Indore Jail: जेल में सारी सुविधाएँ मौजूद पर कीमत तीन गुना ज्यादा
मनपसंद बैरक एक हजार रुपए तो गुटखा-पाउच भी तीस से पचास रुपए तक
इंदौर indore jail। मुम्बई की एक जेल में बंद विधायक को जेल में मिल रही वीवीआइपी सुविधाओं की खबर ने देशभर के जेलों की सुरक्षा की पोल खोल कर रख दी है। इसके बाद देशभर में यह चर्चा शुरू हो गई है कि जेल में भी कैदियों को सजा की जगह मजा मिल रहा है। इसके बाद दैनिक दोपहर की टीम ने 25 से ज्यादा ऐसे कैदियों से बात की जिन्होंने अपने जीवन के 10 साल से ज्यादा का समय किसी न किसी अपराध के चलते जेल की सजा भुगती है। इनमें से कुछ तो जेल में सीओ तक रह चुके है। नाम न छापने की शर्त पर इन पूर्व कैदियों ने बताया कि जेल में हर सामान बाजार कीमत से तीन गुना ज्यादा में उपलब्ध होता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मंथली मुलाकात पर अपराधी का अपराध व बेग्राउंड देख कर उसकी मुलाकात की कीमत तय की जाती है। साथ ही सामान व सुविधा की कीमत नगद या गिफ्ट्स की एवज में भी ली जाती है। जेल में आने वाले हर कैदी से वसूली की शुरुआत झाड़ू छुड़वाई के नाम से होती है। इसके पैसे उसके द्वारा किए गए अपराध से तय किए जाते है। जिसकी शुरुआत 500 रुपए से शुरू होती है। इसके बाद मनपसंद बैरक लेने के लिए भी 500 से 1000 तक लगते है। अगर मनपसंद बैरक नही मिला तो एक करवट सोने की जगह मिलती है।
इसके बाद जेल में सोने के लिए वैसे तो सरकार द्वारा कंबल व चादर दिए जाते हैं, मगर सोने के लिए जितनी जगह मिलनी चाहिए उतनी बैरक में होती नहीं है। इसलिए अलग से जगह लेना हो तो उसके अलग से सीओ को 500 से हजार रूपए तक देने पड़ते हैं। जेल में दूध, फल-फ्रुट व अंडे भी कैदियों को अलग-अलग दाम पर खरीदने पड़ते है। जैसे अंडा 15 से 20 रूपए का एक व दूध आधा लीटर दूध की थैली 50 से 60 रुपए तक मेें दी जाती है। इसके अलावा किसी भी नशे की सामग्री उसकी मार्केट कीमत से तीन गुना देनी पड़ती है। इसमे लिक्विड नशा बहुत कम दिया जाता है।
जबकि सूखा नाश जैसे चरस, गांजा, भांग पांच गुना तक महंगे रहते हैं। गुटका, पाऊच तीस से पचास रुपए तक अंदर मिल सकता है। यही स्थिति सिगरेट की है। इसके अलावा कुछ ऐसी मेडिकल की दवाई जो इलाज के लिए उपयोग में आती हैं, कैदी उन्हें नशे के रूप में करते है। जैसे नाइट्रावेट, क्लोजटू फोकसिवन के साथ ही सर्दी खांसी के सीरप जैसे कोरेक्स, बेनएड्रिल इन्हें बाजार कीमत से तीन गुना कीमत पर मिलती है। इसके अलावा खाने की सामग्री के पैसे तो कम ही लगते हैं, मगर यह सामग्री कैदी के पास जाते-जाते आधी हो जाती है। जबकि मियादी कैदियों से उनके मनपसंद काम के एवज में ली जाती हैं मोटी रकम। पुराने कैदियों का कहना है कि जेल में हर कैदी को कुछ विशेष तरह की सुविधा मिलती है।
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