आधे शहर में चल रहा है बिना मंजूरी उपयोग का खेल

दवा बाजार से लेकर शिवकोठी बाहेती का बंगला पर उड़ रही है नियमों की धज्जियां

इंदौर। शहर में इन दिनों नगर निगम के नियम कानून अपनी सुविधा अनुसार उपयोग में लाए जा रहे हंै। पूरे शहर में बनने वाली हर दूसरा व्यावसायिक भवन नियमों के विपरित बनाया जा रहा है और इनमें कामकाज भी बिना अधिभोग प्रमाण पत्र के शुरू भी हो रहा है। परंतु दूसरी ओर नगर निगम के कई अधिकारी सैकड़ों में एक भवन पर कार्रवाई कर नया अभियान सील करो ढील करो में जुट जाते हैं।
इंदौर शहर के 4 ऐसे बड़े व्यावसायिक भवन पूरी तरह से नियमों के विपरित बनकर बिना पूर्णता प्रमाण पत्र और अधिभोग प्रमाण पत्र के कामकाज कर रहे हैं। कई जगह रजिस्ट्रियां होकर दुकानें भी शुरू हो गई हैं। परंतु नगर निगम केवल शहर की छोटी मछलियों पर ही हाथ साफ कर रहा है। कल ही इस कड़ी में वार्ड क्र. 65 के अंतर्गत एक कार्रवाई कर एक भवन को सील कर चुकी है।

नगर निगम के अधिकारियों ने सिंधु नगर में भवन अनुज्ञा के निपरित निर्माण किए जाने पर पूरे भवन को सील कर दिया है। यहां पर प्रथम तल और द्वितीय तल के निर्माण की अनुमति दी गई थी, पर व्यावसायिक निर्माण हेतु जनरल शाप और शेष भाग को आवासीय उपयोग की अनुमति दी गई थी परंतु यहां एक बड़ी कोचिंग क्लास के चलाए जाने को लेकर भवन में कामकाज चल रहा था।
नगर निगम ने इसे नियमों के विपरित मानते हुए सील कर दिया। दूसरी ओर एमजी रोड पर शिव कोठी में 50 प्रतिशत से ज्यादा अवैध निर्माण होने के साथ यहां पर रजिस्ट्रियां अभी तक हो रही है जबकि नगर निगम की ओर से यहां पर कोई कार्रवाई नहंी की गई। इसके अलावा एबी रोड पर इंडस्ट्री हाउस के पास बड़े उद्योगपति रहे रमेश बाहेती के बंगले को अब कालरा और चुघ बिल्डरों ने व्यावसायिक भवन के रूप में खड़ा कर दिया है।


यहां भी नियमों के विपरित बड़ा कामकाज होने के बाद जिस कम्पनी को यहां पर जगह दी गई वह अपना कामकाज शुरू कर रही है जबकि अधिभोग प्रमाण पत्र नगर निगम से नहीं मिला है। इसके अलावा होटल सूर्या के पास भी खड़े हुए अवैध निर्माण को भी कोई अधिभोग प्रमाण पत्र नहीं मिला है पर इसके बाद भी यहां पर तेजी से काम चल रहा है। योजना क्र. 140 में भी नगर निगम ने इसी प्रकार से एक भवन को सील कर दिया था। भवन मालिक ने निचली अदालत से नगर निगम की कार्रवाई पर स्थगन प्राप्त करने के बाद अपना कामकाज शुरू कर दिया है। अब यह प्रकरण लम्बे समय अदालत में उलझा रहेगा।

नगर निगम के अधिकारी भी इस प्रकार के अवैध निर्माण करने वाले बिल्डरों को यह कह रहे हैं कि अभी नगर निगम आयुक्त के सख्त रवैये और ईमानदारी के कारण राहत की संभावना कम रहेगी। अगले कुछ समय में उनका तबादला होना तय है। इसके बाद जो भी आएगा वह पुरानी परम्पराओं को आगे बढ़ाता रहेगा। इस मामले में शहर के बड़े बिल्डर का कहना है कि पूरा दवा बाजार नगर निगम के सहयोग से ही खड़ा हुआ है।

इस बाजार ने नगर निगम की जमीन पर तल घर बनाकर सैकड़ों दुकानें बेच रखी है। जिस पर नगर निगम तोड़ने के आदेश भी जारी कर चुका है और इस पर बिल्डरों ने उच्च न्यायालय से स्थगन प्राप्त कर रखा है और पिछले 15 वर्षों से ज्यादा समय से नगर निगम ने इस स्थगन को खारिज कराने का कोई प्रयास नहीं किया है। यह बताता है कि नगर निगम में पैसा किस तरह बोलता है।

You might also like