देश की पहली फिल्म बनाने वाले पितामह के रूप में प्रसिद्ध हुए

16 फरवरी को 'दादा साहब फाल्केÓ की पुण्यतिथि पर स्मरण

इंदौर। 16 फरवरी को एक ऐसे बहुमुखी प्रतिभा के धनी फिल्मकार की पुण्यतिथि है जिन्हे भारतीय फिल्मों का पितामह कहा जाता है, ये है ‘दादा साहेब फालकेÓ। आपका जन्म सन् 1870 में महाराष्ट्र के नासिक के पास स्थित प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग स्थल ‘त्रिम्बकेश्वरÓ में हुआ था, आपका पूरा नाम था, धुण्डीराज गोविंद फालके, उनके पिताजी धर्म शास्त्री थे जो मुंबई के विलसन कॉलेज में शिक्षक थे।
दादा साहेब ने ‘जे जे स्कूल ऑफ आर्टÓ और ‘कला भवन बडौदाÓ से रंगकर्म की शिक्षा प्राप्त की, उन्हें फोटोग्राफी का बहुत शौक था वो इस विधा में नये नये प्रयोग करते रहते थे, साथ ही रंगमंच पर होने वाले नाटकों के लिए मंच सज्जा का काम करते थे उल्लेखनीय है कि उस समय नाटक ही सबसे बड़ा मनोरंजन का साधन था।
दादा साहेब को सन् 1903 में सरकारी नौकरी लग गयी लेकिन उस समय चल रहे स्वदेशी आंदोलन से प्रेरित होकर उन्होंने ये नौकरी छोड़ दी। इसके बाद वे प्रिटिंग व्यवसाय और स्टूडियो कारोबार में भी अपने हाथ आजमाते रहे। इसके बाद एक मित्र की सहायता से ‘लंदनÓ से फिल्म निर्माण के लिये लगने वाली आवश्यक सामग्री खरीद लाये, अपनी फिल्म की कहानी के लिये उन्होंने ‘राजा हरिश्चंद्रÓ के जीवन चरित्र को फिल्माने का निश्चय किया, अपनी पत्नी के गहने गिरवी रख कर पैसे उधार लिये, इस तरह फिल्म के लिये पुंजी की व्यवस्था की गयी, अब समस्या थी कलाकारों की, इसके लिये अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित किये गये लेकिन स्त्री पात्र के लिये एक भी लडकी या महिला नहीं मिल पायी यहाँ तक कि बम्बई की रेड लाईट इलाके की कोई महिला फिल्म में काम करने के लिए राजी नहीं हुई, क्योंकि उस समय फिल्म और फिल्मों में काम करने वालों को अच्छा नहीं समझा जाता था, तब एक होटल के पुरूष वेटर ‘साळुंकेÓ को स्त्री पात्र ‘तारामतीÓ की भूमिका दी गई। इस तरह हमारे देश की पहली फिल्म की नायिका की भुमिका एक पुरूष ने निभाई। इसके बाद वे कई मूक फिल्मों का निर्माण करते रहे।
सन् 1945 में भारतीय फिल्मों के इस महान फिल्मकार का स्वर्गवास हो गया, सन् 1969 में भारत सरकार ने उनके सन्मान में फिल्मों के लिए सबसे बड़ा पुरस्कार ‘दादा साहेब फालकेÓ की शुरूआत की ये पुरस्कार भारतीय फिल्मों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले फिल्मकारो को दिया जाता है।
दादा साहेब फालके को विनम्र श्रद्धांजलि।
-सुरेश भिटे

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.