25 लाख हीरा मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट
बिक्री लगातार कम, कई फैक्ट्रियों में ताले लगे, जी-7 देशों ने लगाए कड़े प्रतिबंध
सूरत (ब्यूरो)। 15 हजार करोड़ से ज्यादा के हीरों का निर्यात करने वाले गुजरात में हीरा कारोबार अब घोर संकट में फंस गया है। जी-7 देशों द्वारा रूस से भारत में लाकर कच्चे हीरे को तराशकर आकार देने को लेकर अब हीरों के आयात पर रोक लगा दी है। साथ ही आधा कैरेट से ऊपर के हीरे भी अब निर्यात नहीं किए जा सकेंगे। इसके चलते गुजरात के 25 लाख हीरा मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। कई जगह हीरा कंपनियों में ताले लगना शुरू हो गए हैं। देश की सबसे बड़ी कंपनी किरण जेम्स लगातार मजदूरों को ले-ऑफ दे रही है।
देश में सबसे ज्यादा हीरे तराशने का काम गुजरात के सूरत के अलावा जूनागढ़, जामनगर, भाव नगर, खटोड़ में होता है। इन हीरा तराशने वाली कंपनियों में 25 लाख से ज्यादा मजदूर हीरे तराशने का काम करते हैं। देश से इस समय 40 प्रतिशत से ज्यादा हीरों की बिक्री में कमी आ गई है। 26 हजार करोड़ से ज्यादा का कामकाज करने वाली कंपनियों का कारोबार घटकर 15 हजार करोड़ के लगभग आ गया है। दूसरी ओर यूरोपीय देशों के संगठन जी-7 ने रूस से कच्चे हीरे लाकर भारत में तराशने का काम किया जाता था, जिसके चलते इन सभी हीरों पर रोक लगा दी है। भारत से चीन और अमेरिका में सर्वाधिक बने हुए हीरों का निर्यात होता था। diamond workers
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इसके अलावा अन्य देशों में भी इसका निर्यात होता था। दूसरी ओर आधा कैरेट से ऊपर के हीरों को भी खरीदने पर रोक लगा दी गई है। सूरत में ही 7 लाख से ज्यादा हीरा मजदूर हीरे तराशने का काम करते हैं। पूरे गुजरात में 25 लाख से ज्यादा बताए जा रहे हैं। हीरे के निर्यात पर लगी रोक के कारण कई कंपनियों के पास भारी स्टॉक होने के कारण उन्होंने हीरे तराशना बंद कर दिए हैं। इसके चलते बड़ी तादाद में मजदूरोंं की छटनी प्रारंभ हो गई है। इन सभी के सामने रोजगार का नया संकट खड़ा हो गया है। इसके पहले गुजरात के सूरत में कपड़ा उद्योग पर पड़ी मार के कारण भी हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए थे।