गुस्ताखी माफ़: रामायण और महाभारत तो हो गई, पर उनका क्या हुआ भिया…दयालू की रियासत में सियासत का दौर शुरू…

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रामायण और महाभारत तो हो गई, पर उनका क्या हुआ भिया…

पलासिया चौराहे पर पिछले दिनों बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने शहर में बिक रहे मादक द्रव्यों को लेकर जो प्रदर्शन किया, बाद में प्रदर्शन से लेकर चक्काजाम तक गाड़ी बढ़ी और फिर लाठीचार्ज के साथ यहां अच्छी-खासी महाभारत भी हो गई। अब दोनों ही तरफ तलवारें खिंची हुई हैं। पुलिस विभाग बड़े पैमाने पर अपनी डीपी पर खाकी के सम्मान की लड़ाई लड़ने की बात कर रहा है तो दूसरी तरफ बजरंग दल के नेता भी अब मोर्चा खोलकर खड़े हो गए हैं। बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि इस पूरे विवाद की जड़ कहां से शुरू हुई। बताने वाले बता रहे हैं कि राजवाड़ा के पास बने महालक्ष्मी मंदिर के समीप कमाल खान नाम के एक व्यक्ति की छोटी-सी दुकान थी, जो धीरे-धीरे फैलती चली गई। कमाल खान के दो बेटे माज खान और बिलाल खान, जो मादक द्रव्यों के मामले में फरार चल रहे हैं, बजरंग दल और विहिप ने लंबे समय से इनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, परंतु इन दोनों को भाजपा के ही बड़े नेताओं का इतना संरक्षण था कि नगर निगम की गैंग भी कमाल खान की दुकान का बाल बांका नहीं कर पाई और इन्हीं दोनों को लेकर ज्ञापन भी दिए गए। दोनों ही मादक द्रव्यों के मामले में घोषित रूप से फरार हैं। बजरंग दल के नेताओं की पुलिस ने अच्छी ठुकाई तो कर दी, पर बाद में यह मामला भाजपा के लिए ही गले की हड्डी बन गया। मुख्यमंत्री, जिनका पूरी रामायण से लेकर महाभारत तक कोई लेना-देना नहीं था, बैठे-बिठाए नमाज से लेकर रोजे तक गले करवा बैठे। इधर भाजपा के स्थानीय नेता अभी भी बिलाल और माज खान को बचाने में लगे हुए हैं। आज भी महालक्ष्मी मंदिर के पास कमाल खान का साम्राज्य फैला हुआ है। हरसिद्धि प्रखंड में विहिप और बजरंग दल के अनिल पाटीदार पर इन्हीं के कहने से मुकदमा भी दर्ज हो चुका है, यानी सारी महाभारत के बाद भी ÓकमालÓ की बात है कि दोनों का बाल बांका नहीं हुआ। क्यों नहीं हो पा रहा है, यह भी सोचने की बात है। हमारे नहीं, बजरंग दल और विहिप कार्यकर्ताओं के लिए। funny political news

दयालू की रियासत में सियासत का दौर शुरू…

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इन दिनों दादा दयालू की रियासत में कुछ लोग अलग से सियासत कर रहे हैं। कई लोगों को यह बात हजम नहीं हो रही है। वैसे तो दादा कई जगह पर तो सहज भाव से जाकर होने वाले कार्यों को रफ्तार देने के लिए अपनी भूमिका निभाते हैं, परंतु इन दिनों नगर निगम के सभापति मुन्नालाल यादव दो नंबर में ही दादा की जड़ों में दही डालने का काम कर रहे हैं। मामला ऐसा है कि पिछले दिनों सत्यम विहार में सड़क के निर्माण का कार्य प्रारंभ होना था। इस मामले में क्षेत्र के पार्षद और निगम सभापति मुन्नालाल यादव ने दादा दयालू को दरकिनार कर उनके ही पुराने सिपहसालार मुन्ना डॉक्टर से गेती लगवा दी। मुन्नालाल यादव वैसे भी दादा दयालू से अपनी दूरी बना कर रखते हैं। लंबे समय से वे दादा दयालू के यहां आते-जाते भी नहीं हैं। उनके नेता भिया हैं और वे ही सबकुछ हैं। अब यह तो वक्त बताएगा कि आने वाला समय किसके लिए भारी होगा। हालांकि यह मामला कोई आज का नहीं है। इसके पहले मुन्नालाल यादव के टैंकर बजरंग नगर पानी टंकी से आधी रात भरे जाते थे। यह वार्ड के बजाय कहीं और जाने को लेकर दादा दयालू को जब क्षेत्र के लोगों ने शिकायत की तो वे आधी रात टंकी पर पहुंचे। यहां पर मुन्नालाल यादव के भरा रहे टैंकरों को लेकर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की। इस दौरान उन्होंने सभापतिजी को फोन भी लगाया, पर उन्होंने फोन नहीं उठाया और न ही अगले दिन सुबह लगाया। हालांकि उसी रात दादा दयालू ने झोनल अधिकारी उमेश पाटीदार को बुलाकर जमकर लू उतारी। हालांकि इसके बाद भी आधी रात को सभापतिजी के टैंकर पूरे रुतबे के साथ भरा रहे हैं।
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