सुलेमानी चाय: ग्यारह को नौ दो ग्यारह हो सकते हैं वक्फ बोर्ड के नए जंवाई

चंदे के चक्कर मे चकरा रही तुकोगंज कमेटी,असलम की आफत बने मोर्चे के मेम्बर

ग्यारह को नौ दो ग्यारह हो सकते हैं वक्फ बोर्ड के नए जंवाई

गरीब की जोरू गाँव की भाभी वाली कहावत वक्फ बोर्ड के लिए सटीक बैठती है, बोर्ड में प्रदेश का मुखिया चुनने में लगातार अड़चने आ रही है, अध्यक्ष पद की रेस में दूध घी पीकर दौड़ने वाले नए मुतवल्ली सनव्वर पटेल, साथी मेहबूब हुसैन, इनमूलरहमन, की योग्यता पर कोर्ट में याचिका लगाई गई है, मतलब तीनो का निकाह तो हो चुका पर वक्फ बोर्ड को हाथ लगाने की इजाजत अभी नही मिली है, तीनो की योग्यता पर फैसला ग्यारह अक्टूबर को आना है, सवाल यह उठता है कि नियमो को ताक पर रख कर की गई इन नियुक्तियों पर अगर याचिकाकर्ता सही साबित होते है, तो ग्यारह को इनका नौ दो ग्यारह होना तो तय है ही, साथ ही ऐसे जिम्मदारो पर भी कार्रवाही बनती है जो वक्फ बोर्ड को गरीब की जोरु बनाने पर तुले है।

सुलेमानी चाय
सुलेमानी चाय

चंदे के चक्कर मे चकरा रही तुकोगंज कमेटी

इंदौर में वक्फ की बड़ी मिल्कियत में शामिल तुकोगंज कमेटी फिर चंदे को लेकर चक्कर खा रही है , चंदे के चक्कर मे कमेटी ने पहले ही चार इमामों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था , इस बार पांचवे इमाम को भी कमेटी ने बाहर कर दिया है, चंदे को लेकर जिला अध्यक्ष शकील राज से शिकायत की गई है, जिसे उन्होंने वक्फ बोर्ड पहुँचा दिया है, अब तक कमेटी के साथ रहने वाले शकील चंदे के मामले में बोर्ड के साथ है,उन्हें पता है वक्फ बोर्ड कांटो की सेज है ,लोग इल्जाम लगते देर नही करते ,कहि खाया पिया कुछ नही गिलास फोड़ा बारह आना वाला काम न हो जाये ,जांच में अगर कमेटी दोषी होती है तो कमेटी पर करवाही तय है ,,,,

 

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असलम की आफत बने मोर्चे के मेम्बर

अल्पसंख्यक मोर्चा की बारात के सभी बाराती अब दूल्हे के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं, दूल्हे राजा के लिए एक एक बराती को संभालना मुश्किल नजर आ रहा है, फिर फूफाजी की तो बात ही निराली है, 6 महीने में ही जल्दबाजी में गठित की गई कार्यकारिणी जल्द ही कबाड़ होने वाली है, इन सब में मोर्चे के नगर अध्यक्ष की आफत बनी हुई है, और अब वे वह कर रहे हैं जो उन्हें काफी पहले करना था, असलम अब अपनी टीम के साथ भाजपा के वरिष्ठ मुस्लिम नेताओं को साधने में लग गए हैं, लेकिन अब उसका वक्त निकल चुका है, इस पर कहावत फिट बैठती है की अब पछताए होत क्या… जब चिड़िया चुग गई खेत,,

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