आचार संहिता सिर पर, एक माह में ही दो करोड़ की फाइलें नगर निगम में दौड़ने लगी

पहले से ही स्वीकृत कार्यों के लिए बजट नहीं, ठेकेदारों ने हाथ ऊंचे किये

इंदौर। जैसे जैसे चुनाव की आचार संहिता का समय करीब आ रहा है वैसे वैसे नगर निगम में पार्षदों के वार्डों में विकास कार्यों को लेकर फाइलें तेजी से बढ़ रही है। एक माह में ही जनकार्य विभाग में विकास कार्यों की दो करोड़ रुपये की फाईलें पहुंच चुकी है। इसमे पूरे ८५ वार्डों में विकास कार्य किए जाने है। अब इन सभी की स्वीकृति लेनी होगी। इसके लिए पार्षद लगे हुए हैं क्योंकि सरकार बदल भी गई तो भी अनुमति वाले कार्यों के लिए बजट का प्रावधान रहेगा।

नगर निगम को पहले से ही ८०० करोड़ से ज्यादा के भुगतान पुराने कार्यों के देना शेष है वहीं दूसरी ओर लगातार राज्य सरकार चूंगी में दिये गये पैसों पर भी कैची चला रही है। पिछले दिनों जारी की गई राशि में से लगभग २७ करोड़ रुपये नगर निगम के काटकर बिजली कंपनी में जमा करा दिये गये है। बिजली कंपनी ने दो सौ करोड़ रुपये की वसूली का नोटिस नगर निगम को पहले से ही दे रखा है वहीं नई परिषद में करोड़ों रुपये के काम स्वीकृत किये जाने को लेकर फाइलें तेजी से बढ़ रही है। एक ओर नगर निगम के पास वेतन बांटने के लाले पड़ रहे हैं तो दूसरी ओर नगर निगम में चुन कर गये जनप्रतिनिधि भी नगर निगम के राजस्व को कैसे बढ़ाया जाए इसे लेकर कोई प्रयास नहीं है जबकि अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों को लेकर फाइलें तेजी से बनाकर लगाई जा रही है हर वार्ड में ८ से १० फाइलें बनी हुई है।

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इसके चलते अब नगर निगम में भी खींचतान शुरु हो जाएगी क्योंकि निगमायुक्त आर्थिक स्थिति देखते हुए केवल आवश्यक कार्यों की ही फाइलें आगे बढ़ा रही है। दूसरी ओर पहले से ही नगर निगम द्वारा स्वीकृत किये गये कार्यों की फाइलें बजट के अभाव में घूम रही है। दूसरी ओर पार्षद महापौर पर दबाव बना रहे हैं कि आचार संहिता लगने से पहले उनके कार्य स्वीकृत होकर टैंडर जारी हो जाए।

इधर निगमायुक्त ने स्पष्ट कर दिया है कि केवल वे ही कार्यों की फाइलें प्राथमिकता पर स्वीकृत की जाएगी जो महत्वपूर्ण है। इस मामले में पार्षदों का कहना है यदि अभी कार्य स्वीकृत नहीं हुए तो फाइलें दिसंबर तक उलझी रहेगी। उसके बाद लोकसभा के चुनाव के कारण फिर कुछ ही महीने में आचार सहिता लग जाएगी ऐसे में क्षेत्र के लोगों को क्या जवाब दिया जाएगा।

एक नजर हालात पर..
नगर निगम का हर माह का स्थापना खर्च ६५ करोड़ रुपये के लगभग है इसमे नर्मदा से पानी लाने पर १८ करोड़ रुपये और ३५ करोड़ रुपये के लगभग वेतन पर इसके अलावा अन्य मद में राशि खर्च होती है वहीं कर्ज की किश्तें भी देनी होती है। वेतन ही तीन टूकड़ों में बांटा जा रहा है इधर पुराने ठेकेदारों ने नये कार्य करने से हाथ खींच लिए है क्योंकि बड़ी राशि ठेकेदारों की लंबे समय से उलझी हुई है।

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