इंदौर। ऐसा लगता है मानों इंदौर जिले से मानसून रूठ गया है। यही वजह है, कि जहां अगस्त माह सूखा ही गुजरा, वहीं सितंबर में भी बारिश के कोई आसार नजर नहीें आ रहे हैं। फिर, कोई नया सिस्टम भी सक्रिय नहीं है।
मौसम विभाग के अनुसार इस बार मानसून की टर्फ लाइन हिमालय के तराई वाले क्षेत्र के उपर बताई जा रही हैं। वहीं मानसून की गतिविधियां भी उत्तराखंड, हिमाचाल, दिल्ली वाले हिस्से में अधिक रही है। ऐसे में प्रदेश सहित शहर में कब दबाव के क्षेत्र भी नहीं बन पाए हैं।
नतीजतन अगस्त माह सूखा गया और पूरे माह में महज पौने दो इंच बारिश ही हुई, जो पिछले दस साल में सबसे कम आंकी गई है। फिर, सितंबर में मानसून सक्रिय होने के अब तक कोई आसार नजर नहीं आ रहे है। ज्ञातव्य है कि सितंबर माह में मानसून का समापन माना जाता हैं। यदि इस माह लोकल सिस्टम बनता है तो ही जिले भर में बारिश के आसार बनेंगे।
दरअसल,इंदौर जिले में बारिश का कोटा 40 इंच के लगभग होता हैं, मगर इस बार अब तक कुल 25 इंच के लगभग ही बरसात हुई, यानि कि निर्धारित कोटे से 15 इंच कम। इस कारण किसानों के साथ ही शहरवासियों की भी चिंता बढ गई हैं। किसानों की चिंता जहां फसल को लेकर हैं, वहीं शहरवासियों को अभी से जल संकट की समस्या सताने लगी हैं।
अगर देखा जाए तो सितंबर माह में इस बार पिछले 5 सालों का बारिश का रिकोर्ड टूट सकता है। पिछले पांच सालों में इस बार सितम्बर माह में सबसे कम बारिश होने की आशंका जताई जा रही हैं, पिछले पांच सालों की अपेक्षा सबसे कम बारिश हो सकती हैं।
बीते दस साल में दर्ज बारिश का रिकार्ड….
इंदौर में पिछले 10 सालों में बारिश के रिकार्ड पर नजर डाली जाए तो 2014 में 9 दिन हुई बारिश में 6.93 इंच (176.2 मिलिमीटर) दर्ज की गई। 2015 में मात्र 4 दिन की बारिश में 2.39 इंच (60.8 मिलिमीटर), जबकि 2016 के सितम्बर माह में 5 दिन बारिश हुई जिसमें 1.75 इंच (44.7 मिलिमीटर), दर्ज की गई। वही बात करें 2017 की तो इस साल के 30 दिनों में 10 दिन वर्षा हुई इस दौरान 5.9 इंच (150 मिलिमीटर) दर्ज की गई। 2018 में 8.03 इंच (204.10 मिलिमीटर),2019 में पिछले दस सालों में सबसे अधिक 22 दिन बारिश हुई जिसमें 16.9 इंच यानि कि (430.10 मिलिमीटर), दर्ज की गई। 2020 में 12 दिनों में 7.55 इंच (192.80 मिलिमीटर), 2021 में 19 दिनों में 14.86 इंच (377.60 मिलिमीटर) 2022 में 11 दिनों की बारिश में 9.93 इंच (252.40 मिलिमीटर) बारिश दर्ज हुई थी। इस तरह देखा जाए तो पिछले दस सालों में 2019 के 22 दिनों में सबसे अधिकह्यह्य 16.5 इंच बारिश हुई थी। इस तरह 2019, 2020, 2021 और 2022 में लगातार अच्छी बारिश दर्ज की गई थी। जबकि इस साल जुलाई माह में पिछले 10 सालों में सबसे अधिक बारिश हुई थी। Bad monsoon drought in August and no chance of rain in September
कूलर पंखों की आवश्यकता बढी…
किसी भी प्रभावी मौसम प्रणाली के सक्रिय नहीं होने से मानसून अभी थमा हुआ है, जिसके चलते वर्षा का दौर थम गया हैं। ऐसे में दिन के तापमान में बढ़ोतरी होने लगी है। मौसम विभाग के अनुसार मानसून द्रोणिका भी अपनी सामान्य स्थिति से ऊपर चली गई है। इस वजह से अभी तीन-चार दिन तक बारिश की कोई उम्मीद नहीं है। ऐसे में कूलर पंखों की आवश्यकता अधिक होने लगी हैं।
वर्षामापी से नापते हैं बारिश
किसी भी जगह पर हुई बारिश को नापने के लिए वर्षामापी का इस्तेमाल किया जाता है। वर्षामापी यंत्र से बारिश को इंच या मिलीमीटर में नापा जाता है। वैसे तो आजकल कई तरह के वर्षामापी यंत्र बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। फिर भी सबसे ज्यादा इस्तेमाल पुराने वर्षामापी यंत्रों का ही किया जा रहा हैं। वर्षामापी यंत्र में पैमाना वाली कांच की बोतल प्लास्टिक के बेलनाकार डिब्बे में रखी जाती है। इसके बाद, बोतल के मुंह पर एक कीप रख उसे खुली और सुरक्षित जगह पर रख दिया जाता है। कीप का व्यास बोतल के व्यास से 10 गुना अधिक होता है।