भूमाफियाओं को लेकर बनी कमेटी मंगलवार तक अपनी रिपोर्ट उच्च् न्यायालय को पेश करेगी

अभी भी कई लोगों को नहीं मिला न्याय, हैप्पी धवन की डायरियां अभी भी उलझी

इंदौर। इंदौर हाई कोर्ट द्वारा शहर के भूखण्ड पीडितों को न्याय दिलाने के लिए बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट अभी तैयार नहीं हुई है। सेवानिवृत्त न्यायधीश आई.एस. श्रीवास्तव पिछले 48 घंटे से इस रिपोर्ट को तैयार कर रहे हैं। अभी इस रिपोर्ट में प्लाट के निराकरण को लेकर किसी प्रकार की जानकारी कमेटी द्वारा नहीं जारी की गई है। उल्लेखनीय है कि फिनिक्स, कालिंदी गोल्ड और सेटेलाइट में 255 से अधिक प्लाटों के आवंटन को लेकर कमेटी के समक्ष सुनवाई हुई थी, जिसमें बाद भी में शिकायतें जुड़ती रही। इसमें कालिंदी गोल्ड में डायरियों से उगाए 10 करोड़ रुपए से ज्यादा लेने वाले हैप्पी धवन यह पैसे वापस करने को तैयार नहीं है।

भूखण्ड पीड़ितों को लेकर साढे तीन माह चली सुनवाई के बाद अब उच्च न्यायालय में कमेटी को रिपोर्ट पेश करनी है। पिछले 48 घंटों में कमेटी के मुखिया जस्टिस आई. एस.श्रीवास्तव ने अभी कमेटी में हुए कथन को लेकर ही प्रक्रिया प्रारंभ की है। पूरी रिपोर्ट मंगलवार तक ही बनने के बाद उच्च न्यायालय में पेश हो जाएगी। इस मामले में रितेश अजमेरा के वकीलों का कहना है कि फिनिक्स टाउननशिप के उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार निराकरण किए गए है। इधर कालिंदी को लेकर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है।

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चिराग शाह के अभिभाषकों का कहना है कि कालिंदी में कुछ ही प्रकरण शेष है, जिनमें उच्चतम न्यायालय की स्टेट्स रिपोर्ट के अनुसार काम किया गया है। हालांकि अभी भी यहां पर कई डायरियों को लेकर मामला उलझा हुआ है। सबसे ज्यादा घोटाले कालिंदी गोल्ड में हैप्पी धवन के ही है। 10 करोड़ रुपए से ज्यादा की डायरियां बनाने वाले धवन पहले तो डायरियों पर अपने हस्ताक्षर से ही इनकार रहे थे, परन्तु हस्ताक्षर विशेषज्ञों द्वारा जब यह बताया गया कि डायरियों पर हस्ताक्षर उन्हीं के है तो उन्होंने अब पैसे देने से इनकार कर दिया। उल्लेखनीय है कि हैप्पी धवन कांग्रेस के बड़़े नेताओं के परिवार से है और वे सरकार बदलने का इंतजार कर रहे हैं। अभी दूसरी ओर मेडिकेप्स के प्रमुख रमेश मित्तल से जुड़े 43 प्लाटों के मामले में भी कमेटी ने कोई जानकारी तैयार नहीं की है। आज कालिंदी गोल्ड ओर सेटेलाइट के बाद फिनिक्स के मामले में रिपोर्ट बनाने का काम प्रारंभ होगा।

मत खरीदिए डायरियों पर शहर में भूखण्ड

अपने भूखण्ड की लड़ाई लड़ रहे पीड़ितों ने कहा कि वे 10 साल हो गए अपने भूखण्ड नहीं ले पा रहे हैं। दूसरी ओर कई डायरी पर लेन देन करने वाले भूखण्ड धारकों ने कहा कि डायरियों पर शहर में भूखण्ड नहीं खरीदना चाहिए और यदि खरीद रहे तो प्लाट बेचने वाला मूल मालिक कालोनाइजर से ही डायरी पर पूरे पैसे लिखाकर अपने सामने ही हस्ताक्षर ले। अधिकांश जगहों पर कालोनाइजर एक लाख रुपए की डायरी में 1 हजार की इंट्री करते है। बाद में यह मामले उलझ जाते है।

10 से अधिक टाउनशिप में घूम रहे है डायरी लेकर

सुपरकारिडोर से लेकर बायपास तक 10 से अधिक टाउनशिप जमीनों के जालसाजों ने काट रखी है। इसमें बड़ा लेनदेन डायरियों पर होने के बाद अब यहां पर भूखण्ड न देते हुए डायरियों के पैसे वापस करने की तैयारी कर प्लाट होल्डरों को धमकाया तक जा रहा है। यहां तक कहा जा रहा है कि कोर्ट तक फैसले नहीं कर पा रही है। कई वर्ष लग जाएगें भूखण्ड भी नहीं मिलेगा। प्रशासन का खौफ अब दलालों पर भी समाप्त हो गया है। एक बार फिर बांड ओवर करने वाले दलाल फिर से शहर के जमीनों के जालसाजों की जमीनें डायरियों पर बिकवाने लग गए है।

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