80 प्रतिशत सोयाबीन की फसल हुई पूरी तरह खराब

बारिश हुई तो भी अब कोई फायदा नहीं, 60 दिन वाली सोयाबीन भी नहीं बची

80 percent soybean crop was completely damaged
80 percent soybean crop was completely damaged

इंदौर (धर्मेन्द्र सिंह चौहान)। जिले में सोयाबीन के साथ ही 60 दिनों में पकने वाली खरीब की फसल भी अल्पवर्षा के चलते 80 प्रतिशत तक बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गई है। अल्पवर्षा और तेज धूप के कारण खेतों में खड़ी फसल सूख रही है। फसल में लगे फूल झड़ रहे हैं। महंगे बीज खरीदने के बाद कड़ी मेहनत करके खेतों में बोई गई फसल को इस तरह बर्बाद होते देख किसान आंसू बहाने को मजबूर हो रहे हैं। बाउजूद इसके शासन-प्रशासन ने अभी तक किसानों की कोई सुध नहीं ली।

जानकारी के अनुसार प्रदेश भर में हुई अल्पवर्षा के बाद गर्मी और उमस के कारण फसलों में येलो मोजेक और इल्लियां के कारण फसल बर्बाद हो रही है। जिले के करीब 25 गांवों में खरीफ सीजन की फसल पूरी तरह से बर्बादी की कगार पर पहुंच गई हैं। यही कारण हैं कि इन दिनों दालों के भाव आसमान छू रहे हैं, तो आने वाले समय में खाद्य तेलों के दाम भी आम लोगों की जेबों पर अतिरिक्त बोझ डालेंगे। जिले में सिर्फ सोयाबीन की फसल ही 2 लाख 20 हजार 110 हेक्टर में बोई हैं।

इसके अलावा मक्का 8500 हेक्टर, ज्वार 249 हेक्टर, उड़द 500 हेक्टर व मूँगफली 700 हेक्टर के साथ ही प्रमुख रुप से तुअर 1820 हेक्टर बोई की बुआई की गई हैं। अल्पवर्षा के चलते तकरीबन 80 प्रतिशत खरीब की फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच गई। ऐसे में अगले साल सोयाबीन के तेल में भारी बढ़ोतरी की संभावना अभी से देखी जा रही हैं।

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जबकि दालों के भाव अभी से आसमान छू रहे हैं। चुनावी साल होने से इस बार तेल के भावों में काफी गिरावट देखी जा रही हैं, अगर बारिश नहीं हुई तो जहां किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेंगा वहीं आम जनता की जेब पर भी अतिरिक्त बोझ बड़ जाएगा।

इस बार इंदौर जिले में औसत से बहुत कम बारिश हुई है। जिसके कारण खेतों में खड़ी सोयाबीन के साथ ही अन्य खरीब की फसल अब सूखने लगी है। चिलचिलाती धूप के कारण फसले फलने-फुलने से पहले ही मुरझा गई हैं। ऐसे में किसानों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा हैं।

किसानों ने अच्छे कीस्म की खाद-बीज व कीटनाशक खरीदकर खेतों में खरीब की फसल की बुआई की थी। लेकिन अगस्त महीने में हुई बहुत कम बारीश ने फसलें खराब कर दी है। कर्ज में डूबे किसान सरकार से आस लगाए बैठे हैं।

मगर सरकार को किसानों से ज्यादा चुनाव की चिंता सताए जा रही हैं। यही कारण हैं कि सरकार ने अभी तक बर्बाद फसलों का सर्वे तक करवाने के आदेश नहीं दिए। ऐसे में किसान किससे मदद की गुहार लगाए।

किसानों को पड़ सकती हैं दोहरी आर्थिक मार

अल्पवर्षा के चलते इस बार नदी, नालों के साथ ही तालाब और कुएं बाउडिय़ों जैसे जल संसाधन के ोत भी खाली हैं। जबकि वर्षा ऋतु का अंतिम महिना सितम्बर के भी चार दिन तेज धूप में निकल गए हैं। ऐसे में यदि सितम्बर माह में भी कम बारिश होती हैं तो जल संसाधन नहीं भर पाएंगे। जिससे रबी की फसल पर भी काफी बुरा असर तो पड़ेगा ही साथ ही बुआई का रकबा भी कम हो जाएगा। जिससे किसानों को दोहरे आर्थिक संकट की मार पड़ सकती हैं।

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