गुस्ताखी माफ़: दयालू घबराए, चिन्टू फारम में आए…राजनीति से घर घाट हो गया…

दयालू घबराए, चिन्टू फारम में आए…

चिन्टू भिया इन दिनों पूरी तरह फुलफारम में आ गए है और उन्हें यह भी भरोसा हो गया है कि अब वे ही केवल दादा दयालु को तीरथ पर भेज सकते है। पता नहीं यह उनका विश्वास है या मुगालता। उनके आसपास से जो सूचनाएं आ रही है उसके अनुसार वे केवल 6 से 7 महीने ही नगर निगम में प्रतिपक्ष नेता रह पाएंगे, क्योकि विधानसभा उनका जीतना तय है। हालत यह है कि दादा दयालु को जमानत के रोने भी हो सकते है। उनकी इसी तेज रफ्तार राजनीति के चलते दादा दयालु ने अभी से मैदान पकड़ लिया है। दिन में सोना भी बंद कर दिया है और वे अपनी तैयारी में जुट गए है। चिन्टू बाबू का कहना है कि 75 हजार की लीड अब नगर निगम चुनाव में 31 हजार रह गई है और वह भी 4 महीने में खत्म हो जाएगी। यह बात भी सच है कि चिन्टू चौकसे और राजा छत्रसाल को तमाम कोशिश के बाद भी वार्डो में दादा दयालु के दिग्गज हरा नहीं पाए है। यानी हलुआ बन चुके दादा दयालु को वे इस बार घर छोड़कर आने वाले हैं। उनकी लीला वे ही जानें, पर कांग्रेस के ही बड़े जानकार जो नब्ज पर हाथ रखते हैं, उनका कहना है कि क्षेत्र क्रमांक दो से इस बार चिंटू चौकसी की उम्मीदवारी नहीं होगी। अभी उन्हें नगर निगम का ही एक दौर और पूरा करना होगा। क्षेत्र क्रमांक दो में उन्हीं के समाज की अर्चना जायसवाल उम्मीदवार होंगी। अर्चना जायसवाल पूर्व में महापौर का चुनाव भी लड़ चुकी हैं।

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राजनीति से घर घाट हो गया…

दोधारी तलवार पर मंजे हुए राजनेता की तरह राजनीति करने वाले एक नेता के घर में ही अब इस कदर राजनीति शुरू हो गई है कि जहां बेटी ने चुनाव लड़ने को लेकर अपना ऐलान कर दिया है तो दूसरी ओर अब बेटा भी इसी जगह से अपनी दावेदारी ठोक रहा है। बेटा-बेटी के विवाद में घर ही राजनीति का अखाड़ा हो गया है। इसमें शिकायतों का दौर भी एक-दूसरे को लेकर प्रारंभ हो गया है। इधर, पिता अब खुद भी अन्य क्षेत्र से उम्मीदवारी को लेकर अपने समीकरण तैयार करने लगे हैं। इसके चलते जहां चुनाव को चार-छह महीने ही बचे हैं, कहीं ऐसा न हो कि आपसी खींचतान के बीच दही की हांडी कोई और लेकर चला जाए।

सोशल मीडिया से…

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