विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2 और 4 के बीच आर पार की लड़ाई शुरू

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा हुए दूर

A do or die battle has begun between Assembly Constituency No. 2 and 4
A do or die battle has begun between Assembly Constituency No. 2 and 4

इंदौर। इन दोनों भाजपा पार्षदों से लेकर निगम अधिकारियों के साथ-साथ हो रहे लगातार विवाद के बाद अब स्थिति विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2 बनाम 4 के बीच भी विधायकों की अनबन एक तरह से शुरू हो गई है। भाजपा के पार्षदों के बीच विवाद के बाद विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 की विधायक मालिनी गौड ने जिस तरह से रूचि ली उससे विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2 के विधायक नाराज हैं।

पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी की स्थिति को देखते हुए यदि भाजपा संगठन ने कोई समझौता नहीं करवाया तो विवाद आगे बढ़ सकता है। मुख्यमंत्री मोहन यादव के पास भी मामला पहुंचा तो उन्होंने भी कोई खास रुचि नहीं ली है जबकि अब स्थिति आने वाले समय में और बिगड़ सकती है। indore bjp

दरअसल भाजपा के वार्ड क्रमांक 65 के पार्षद कमलेश कालरा जो विधानसभा क्षेत्र में कर के अंतर्गत आते हैं और विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2 के अंतर्गत वार्ड क्रमांक 24 से भाजपा पार्षद व मौजूदा मेयर इन काउंसिल के सदस्य जीतू यादव के बीच सोशल मीडिया पर खूब विवाद हुआ तो इसी बीच पार्षद कमलेश कालरा के घर पर कुछ लोगों द्वारा तोडफ़ोड़ की गई जिस पर जीतू यादव पर आरोप लगाने के बाद पार्षद कमलेश कालरा की ओर से विधानसभा क्षेत्र मांग कर के विधायक मालिनी गौड ने मेयर इन काउंसिल के सदस्य पार्षद जीतू यादव के खिलाफ जमकर मोर्चा खोल संबंधित थाने में शिकायत के साथ ही अपनी शिकायत मुख्यमंत्री मोहन यादव तक पहुंचाई है। इसी बीच विधायक रमेश मेंदोला भी अच्छे खासे नाराज नजर आ रहे हैं क्योंकि विधायक रमेश मेन्दोला समर्थक जीतू यादव है जो मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से भी जुड़े हुए हैं। अब स्थिति यह हो गई कि दो विधायकों के बीच अनबन की स्थिति आ रही है। ramesh mendola

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इसी बीच जब शिकायत भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के पास पहुंची तो उनके द्वारा भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। इसको देखते हुए तुरंत ही विधायक मालिनी गौड ने पूरी वस्तु स्थिति मुख्यमंत्री मोहन यादव को बताई है। अब देखा जाए तो इनके बीच की लड़ाई को विधायकों की दृष्टि से देखा जा रहा है। malini gaud

इसमें यहां से लेकर भोपाल दिल्ली तक शिकायत भी हो रही है। यह भी कहा जा रहा है कि बार-बार निगम अधिकारियों के बीच ही इस तरह की विवाद की स्थिति क्यों बनती है क्योंकि निगम अधिकारी भी सुनने को और काम करने को तैयार नहीं है। हर जगह लापरवाही के कारण ऐसी स्थिति निर्मित होती है क्योंकि जनप्रतिनिधि तो जनता के कहने पर ही काम करते हैं और निगम अधिकारी से लेकर कर्मचारी इस ओर ध्यान नहीं देते हैं। इसके बावजूद जिस तरह से दो पार्षदों के बीच में विवाद में जोर पड़ा है उसको देखते हुए ऐसा लग रहा है कि अब विवाद बहुत ऊपर तक जाएगा। इसके बीच समझौता भी आवश्यक है। यही कारण है कि अब भाजपा संगठन इस और कुछ कर सकता है। फिलहाल मामला रोचक बना हुआ है और विवाद की स्थिति बरकरार है।

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