चातुर्मास में धन का नहीं धर्म का संग्रह करो-सागरजी
इंदौर। वर्षा काल में सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति अधिक होने से साधु अहिंसा धर्म का पालन, जीवो की रक्षा और श्रुत की आराधना के लिए 4 माह तक एक ही स्थान पर ठहरकर चातुर्मास करते हैं, क्योंकि वर्षा काल में आवागमन से बहुत हिंसा होती है।
यह उद्गार मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज ने समोसरण मंदिर कंचन बाग में अपने 11वें श्रुत आराधना वर्षायोग मंगल कलश स्थापना समारोह के अवसर पर भीड़ भरी धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। आपके साथ मुनिश्री अप्रतिमसागरजी, मुनि श्री सहजसागरजी भी वर्षा योग कर रहे हैं। मुख्य मंगल कलश प्राप्त करने का सौभाग्य डॉक्टर महेंद्र कुमार अनिल कुमार परिवार ने एवं प्रथमानुयोग कलश लेने का सौभाग्य सर्वश्री नरेंद्र कुमार पप्पाजी, आजाद कुमारजी, सुशील पांड्या सुभाष गंगवाल और पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर अंजनी नगर ने प्राप्त किया।
इस अवसर पर पंडित श्रीरतन लालजी शास्त्री, अधिष्ठाता ब्रह्मचारी अनिल भैया, अभय भैया, राजकुमार पाटोदी, अमित कासलीवाल, एम के जैन टी के वेद, डॉक्टर अनुपम जैनअजीत जैन अशोक खासगीवाला, डॉक्टर जैनेंद्र जैन, जैनेस झांझरी, कैलाश वेद, स्वतंत्र सिरमोर, राजेश जैन दद्दू, जयंतीलाल शाह, आदि समाज जन उपस्थित थे। सभा का संचालन हंसमुख गांधी ने किया।