सुलेमानी चाय-क्यों ना दोनों काजियों के नाम चाँद काजी रख दिया जाए?…..रफत वारसी को इंदौर से मिला अलादी…..ज्यादा आजिजी ने बिगाड़ा खजराने का खेल…पाक.. नहीं बची.. खजराना की पाकीजा

क्यों ना दोनों काजियों के नाम चाँद काजी रख दिया जाए?


इंदौर शहर बड़ा है इसीलिए काजी भी दो हो गए, अच्छी बात है , लेकिन क्यों ना दोनों शहर काजियो के नाम अब चांद काजी रख दिए जाएं,? हमारे काजी साहब रमजान, ईद और मोहर्रम के वक्त तो चांद पर बहस करते नजर आते है, पर जब मसला कौम की रहबरी और फिक्रमंदी का हो तब साहब गायब हो जाते है, इसमें कोई शक नहीं कि दोनों बहुत जहीन है, लेकिन ये भी सच है कि इन्हें कौम से कोई लेना देना नहीं, इसका सबूत उन्होंने दूसरे लॉकडाउन में प्रशासन द्वारा एक कार्यक्रम में दे डाला था, जिसमे पहले काजी साहब ने दूसरे के साथ बैठने से इन्कार कर दिया था, मौजूदा हालात में उम्मत के लिए एक सस्ता अस्पताल और एक ऐसा स्कूल जिसमें गरीब तबके के बच्चे भी कम खर्च मे पढ़ाई कर सके, जो कि हमारे कल के लिए हमारे आज की सबसे बड़ी फिक्र है, दूसरे काजी साहब ने एक स्कूल खोला है मगर वह सिर्फ अमीरों के लिए है, अगर दोनों काजी मिलकर इस फिक्र पर गौर कर ले तो दोनो बड़े मसले आसान हो जायेगे और हम इंसानियत के लिए अपने ऐसे अस्पताल के दरवाजे खोलेंगे जिसमे कम से कम हर माँ, बहनो का इलाज महिला डॉक्टर ही करेगी, जिसके लिये हमें फिक्रमन्द रहबर चाहिए चाँद काजी नही।
रफत वारसी को इंदौर से मिला अलादीन


भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष का रफत वारसी को शेख असलम की शक्ल में इंदौर के लिए एक बेहतरीन अलादीन मिल चुका है, जो कि अपनी कार में छोटे-मोटे जिन जिन्नातो को लेकर हमेशा घूमते रहते है, जो कि कम ही लोगो को नजर आते है, अल्पसंख्यक मोर्चा नगर अध्यक्ष के लिए गौरव रणदिवे ने सिंगल नाम पर मुहर लगा दी है, अगर संगठन में सब ठीक रहा तो असलम जल्द ही मोर्चे में नगर अध्यक्ष पद लेकर आ सकते है, इसी के साथ पद की घोषणा को लेकर हुई लेटलतीफी से सुस्त पड़ी मोर्चा की टीम को असलम महंगे से महंगा ग्लूकोस चढ़ा कर फिर से नई जान डालने का माद्दा भी रखते है।
दुमछल्ला
ज्यादा आजिजी ने बिगाड़ा खजराने का खेल
पिछले दिनों जिला प्रशासन ने कोरोना की सभी गाइडलाइन लगभग समाप्त कर दी थी, लेकिन फिर भी हमारे खजराने की नेता अपनी नेतागिरी से कहां बाज जाने वाले थे, और अनजाने ही सही इनकी नेतागिरी ने खजराने के व्यापारियों का नुकसान करा डाला, कोरोना काल को छोड़ दें तो हमेशा रमजान में खजराना रात भर आबाद रहता था, इस बार भी यही होना था, लेकिन सभी नेताओ को इसका ताज अपने माथे लेना था, सो सभी थाने आवेदन निवेदन करने पहुंच गए, नेताजी इस पर कहा रुकने वाले थे, आवेदन की फोटू सोशल मीडिया पर इस क़दर वायरल की गई कि प्रशासन की नजरों में आ गए और अब 12 बजे ही थाने से बंद की सिटी बजना शुरू हो जाती है, सो, बना बनाया काम बिगड़ बैठे, कहते है ना रोजे माफ करने गए थे नमाज़ भी गले बांध लाय।
पाक.. नहीं बची.. खजराना की पाकीजा
खजराना में गोयल परिवार ने अपने साथियों के साथ मिलकर पाकीजा लाइफ स्टाइल ओर ग्रीन विव के जरिये शोहरत के साथ अच्छा खासा पैसा भी बना लिया, लेकिन बाहर से शफ्फाक, दिखने वाली पाकीजा के अंदर के लोग खासे परेशान है, ओर कर्ता धर्ताओं पर करोड़ो का इल्जाम लगा रहे है, लोगों का कहना है कि प्लाट लेते वक्त मेंटेनेंस के नाम पर हर प्लाट पर 5 प्रतिशत गार्डन फेसिंग ओर कार्नर से 8 प्रतिशत आजीवन शुल्क वसूला गया जो कि बहुत ज्यादा था, लेकिन आजीवन होने से सभी ने दे दिया, ये रकम करोड़ो में होने के साथ ही बरकाती फाउंडेशन में जमा की गई। लोगो का कहना है कि अब गोयल की टीम मेंटनेंस की आजीवन वाली बात से मुकर रही है। इतना भारी भरकम मेंटेनेंस सिर्फ 2025, तक ही मान्य कर रही है ओर तो ओर बरकाती फाउंडेशन से पैसा भी निकाल लिया गया है ओर इसी रकम के साथ कई नेताओं का मान सम्मान भी किया गया है, जिससे पाकीज़ा के पाक रहने पर कई सवाल उठ रहे है।
-9977862299

You might also like