तीसरा दूल्हा मौका था नौशाद पाकीज़ा के बेटे ओर बेटी की शादी का और अब्दुल्ला थे हमारे जिला अध्यक्ष रेहान शेख़ जिन्होंने हर इंतेजाम को चार चांद लगाने में कोई कसर नही छोड़ी थी। शादी सादी थी पर दावत शाही। मध्य प्रदेश की खुसूसी हस्तियों का जमावड़ा था, सियासी, सामाजिक, व्यापारी हस्तीया शामिल थी, उसमें ख़ास बात ये थी की दूल्हे तुफैल ओर जवाई के अलावा वक्फ बोर्ड चैयरमेन केबिनेट मंत्री डॉक्टर सनवर पटेल के बैठने के लिए अलग से स्टेज बना था, उनके नाम का फ्लेक्स लगा था पटेल अपनी पूरी वक्फ बोर्ड की टीम के साथ शादी में शामिल हुए। स्टेज पर बैठने से पहले तो इनकार किया पर नौशाद साहब के इसरार के बाद थोड़ी देर बैठे फिर नीचे सोफे पर बैठकर सादगी से सबसे मिलते रहें। अब साहब जितनी भीड़ दूल्हों से मिलने को लगी थी उससे ज्यादा दुमछल्ले पटेल साहब के इर्द गिर्द नजर आ रहे थे। सब देख हमे तो ये लगा कि शादी में तीसरे दूल्हे के तमग़ा डॉ साहब को मिलना चाहिए था…
मोर्चे पर मोर्चा… मोर्चे के पूर्व मुखिया रफत वारसी के मोर्चे से निकलने के बाद उनके पट्टे मोर्चे में मोर्चा तैयार कर रहे है। सभी पट्टे रफत की दोस्ती और दुश्मनी दोनो निभा रहे है। मोर्चे के नगर सेठ अपने विज्ञापनों में सनव्वर ओर एजाज दोनो के फोटू तक नही देते। पिछले दिनों मोर्चे के नए दूल्हे एजाज खान ने नगर कार्य समिति कराने का आदेश दिया, जिसमे अपने राजा बाबू ने नगर की टीम तो बुलाई पर प्रदेश कार्यकारणी से किसी को नही बुलाया जिसमे बबलु खान,नासिर शाह, नासिर राजे शामिल है। साथ ही बैठक के प्रभारी मोहिद पठान ओर रिजवान खान को बोलने तक नही दिया और उस पर सितम दोनो प्रभारियों के नाम भी किसी प्रेस नोट में नही दिए। कुल मिलाकर अब मोर्चे में मोर्चा तैयार होने लगा है…
खजराने उर्स में डॉ की सर्जरी… हमे तो अपनों ने लूटा गैरो में कहां दम था ये शेर उन लोगों पर सटीक बैठता है जो रिज़वान पटेल को नाहर शाह वली दरगाह का सदर बनने का झंडा उठाए हुए थे। ओर नासिर शाह, वकील पठान को नहीं बनना देना चाहते थे। मगर उर्स मेले की तैयारी में डॉक्टर ने गैरों के साथ अपने लोगों की भी पतंग काट कर मकर संक्रांति मना ली। उर्स मेला कमेटी मतलब (घोटाला कमेटी) नही बनाते हुए सारी भाग दौड़ खुदके हाथो में रखी है। उपसमिति की लोली पॉप ओर झुनझुना कुछ लोगों को पकड़ाया है। अब शाह पठान के साथ दोनों पार्षद और तमाम नेता, पटेल ,बा,पठान मंडल, कमंडल, पत्रकार एक दूसरे से नजर नहीं मिला पा रहे हैं। कुछ रिजवान पटेल की सर्जरी में नुख्स निकाल रहे है तो कुछ उससे खुश खुर्रम दिखाई दे रहे है। अब आगे देखते है इस उर्स में किस किस के मुगालते दूर होते हैं।
याद ए राहत… जब राहत इंदौरी हयात थे तो इंदौर वालों की मोहब्ब्त उनके लिए शायरी से बढ़कर थी,इसीलिए इंदौर के मुशायरो में सबसे बाद में राहत को पढ़वाया जाता था, क्योंकि अगर राहत साहब ने पहले पढ़ लिया तो समाईन उनको सुनकर घर लौट आते थे, चाहे कितना भी बड़ा शायर डाइज पर मौजूद हो, उनके चले जाने के बाद उनकी याद में इंदौर से लेकर भोपाल तक मुशायरे इस माह हुए है, पर उनकी शानाए शान तक नहीं पहुच सके एक और बड़ा मुशायरा, याद ए राहत नाम से 17 फरवरी को होने जा रहा हैं, इसमें जावेद अख्तर से लेकर दुनिया के मारूफ शायर फेहरिस्त में है ये कितना कामयाब होगा ये तो वक्त बताएगा…