कंडक्टरी का भूत उतरा तो एक्टरी का सिर चढ़ गया
16 दिसंबर को लक्ष्मीकांत बेर्डे की पुण्यतिथि पर
इंदौर। 16 दिसम्बर को हिन्दी- मराठी फिल्मों के हास्य अभिनेता की पुण्यतिथि है जो अपने सहज और स्वाभाविक अभिनय से दर्शको को हंसने के मजबूर कर देता था, परन्तु फिल्मों में उसका आगमन ऐसे समय हुआ जब हीरो ने स्वयं ही कॉमेडी करना शुरू कर दिया था, ये है ‘लक्ष्मीकांत बेर्डेÓ। ये ऐसे अभिनेता है जिन्होंने हिन्दी की कुछ ही फिल्मों में काम किया लेकिन मराठी फिल्मों के शिर्ष अभिनेताओ में उनका नाम शामिल है, अपने दर्शको मे वो ‘लक्ष्याÓ के नाम से पुकारे जाते रहे हैं।
आपका जन्म सन् 1954 में हुआ था, प्रारंभिक शिक्षा महाराष्ट्र के ‘खेर वाडीÓ के युनियन स्कूल से पुरी होने के बाद ‘भवन्स महाविद्यालयÓ से बी ए की डिग्री प्राप्त की, आपको बचपन से ही अभिनय का शौक था लेकिन वो बचपन से ही ‘बस कन्डक्टरÓ बनना चाहते थे क्योंकि उनकी नजर में बस कन्डक्टर जो पैसे यात्रियों से वसुल करता है वो रकम लेकर अपने घर चला जाता है इस तरह बस कन्डक्टर बहुत पैसे कमाता है, बड़े होने पर असलियत मालुम होने पर बस कन्डक्टरी का भुत उतरा
इसके बाद सन् 1985 में निर्देशक- महेश कोठारे की फिल्म ‘धुम धडाकाÓ ने उन्हें स्टार बना दिया, इसके बाद वो सफलता की सीढ़ियों पर बढ़ते चले गए।
दे दणादण, अशी ही बनवा बनवी, थरथराट, आम्ही दोघं राजा राणी, पछाडलेला, जैसी फिल्में लगातार आती रही, लक्ष्मीकांत की लोकप्रियता बढ़ती चली गयी।
अफ़सोस कि सन् 2004 के 16 दिसम्बर को उनका स्वर्गवास हो गया, उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
-सुरेश भिटे