राखी पर पांच लाख किलो मिठाई का कारोबार होगा
बंगाली और ड्रायफ्रूट से बनी मिठाईयों की मांग ज्यादा
इंदौर। दो दिन बाद राखी का पर्व मनाने को लेकर हर क्षेत्र में उत्साह देखा जा रहा है। सबसे ज्यादा उत्साह मिठाई कारोबारियों के बीच दिख रहा है। एक अनुमान के अनुसार शहर में पांच लाख किलो से ज्यादा मिठाई कारोबार होगा। इसमे शहर के छह बड़े मिठाई कारोबारियों के यहां लगभग डेढ़ हजार किलो प्रति संस्थान के हिसाब से कारोबार होगा इनमे से कुछ के यहां अभी से ही बुकिंग भी हो चुकी है।
इस समय शहर में मिठाई कारोबारियों में भंवरीलाल, अपना स्वीट्स, जेएमबी, मधुरम स्वीट्स, मथुरावाला प्रमुख है। इसके अलावा शहर में दूसरे और तीसरे क्रम में एक हजार दुकानें राखी के दिनों में मिठाई कारोबार करती है। इनमे हर दुकान से औसतन ६०० किलों से ज्यादा मिठाई बेची जाती है। इसमे इस बार बंगाली मिठाई के अलावा ड्रायफ्रूट की मिठाई के बाद मावे की मिठाईयों के नंबर लग रहे हैं। अधिकांश बड़े कारोबारी जिनकी साख है वे खुद ही अपने यहां मावा बनाकर मिठाई बनाने का काम कर रहे हैं। बाहर से आने वाले मावे को प्राथमिकता कम दी जा रही है। बड़े मिठाई कारोबारी के अनुसार राखी पर मिठाई का कुल कारोबार लगभग २५ करोड़ रुपये का होता है।
इस बार भद्रा के कारण राखी महोत्सव में राखी बांधने का काम एक बजे बाद ही प्रारंभ होगा परंतु मिठाई बनाने वाले सभी बड़े कारोबारियों के अलावा मिठाई कामकाज से जुड़ी दुकानों में मिठाई बनाने का काम कल सुबह से प्रारंभ हो जाएगा। अधिकांश जगहों पर आज तक मावे के अलावा बेसन और अन्य मिठाईयों को लेकर तैयारियां की गई है। बंगाली मिठाई के कारीगरों को इन दिनों के लिए अतिरिक्त भुगतान देकर भी बुलाया गया है। महू के मिठाई के प्रतिष्ठित कारोबारी भंवरीलाल की इंदौर स्थित दुकान पर मक्खन बड़े की सर्वाधिक मांग हो रही है।
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अगले दो दिन भी इसी मांग को पूरा करने को लेकर जहां तैयारी की गई है वहीं अपना स्वीट्स और मधुरम के मिठाई कारखानों में यह कोशिश हो रही है कि दुकानों पर पहुंची मिठाई ग्राहकों को ताजा ही मिले। शहर में छह बड़े मिठाई कारोबारियों के यहां इस समय मिठाई की सर्वाधिक मांग बनी रहती है। इस मामले में देवी अहिल्या मार्ग स्थित बाबाश्री स्वीट्स के मालिक रोहित उपाध्याय ने बताया कि इस बार हालात सामान्य होने के साथ माना जा रहा है कि मिठाई की मांग बढ़ेगी पिछली बार से ज्यादा मिठाई की मांग रहेगी।
इसमे मावे की मिठाईयां बेचने वाले वे दुकानदार जो सालभर अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए समझौता नहीं करते हैं खुद ही अपने यहां मावा बनाने का काम कर लेते हैं ताकि मावे की बनी मिठाईयों पर ग्राहकों के विश्वास को कोई आंच नहीं आये। रोहित उपाध्याय ने यह भी बताया कि इंदौर में नकली मावे से मिठाईयां बनाने का कारोबार नहीं होता है। जो कारोबारी केवल राखी के दिनों में ही मिठाई का कामकाज करते है उनमें से कई मावे में पावडर मिलाकर शुद्ध घी के बजाए डालडा घी का इस्तेमाल लाभ के लिए करते हैं क्योंकि उन्हें बाद में भी मिठाई बेचना नहीं रहती है वे केवल त्यौहार पर ही यह कामकाज करते हैं। परंतु जो दुकानदार अपनी प्रतिष्ठा के कारण पहचान बनाये हुए हैं वे ऐसे मामलों में कोई समझौता नहीं करते हैं। हालांकि मिठाईयों के भाव पिछले साल की अपेक्षा इस साल ज्यादा हैं। जहां मावे की मिठाईयों के भाव ४८० रुपये किलो है वहीं बंगाली ५५० रुपये और ड्रायफ्रूट्स से बनी मिठाईयां ९०० रुपये किलो तक बिक रही है। इस साल १००० रुपये किलो की मिठाईयां भी बाजार में उपलब्ध है। वहीं काजू कतली की मांग भी बनी हुई है।