IMC INDORE: हंगामें, राजनीतिक छींटाकशी और अमर्यादित शब्दों की भेंट चढ़ा पहला सम्मेलन

नए सदस्यों को बोलने से रोका, सांसद-विधायक बीच में ही निकल गए

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इन्दौर। नगर निगम का पहला परिषद सम्मेलन कल भारी हंगामें के बीच सम्पन्न हो गया। विपक्ष ने जहां कई मुद्दों पर सत्ता पक्ष को घेरा वहीं पार्षदों के सवालों के जवाब में एमआईसी सदस्य कई बार संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। शहर में बेकलाईन और गंदगी के सवाल पर स्वास्थ्य समिति प्रभारी कई बार घिर गए। इसी तरह भ्रष्टाचार, अधिकारियों की लापरवाही और अन्य मुद्दों के साथ राजनीतिक छींटाकसी भी खूब हुई। सांसद विधायक भी सम्मेलन में पहुंचे थे, लेकिन लंच के बाद यहां मौजूद नहीं रहे। 26 प्रस्ताव पर बहस के साथ मंजूरी दी गई। नए सदस्यों को सभापति ने बोलने से भी रोक दिया। IMC INDORE

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शहर विकास के लिए शहर की सरकार अर्थात नगर निगम काम करती है। केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ भी नगर निगम द्वारा ही क्रियान्वित किया जाता है। 7 हजार करोड़ से अधिक की बजट वाली नगर निगम में कल पहला परिषद सम्मेलन सम्पन्न हो गया। ब्रिलियंट कन्वेंशन सेन्टर में हुए इस सम्मेलन में पहले की भांति ही हंगामा, राजनीति छींटाकसी, हंसी-ठिठौली और अमर्यादित शब्दों का प्रदर्शन किया गया।

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जनता ने जिन नेताओं को अपना प्रतिनिधि बनाकर नगर निगम भेजा, उन्होंने अमूल्य समय यूं ही बर्बाद कर दिया। प्रश्नकाल मे एक-दूसरे पर उंगली उठाना, सही जवाब न देना जैसे नजारें देखने को मिले। सभापति मुन्नालाल यादव ने सभी को बोलने का मौका दिया। हालांकि कुछ नए पार्षद नहीं बोल पाए। वहीं महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने शहर विकास और नई योजनाओं के बारे में विस्तृत तरीके से बताया। नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने भ्रष्टाचार, विकास कार्यों में देरी जैसे मुद्दों पर कई बार सवाल उठाए। सम्मेलन में विधायक मालिनी गौड़, रमेश मेंदोला भी शामिल हुए, लेकिन लंच के बाद दोनों ही विधायक सदन में नहीं दिखे। वहीं सांसद शंकर लालवानी भी देरी से सम्मेलन में पहुंचे और कुछ मिनट में ही निकल गए। IMC INDORE

पहली बार के पार्षदों ने कहा- हम सीखने के हिसाब से आए थे

इस पहले सम्मेलन में जहां अधिकांश पार्षद नए थे अर्थात पहली बार चुनकर आए थे, जिन्हें कुछ नया सीखने का अवसर था वहीं कई अधिकारी भी हाल ही में नगर निगम में नियुक्त हुए है। इन सभी ने शहर के नेताओं की करनी-कथनी को देखा, सुना और अब आगे शहर विकास पर कैसे काम होगा? यह नीति बनाई जाएगी। भाजपा-कांग्रेस के किसी भी पार्षद की प्रस्तुति ऐसी नहीं रही, जिससे लगे कि शहर विकास और जनता के हित के लिए वे राजनीति में है। एमआईसी सदस्यों में भी वह गंभीरता नहीं देखी गई। कई सदस्य ऐसे है जो पांच से छह बार के पार्षद है और लगातार एमआईसी में है, बावजूद उसके उनके शब्द और आरोप-प्रत्यारोप सोचने पर मजबूर करते है।

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