कैसेट पर गानों और भजनों के लिए उन्होंने कई कलाकार दिए…

गुलशन कुमार की पुण्यतिथि पर स्मरण

इंदौर। 12 अगस्त को हमारे देश के कैसेट किंग कहलाने वाले ‘गुलशन कुमारÓ की पुण्यतिथि है। सन् 1956 में जन्मे गुलशन की दिल्ली में कैसेट और रेकार्ड डिस्क की दुकान थी, अच्छा कारोबार था, उन दिनों कैसेट रेकार्डिंग और कैसेट प्लेयर्स की लोकप्रियता चरम पर थी, अधिकांश कैसेट्स विदेशों से आयात की जाती थी, जो बहुत महंगी होती थी, गुलशन कुमार ने हमारे देश की बनी और सस्ती कैसेट्स बनाने का विचार किया और इस काम को मुर्त रूप दिया।

आपने दिल्ली के पास स्थित ‘नोएडाÓ औद्योगिक क्षेत्र में ‘सुपर कैसेट्स इन्डस्ट्रीÓ की स्थापना करके कैसेट्स का निर्माण और विक्रय शुरू किया। आपकी बनाई सस्ती और आसानी से उपलब्ध कैसेट्स ने संगीत के क्षेत्र में एक उछाल सा ला दिया।

हर प्रकार का गीत संगीत देश के शहरों से होता हुआ, ग्रामीण क्षेत्रों में, खेतों, खलिहानों में आसानी से सुना जाने लगा, गुलशन कुमार का ये कैसेट्स का कारोबार लगातार उन्नति करने लगा। कैसेट्स की दुकान चलाने वाले गुलशन ‘टीÓ सीरिज की कैसेट्स कंपनी के मालिक बन गये। कारोबार बढ़ने के बाद उन्होंने अपना काम मुंबई में शिफ्ट कर लिया। यहाँ आकर अपने कारोबार के चलते हुए, फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रख दिया पहली फिल्म बनाई ‘लाल दुपट्टा मलमल काÓ इस फिल्म के गीत सुपरहिट हो गये फिल्म ने भी अच्छा धंधा किया।

इसके बाद उन्होंने ‘आशिकी, जीना तेरी गली में, दिल है के मानता नहींÓ फिल्में बनाई सभी के गीत बहुत लोकप्रिय रहे। गुलशन कुमार साहब बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे आपके द्वारा देश के कई तीर्थ स्थलों पर सेवा कार्य शुरू किये गये।

माता वैष्णो देवी मंदिर के पास श्रद्धालुओं के लिए मुफ्त भोजन करने की व्यवस्था की गई। उनकी बढ़ती लोकप्रियता और कारोबार को देखते हुए उन्हें मुंबई के अंडरवर्ल्ड के लोगों द्वारा धमकियां मिलने लगी और आखिर सन् 1997 में मुंबई में गोली मारकर हत्या कर दी गई। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।

-सुरेश भिटे

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