Munakka: 15 करोड़ से अधिक का अवैध कारोबार है मुनक्का का
मंजूर ही सभी कंपनियों को हर माह देते हैं 200 क्विंटल भांग

(Munakka) इंदौर। लंबे समय बाद इंदौर के भांग के बड़े अवैध कारोबार पर लगाम लगाने को लेकर जिला प्रशासन ने कल शहर में मुनक्कावटी बनाने वाली 15 इकाइयों को सील करने के बाद इनके लायसेंस निलंबित कर दिए। एक आंकड़े के अनुसार इन सभी 15 इकाइयों को हर महीने 10 क्विंटल भांग लग रही थी, जबकि इनके दस्तावेजों में 10 किलो से ज्यादा भांग की खपत नहीं दिखाई गई। वहीं, यह आयुर्वेदवटी के नाम पर बेची जा रही है। आयुर्वेद का सिद्धांत है कि 6 ग्राम से अधिक वजन वटी का नहीं होना चाहिए।
जिसमें मुख्य कंटेंट भांग अधिकतम 1 ग्राम होगी, जबकि शहर में बनाई जा रही मुनक्का में 6 ग्राम से ज्यादा भांग होने के साथ यह वटी 15 से 20 ग्राम तक बनाई जा रही थी। इन सभी इकाइयों का हर महीने का 2 करोड़ से अधिक का कारोबार अवैध रूप से हो रहा है। महाराष्ट्र में भांग पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद पूरे प्रदेश में इंदौर से ही मुनक्का बनाकर भेजी जा रही है और इस काम में संप्रदाय विशेष के लोग करोड़ों रुपए अवैध रूप से कमा रहे हैं। इसमें मंजूर भांग वाला भी शामिल है, जो अवैध रूप से उत्तरप्रदेश से करोड़ों की भांग बिना किसी हिस्सेदारी के इंदौर तक ला रहा है।
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भांग (Cannabis indica) कारोबार से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि शहर में मुनक्का और भांग के सेवन करने वाले 1 फीसदी भी नहीं हैं। शहर में लगी मुनक्का की इकाइयां पूरे देशभर में भांग की गोलियां मुनक्का के नाम पर बेच रहे हैं। उत्तरप्रदेश में भांग की खेती गाजर-घास की तरह होती है। यहीं से भांग अवैध रूप से मंजूर के परिजन अकेले ही बिना किसी के सूचना दिए लाते रहे हैं। बाद में हाजी होने के बाद उन्होंने यह कामकाज अपने परिजनों को सौंप दिया। अभी भी शहर में करोड़ों रुपए की भांग उत्तरप्रदेश से भंगार के ट्रकों के अलावा अन्य सामानों के साथ आ रही है।
मध्यप्रदेश के लगभग हर जिले में मुनक्कावटी पान की दुकानों पर बिक रही है, जबकि इसके लिए अनुमति की जरूरत होती है। दक्षिण राज्यों के अलावा महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मुनक्का की खपत होती है और यह लगभग हर माह 20 करोड़ रुपए से ज्यादा की आंकी गई है। शहर में ही 1 हजार से अधिक भांग ठिए अवैध रूप से चल रहे हैं, जहां पर गोलियां बनाकर बेची जाती हैं।
