हां तो साहब बात प्रदेश की राजधानी की है, हुआ यू की भोपाल के पुराने इलाके में करीब दो दशको बाद यौमे आज़ादी पर लंबी रैली निकाली जाती है, सभी मजाहिब के साथ निकाली जाने वाली इस रैली का जिम्मा एक पुराने मुस्लिम विधायक जो कि लाल बत्ती का मजा ले चुके है, उनके हाथों में रहता है, जिस पर इस बार एक केसरिया गमछेधारी विधायक को भी रैली निलकालने की खुजली हो गई, तो साहब नेता जी ने एक ही धर्म के साथ 14, अगस्त को रैला निकाल मारा, लेकिन साहब भूल गए कि 14 अगस्त पाकिस्तन का आजादी दिवस है । अब मुस्लिम नेताओ के मन मे बुलबुले उठ रहे है, कि ये गुनाह अगर हम से हो जाता तो पता नही किस किस का और कहां-कहां से धुंआ उठ पड़ता।
कई को ले डूबेंगे, सनम…
मामला खण्डवा का है ज़हा एक आरटीओ के वसूलीबाज़ साहब जो आगे पत्रकार भी लगाते है, साहब ने वसूली के साथ कई जमीन और प्लाटो पर भी जादूगरी की है, मजे की बात तो अब है । सहब के पास अलग अलग नाम के आधार कार्ड मौजूद है। सबके आधार नम्बर भी अलग । इसके बाद इनका असली नाम शायद इन्हें भी नही पता। कई जगह तो साहब ने अब्बू भी बदल लिए , मतलब (नाम) कही रहीम मंसूरी तो कही अब्दुल गनी, खैर लेकिन अब खेल बिगड़ने वाला है । साहब पहले भी जेल की हवा खा चुके है। फिर से शिकायतों का पुलिंदा तैयार है । साहब शिक्षा विभाग ,जेल विभाग, और कई पुलिस अधिकारियों की नौकरियों पर तलवार बन लटक रहे है। अब हमें तो साहब का असली नाम पता नहीं इसलिए हम नाम नहीं लिख रहे। ये मसला किसी के पल्ले पड़े न पड़े, लेकिन उनके जरूर पल्ले पड जयगा जिस-जिस की नौकरी साहब की वजह से जा सकती है।
एक भी टिकट नही…
भाजपा की विधानसभा टिकटों की पहली सूची में जहां प्रदेश की तीनो मुस्लिम बहुल सीटों में एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया गया है, जिनमें दो भोपाल और एक बुरहानपुर की है। भोपाल में पहले एक सीट से आरिफ बेग विधायक भी रह चुके हैं, लेकिन इस बार भाजपा का रवैया मुसलमानों की लिए साफ दिख रहा है।