गुस्ताखी माफ़- सजन भिया की पिंगे इन दिनों दिग्गी के यहां… दांव-पेंचों में उलझ गए अब पटवारी…

सजन भिया की पिंगे इन दिनों दिग्गी के यहां…
राजनीति में कोई किसी का दोस्त नहीं रहता तो वहीं कोई किसी का दुश्मन भी नहीं होता है। कांग्रेस में इसी परंमपरा से कई नेता अपनी निष्ठाए अपने लिए बदलते रहते है। स्थिति यहां तक रहती है कि कई बार नेता आवेश में शब्दों में भूसा भरकर सामने वाले को गंदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते है। फिर जब रिश्ते ठीक होते हैं तो फिर हालात सामान्य करने में जुट जाते है। कुछ ऐसा ही मामला इन दिनों दिखाई दे रहा है। बताने वाले बता रहे है कि कांग्रेस के पूर्व मंत्री और कमलनाथ के सबसे करीबी रहे सज्जन वर्मा इन दिनों दिग्विजय सिंह यानी दिग्गी राजा के यहां पींगे बढ़ा रहे है। उनका अब मिलना जुलना भी होने लगा है। इधर कमलनाथ के यहां से उनकी दूरी अब ज्यादा बनने लगी है। बताया जा रहा है अब उनका वो रूतबा कमलनाथ नहीं रहा जो हुआ करता था। क्या करें राजनीति तो करनी है। दूसरी और कमलनाथ के ही दूसरे करीबी बता रहे है कि कमलनाथ के भाजपा में जाने को लेकर उन्होंने कभी नहीं कहा था सारा रायता सज्जन वर्मा के बयान से फैल गया था जिसमें उन्होंने भाजपा में जाने की बात कहीं थी। इसी के कारण कमलनाथ भी अविश्वास के दायरे में आ गए थे। भिया ने तो अपनी डीपी भी बदलकर भाजपामय कर दी थी, वह तो आर.के. स्टूडियो ने आखिरी समय पर रायता फैला दिया वरना भिया अभी रेवती रेंज पर 51 लाख पौधे लगाने वालों में शामिल रहते। अब नए समीकरण में आने वाले समय में उन्हें क्या लाभ दिलाएंगे यह तो समय बताएगा पर जो दिग्गी राजा को करीब से जानते है उनका कहना है कि वे कभी भूलते नहीं है।
दांव-पेंचों में उलझ गए अब पटवारी…
अत: जीतू पटवारी और मध्यप्रदेश के प्रभारी भंवर पर आरोप लगाने वाले व्यापारिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अजय चोरडिय़ा को कांग्रेस से 6 साल के लिए निस्कासित कर दिया पर उनके लगाए गए आरोपो के बारे में कोई सवाल नहीं उठाए गए है, इधर दिल्ली में अब जीतू पटवारी की नई कांग्रेस कमेटी उलझ गई है। यानी आने वाले समय में जीतू पटवारी कांग्रेस की कमान अकेले ही संभालेंगे। जैसा की वे पिछले 7 महीने से संभाल रहे थे। कांग्रेस के इतिहास में जीतू पटवारी का यह कार्यकाल हमेशा याद रखा जाएगा। क्योंकि उनके कार्यकाल में मध्यप्रदेश में पूरी तरह कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने का रिकार्ड भी कायम हो गया है। इधर जीतू पटवारी की कार्य प्रणाली से अब कांग्रेस का कोई भला होने का आसार इसलिए भी समाप्त हो गए है कि एक भी बड़ा नेता इस समय जीतू पटवारी का साथ खड़ा नहीं है। दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, अजय सिंह, अरुण यादव, पहले से ही कांग्रेस संगठन से दूरी बना चुके है। दिल्ली के सूत्र बता रहे हैं कि एक बार फिर कांग्रेस दिग्विजयसिंह पर ही भरोसा करने की तैयारी कर रही है। यानी अब अगला चुनाव दिग्विजयसिंह के नेतृत्व में लड़ा जाना तय दिखाई दे रहा है। दूसरी ओर इंदौर नगर कांग्रेस अध्यक्ष सूूरजीत ने कैलाश विजयवर्गीय के भाजपा कार्यालय में आने के मामले में पूरा ठिकरा पटवारी पर फोड़ दिया है। इसका वीडियो भी दिल्ली पहुंचा है, वहीं जय हार्डिया और लोकसभा के दावेदार मोतीसिंह पटेल की बातचीत का ऑडियो भी दिल्ली चला गया है। बाकी फाइलें लेकर और जीतू पटवारी के भाजपाई रिश्तों की जानकारी का मामला लेकर अजय चौरडिया भी दिल्ली जा रहे हैं।
झगड़ा होर्डिंग का नहीं मलाई का…
इंदौर नगर निगम में होर्डिंग लगाए जाने के मामले में अब नए-नए विवाद सामने आने लगे है। शहर में होर्डिंग लगाए जाने का काम कोनसी समिति देखेगी इसे लेकर पिछली एमआईसी में भी खीचतान देखी गई थी। विवाद यह भी उठ रहा है कि होर्डिंग के अनुमति गलत तरीके से दी जा रही है। होर्डिंग का मामला दो समितियों के बीच उलझा हुआ है इस मामले में निरंजन सिंह चौहान गुड्डू और राकेश जैन के बीच इसे लेकर दावेदारी की जा रही है। चिंता दोनों ही समितियों में इस बात को लेकर नहीं है कि होर्डिंग कैसे लगाए चिंता इसे लेकर हो रही है कि होर्डिंग लगाने की मलाई आखिर किधर जा रही है। देखने होगा कि यह मामला कहां जाकर ठहरता है। जो भी हो समय कम है और मलाई का मामला अब हाथ से न निकले इसे लेकर भी यह लड़ाई जारी रहेगी।
कांग्रेसियों को शिकंजी, भाजपाइयों को छांछ भी नसीब नहीं…
इन दिनों भाजपा में बड़े पैमाने पर यह चर्चा शुरू हो गई है कि जिस प्रकार से रामनिवास रावत को कांग्रेसी रहते हुए मंत्री बनाकर उपकृत किया गया उससे अब यह तय हो गया है कि कांग्रेसी ही अब आने वाले समय में भाजपा का चरित्र तय करेंगे। इधर अब कांग्रेसी भी भाजपा की शिकंजी लूूटने को लेकर अपनी तैयारियांं दिल्ली में शुरू कर चुके हैं। दूसरी ओर भाजपा के कई दरी उठाने वाले नेता अब केवल छांछ भी मिल जाए तो उन्हें बड़ी उपलब्धि माना जाएगा। ऐसा लग रहा है कि कई भाजपा दिग्गजों का समय आने वाले समय में चौराहों और दुकानों पर बैठकर ही बीतेगा। जब भी कोई कांग्रेसी भाजपा में आएगा कहारों को डोली उठाने के लिए बुलाया जाएगा।