गुस्ताखी माफ़-यूं ही कोई पत्थर नहीं मारता…कांग्रेसी तड़के के साथ भाजपाई दाल फ्राई हुई…मध्यप्रदेश कांग्रेस में आप की झाड़ू लगेगी…कांग्रेसी लटे पर नजरें टिकी…

यूं ही कोई पत्थर नहीं मारता…

कल भाजपा की फायर ब्रांड नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भोपाल में एक शराब की दुकान पर पूरे वेग से पत्थर फेंककर यह बता दिया कि वे जिस मुद्दे को लेकर मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है वह भाजपा के चूले हिला सकता है। उमा भारती वे नेता है जो 2003 में अपने आक्रामक तेवर के कारण दिग्विजयसिंह सरकार को घर छोड़कर आ गई थी। इसके बाद उन्होंने नैतिकता और सिद्धांतों के कारण मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया था। चूंकि अब भाजपा में चाल, चरित्र, चेहरा, चिंतन, मंथन सब बदल गए है ऐसे में आयातित नेता शिखर पदों पर विराजित होकर अपनी ताकत का परिचय दे रहे है और भाजपा के स्थापित नेता शराब की दुकानों के बाहर चने भुंगड़े की दुकानें खोलने की स्थिति में आ रहे है तो किसी को तो आवाज उठानी ही होगी। उमा भारती को पिछले कई वर्षों से सत्ता और संगठन में कोई काम नहीं दिया गया है। उत्तर प्रदेश के चुनाव में भी पांचवें चरण में केवल उनके प्रभाव वाले बुंदेलखंड में ही उनके फोटो योगी की जगह लगे देखे गए थे। चूंकि इन दिनों योगी भी उत्तरप्रदेश में उसी प्रकार की राजनीति कर रहे है जिस प्रकार की उमा भारती मध्यप्रदेश में किया करती थी। भाजपा के 19 साल की मध्यप्रदेश की सत्ता के बाद भी उमा भारती का पत्थर उठाना कोई छोटी बात नहीं है। पर जिस मुद्दे पर उन्होंने पत्थर उठाया है वह महिलाओं से जुड़ा मामला है। अब यदि कुछ और भी पत्थर उठाने वाले जुड़ते गए तो इस मामले में पत्थर झेलने वाले नहीं मिल पाएंगे। जो भी हो उमा भारती की समर्पण राजनीति का सम्मान तो होना चाहिए।

कांग्रेसी तड़के के साथ भाजपाई दाल फ्राई हुई…

बाईस माह की प्रसव-पीड़ा के बाद अंतत: भाजपा की नगर इकाई ने जन्म ले ही लिया। आश्चर्य की बात यह है कि बाईस माह पहले भी यदि यह कार्यकारिणी आ जाती तो भी कोई बहुत ज्यादा असर नहीं दिखाई देता। उम्रदराज नेताओं को दरकिनार करने की परंपरा के बीच नई कार्यकारिणी में भी साठ और पैंसठ साल के नेता अपनी जगह बनाने में सफल हो गए हैं, यानी ताकतवर नेताओं के कारण नियमों को शिथिल कर दिया गया है। नई कार्यकारिणी में मल्हारगंज क्षेत्र के नेता अशोक चौहान चांदू भी जगह बना चुके हैं। उन्हें यह सम्मान तीन नंबर में काम करने और एक नंबर में उंगली करने के कारण मिला है। इधर पेलवान के कई समर्थक जो कांग्रेस में बड़े नेता कहलाते थे, वे इकाई में कार्यकारिणी में ही जगह पा सके हैं। क्षेत्र क्रमांक तीन से दो ही लोग जगह बना पाए और दोनों ही पुराने कांग्रेसी रहे हैं। भाजपा की संगठन प्रधान पार्टी में कार्यकर्ता सर्वोपरि का मूल मंत्र देने वाली पार्टी में अब कांग्रेसी अपनी जमीन बना रहे हैं तो वहीं भाजपा का जो कार्यकर्ता पहले कार्यकर्ता था, वह अभी भी कार्यकर्ता ही बना रहेगा। भाजपा के ही नेता कह रहे हैं नगर कार्यकारिणी ठीक वैसी ही है, जैसे पूरा पहाड़ खोदकर चुहिया निकाल लाए हों।

मध्यप्रदेश कांग्रेस में आप की झाड़ू लगेगी…

पंजाब में आप पार्टी की सरकार बनने के बाद आप पार्टी के कार्यकर्ता धीरे-धीरे अपनी जमीन तैयार करने में जुट गए हैं। इस मामले में आप पार्टी के एक नेता का कहना है कि बड़े नेताओं का मानना है कि कांग्रेस का कोई घनी-घोरी बचा नहीं है और सबसे आसान शिकार कांग्रेस की सरकारें ही हो सकती हैं, क्योंकि नेताओं की पार्टी रह गई है, कार्यकर्ता समाप्त हो गए हैं, इसलिए जहां-जहां कांग्रेस की सरकारें हैं, वहां आप पार्टी के बड़े नेता अगले चुनाव के पहले चुनिंदा सीटों पर अपनी तैयारी शुरू करने जा रहे हैं। खासकर, उन सीटों पर, जहां पर कांग्रेस दो या तीन बार लगातार जीतती रही है। बात में दम तो है, क्योंकि कांग्रेस के नेता इन दिनों ट्विटर नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। जमीन पर तो वे चुनाव के दो महीने पहले ही दिखाई देंगे।

कांग्रेसी लटे पर नजरें टिकी… उड़ती-उड़ती खबरें आ रही हैं कि विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस के कुछ पुराने चावल भाजपा में लाने के लिए कवायद शुरू हो गई है। घर बैठे और नाराज कई कांग्रेसी नेता इन दिनों भाजपा के निशाने पर हैं, खासकर क्षेत्र क्रमांक तीन और क्षेत्र क्रमांक पांच में डोरे डाले गए हैं। अब देखना होगा कि डोरे और कांटे में हिलग कर कौन-कौन आता है।

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