्ष रखने के बाद पारित कर दिया जाएगा, ताकि बजट को लेकर किसी प्रकार का विरोध सामने नहीं आ सके। बजट 500 करोड़ का होगा। बजट में कोई नई योजना को शामिल नहीं किया गया है। पुरानी योजना में सुपर कारीडोर पर हाईराइज बिल्डिंग बनाना, देवास नाका पर ट्रांसपोर्ट हब तैयार करना प्रस्तावित है। शिवाजी वाटिका पर बनाए जाने वाले एलिवेटेड ब्रिज को लेकर बजट में विचार नहीं किया जाएगा। ब्रिज की आवश्यकता और भविष्य के यातायात दबाव को देखते हुए इसका नए सिरे से सर्वे होने के बाद विचार किया जाएगा। यानि, एलिवेटेड ब्रिज इस साल आमजन को नहीं मिलेगा।
कोरोना संक्रमण के चलते नए वित्तीय वर्ष के प्रारंभिक दिनों में इंदौर विकास प्राधिकरण ने अपना बजट पेश नहीं किया था। प्राधिकरण के अधिकारी-कर्मचारी कोविड में लगे रहे। जून में अनलाक होने के बाद बजट पर मंथन शुरू हुआ। इसी बीच, सम्पदा विभाग में अप्रैल-मई माह में आई 200 शिकायतों का निराकरण किया गया। बजट पेश करने के लिए शहर के विकास पर फोकस किया गया, ताकि इन्हें एजेंडे में शामिल किया जा सके। वर्तमान में प्राधिकरण की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, ऐसे में नए विकास कार्य पर पैसा खर्च करना संभव नहीं है। यही कारण है कि बजट में कोई भी नई योजना शामिल नहीं की गई, ताकि खर्च से बचा जा सके। हालांकि, बजट पेश करने से पहले क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्र के विकास की बात रखी थी। सभी क्षेत्रों में जनप्रतिनिधियों के मुताबिक कार्य करना संभव नहीं है। यही कारण है कि इस सप्ताह पेश होने वाले बजट को संभागायुक्त ने तारीख नहीं दी। संभागायुक्त ने कुछ संशोधन करने के आदेश भी प्राधिकरण को दिए हैं।
सुधरेगा बेतरतीब यातायात
देवास नाका पर ट्रांसपोर्ट हब बनने से शहर की यातायात व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन हो जाएगा। काफी हद तक बेतरतीब यातायात में सुधार आ जाएगा। कई बार भारवाहक वाहनों के व्यस्ततम मार्गों से गुजरने पर दुर्घटनाएं होती रहती है। हब बनने से दुर्घटनाएं रोकने में भी मदद मिलेगी।
प्राधिकरण के सूत्रों की मानें तो लगातार दो साल से कोरोना संक्रमण के चलते अपेक्षाकृत टैक्स नहीं मिल सका है। कई सम्पत्तियों को बेचने की योजना को विराम देना पड़ा। पुरानी योजनाओं की लागत वर्तमान में बढ़ गई है, इसे देखते हुए योजना के लिए अलग से फंड रखा जाएगा। यही कारण है कि प्राधिकरण अभी 8 नए ब्रिज के प्रस्ताव को अधर में रखने पर मजबूर है।

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