डायवर्शन टैक्स: राऊ क्षेत्र में 10 करोड़ बकाया, कई कंपनियों के दफ्तर सील होंगे

शहर के आसपास बड़ी संख्या में कट रही कालोनियां, बिल्डरों पर अब प्रशासन की टेढ़ी नजर

डायवर्शन टैक्स

इंदौर। डायवर्शन टैक्स diversion tax  वसूली को लेकर जिला प्रशासन की टीम ने कल कई कंपनियों पर कार्रवाई की और दफ्तर सील कर दिए। करोड़ों रुपया बकाया होने पर अगले एक सप्ताह में आधा दर्जन से अधिक कंपनियों के कार्यालय सील होंगे। राऊ क्षेत्र में करीब 10 करोड़ रुपया बकाया है, जबकि मल्हारगंज, सिमरोल, सांवेर, देपालपुर, महू, इंदौर शहर के अन्य तहसीलों में बड़ी राशि बाकी है। सरकार के निर्देश पर डायवर्शन की राशि वसूली में अब सख्ती की जाएगी, जबकि नामांतरण, सीमांकन को लेकर भी बड़ी संख्या में प्रकरण अटके है। कलेक्टर लापरवाही अधिकारियों पर कार्रवाई कर सकते है। शहर के आसपास बड़ी संख्या में कई कालोनियां कट रही है, मगर कालोनाइजरों ने सरकार को टैक्स नहीं चुकाया। अब सख्ती से क्षेत्रीय एसडीएम, तहसीलदार कार्रवाई करेंगे।

हर वित्तीय वर्ष में सरकार जिलों को राजस्व वसूली का लक्ष्य देती है। इंदौर में जमीनों के नामांतरण, बंटाकन व डायवर्शन को लेकर हर दिन बड़े पैमाने पर कलेक्टर कार्यालय में फाइलें चलती है और अधिकारी टैक्स वसूली के लिए कार्रवाई करते मगर जो पैसा सरकार को मिलना चाहिए वह कई बार नहीं मिलता है। डायवर्शन टैक्स की वसूली के लिए कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम प्रतुल सिन्हा ने ग्राम भैंसलाय में डीएचएल इन्फ्राबूल, इंटरनेशनल प्रायवेट लिमिटेड कंपनी पर कार्रवाई की। जमीनों के डायवर्शन में कंपनी पर 48 लाख रुपए बकाया है। डायरेक्टर संतोषकुमार सिंह और संजीव जायसवाल की भूमिका संदिग्ध बताई गई है।

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इसी तरह रंगवासा में भी ट्रायकान पार्क कालोनी की जमीन पर 20 लाख रुपए बकाया होने पर कुकडी की कार्रवाई की गई। श्री सिन्हा ने बताया कि डायवर्शन टैक्स वसूली के लिए अब लगातार सख्ती पूर्वक कार्रवाई की जाटगी। राऊ क्षेत्र में कई कालोनियों के डायवर्शन का पैसा बकाया है। लगभग 10 करोड़ रुपए प्रशासन को यहां लेना है। कंपनियों का रिकार्ड खंगाला जा रहा है और जिम्मेदारों को नोटिस जारी किए जाएंगे। टैक्स नहीं जमा होने पर दफ्तर भी सील कर किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि कई कंपनियों से करोड़ों रुपए लेना है, लेकिन कंपनी के कर्ताधर्ता के अलावा प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल उठते रहते हैं।

सरकार के डायवर्शन खातों में घालमेल, तहसीलदार नहीं करते नामांतरण

हर साल शहर में कालोनाइजरों के यहां डायवर्शन टैक्स को लेकर जिला प्रशासन का बड़ा अभियान चलता है। परन्तु इस मामले में जिला प्रशासन के ही वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि शहर में डायवर्शन टैक्स को लेकर प्रशासन के खातों में ही भारी अनियमितता है। यदि प्रशासन खुद इस मामले की जांच करेगा तो 40 प्रतिशत खाते स्वयं समाप्त हो जाएंगे। बताया जा रहा है कि कालोनाइजर ने जमीन विकसित करने का बाद प्लाट बेच दिए। इस बीच जमीनों का नामांतरण भी तहसीलदारों के यहां नहीं हो पा रहा है। ऐसे में प्लाट होल्डरों से वसूली जाने वाली राशि को लेकर हर बार सूची आ जाती है। दूसरी ओर नए खाते खोलने के साथ पुराने खातों पर भी बकाया बना हुआ है। इसके लिए तहसीलदार खुद भी दोषी है, जब कालोनाइजर प्लाट बेच चुका है तो वह फिर डायवर्शन टैक्स क्यों भरेगा। इसके साथ ही प्लाट होल्डरों की सूची भी दे चुका है। नामांतरण के अभाव में हर बार यह कार्रवाई आधी अधूरी हो पाती है।

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