सुलेमानी चाय: कर्बला मेले में बिर्रटी के साथ छोटे पठान की एंट्री…वक्फ बोर्ड के चुलबुल पांडे…

हज हाउस मेहरबान तो दाऊद पहलवान...आसानी से गुनगुनाई जा रही खजराने में गजल...

सुलेमानी चाय

कर्बला मेले में बिर्रटी के साथ छोटे पठान की एंट्री…

शहर में भजपा का साथ देने वालो सबसे पुराने मुस्लिम नेताओ में शुमार खुरासान पठान के बेटे छोटे पठान की हालत फिलहाल नासाज है। संजय शुक्ला के विधानसभा चुनाव के साथ महापौर चुनाव में भी छोटे पठान ने शुक्ला का साथ पार्टी की गाइड लाइन से हट कर दिया था। उस वक्त गोपी नेमा के साथ-साथ शहर के कई बड़े भाजपा नेताओं ने पठान को समझाया था लेकिन पठान की यारी सब पर भारी रही, और उन्होंने किसी की भी नहीं सुनी। लेकिन फिर से मोहर्रम आने वाले हैं और कर्बला का मेला सजने वाला है जिसको लेकर छोटे पठान लठ लेकर बीजेपी ऑफिस के चक्कर काट रहे है। अब पठान साहब की बिर्राटी से सनव्वर खुश होते है या नही ये तो वक्त ही बतायेगा।

वक्फ बोर्ड के चुलबुल पांडे…

प्रदेश वक्फ बोर्ड के मुखिया डॉ सनव्वर पटेल ने आते है धामा चौकड़ी मचा दी है। छोटे मोटे ऑपरेशन तो सहब अपनी टेबल पर ही निपटा रहे है। इंजेक्शन भी टाइम टू टाइम लगाए जा रहे है। लगता है. बत्ती मिलने के बाद साहब की बत्ती जल गई है । इंदौर में खसरा 205, पर साहब एक्टिव है साथ ही वक्फ की दूसरी मिल्कियत पर भी साहब फिक्रमंद है अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस बार वक्फ का कुछ भला हो सकता है। बाकी तो पिछले जिम्मेदारों ने कबाड़ा करने में कोई कसर नही छोडी है।

हज हाउस मेहरबान तो दाऊद पहलवान…

हज की सारी तैयारियां मुकम्मल होने को हे। लेकिन रफत साहब है कि रफ्तार ही नही पकड़ पा रहे , तबीयत की नासाजी जिस कारण मुस्लिम हलकों में कानाफुसी चल पड़ी है, की साहब ने बत्ती सिर्फ बत्ती देने के लिए ही ली है क्या… कुछ काम वाम भी करना है..! दूसरा सवाल बिना सरकारी मंजूरी लिए बाले-बाले बना दिए गए ओएसडी दाऊद साहब को लेकर उठ रहा है। रफत की रफ्तार में ऐसी क्या कमी रह गई कि रिटायर अधिकारी जिन पर पहले लोकायुक्त जांच, ईओडब्ल्यू जांच के साथ-साथ विभागीय पकड़ भी चल रही है। उन्हें ही ओएसडी की टोपी पहनाई गई। कहने वाले चूके नहीं रहे है कि साहब हाजियों को पहले क्या कम चूना लगाकर गए थे, यह उसमें कुछ कसर बाकी रह गई थी। हरिरामो की सुने तो साहब को हज हाउस की गाड़ी अच्छी तरह से चलना आती है, फिलहाल तो हज हाउस ओएसडी साहब के ज़ेरे नजर है, क्योंकि साहब को तिलहन में से तेल निकलना आता है।

आसानी से गुनगुनाई जा रही खजराने में गजल…

शहर में अपनी अलबेले अंदाज़ की वजह से जाने जाने वाला खजराने में इन दिनों अलबेली,, गजल,, के चर्चे है, लोगो का कहना है कि इस ग़ज़ल की बात ही कुछ निराली है ,फिलहाल तो इनकी चारो उंगली घी में तो सर कड़ाई में है, खजराने में जमीनी जादूगरी बहुत तेजी से चल रही है, लेकिन इस जादूगरी में गजल को बहुत धीमे धीमे गुनगुना पड़ता है। इस ग़ज़ल को गुनगुनाये बिना खजराने में जमीनी जादूगरी ना मुमकिन है । जिन जिन अवैध जगहों पर ये गजल बजती है सरकारी अधिकारी उधर का रुख भी नही करते। खैर हमे क्या लेकिन हमारी इस ग़ज़ल का झोन दस की बीओ गजल खन्ना ओर ताज गृह निर्माण संस्था से कोई लेना देना नही है।

Also Read – सुलेमानी चाय: रफत को पसंद है रफ्तार वाली गाड़ी…गुरु गुड़ और चेला शकर…कोठारी को मिली ईदी…

बाजे जो पठान

एक सीधे सादे और सरल स्वभाव के इंसान को जब राजनीति ग्लेमर भा जाता है तो वो इत्ता सीधा नही रहता,,,,वैसे तो पठान लोग भी ठेठ से थोड़े तिरछे रहते है ,लेकिन आज़ाद नगर के एक पठान थोड़े अलग है। उनकी भोली मुस्कान और मीठी ज़बान भी पार्षदी का तमगा नही दिला पाई। तीसरी बार भी प्रयास कर सकते है। पिछले दिनों उनके नवासे का निकाह था ,और जाजम पर हर दल के बल मौजूद थे । कांग्रेस भाजपा और कई कार्यकर्ताओ के साथ कई सामाजिक हस्तियो ने शिरकत की थी। पठान साहब शादी के फोटो जमकर वायरल कर रहे है। संदेश साफ है कि अभी भी उम्मीद से है। भले चुनावी दौर खत्म हो गया हो राजनीतिक शोर बाकी है। अब ये देखना बड़ा दिलचस्प हो गया कि पठान साहब की नीति का ये शोर कितनी जोर से बजता है।

You might also like