‘लता मंगेशकर’ के जन्मदिवस पर विशेष…

इंदौर में जन्मी लताजी आज भी सिरमोर है गायिकी के लिए

इंदौर। आज ‘भारत कोकिलाÓ, ‘भारत रत्नÓ देश-विदेशों के करोड़ों लोगों के दिलों पर अपनी आवाज़ के जादु से राज करने वाली- लता मंगेशकर जी का 92वां जन्म दिवस है।
आपका जन्म आज ही के दिन सन् 1929 में हमारे अपने शहर-इन्दौर के सिख मोहल्ला में हुआ था, आपके जन्म के एक वर्ष बाद उनके पिताजी अपने परिवार सहित- कोल्हापुर चले गये, आपके पिताजी शास्त्रीय संगीत के बडे गायक और रंगमंच के अभिनेता थे, नन्ही बालिका लता अपने पिताजी के रियाज के समय उनके साथ बैठकर उनका गाना सुनते हुए गाने की कोशिश करती थी, बहुत छोटी आयु में लताजी ने अपने पिताजी से ज़िद करके अपने बजाने के लिए- तानपुरा ले लिया इस तरह उनके पहले संगीत गुरू उनके पिताजी रहे।
अभी वो छोटी आयु की थी कि उनके पिताजी का स्वर्गवास हो गया, परिवार मे सबसे बड़ी होने के कारण परिवार की जवाबदारी लताजी पर आ गयी बाकी सभी बहनें और भाई बहुत छोटे थे, पिताजी के फिल्म इन्डस्ट्री के सम्बन्धो के कारण काम मिलने लगा, उनका पहला गीत एक मराठी फिल्म में आया, हिन्दी में उनको पहला गीत गाने का अवसर मिला मिला सन् 1946 में ‘आपकी सेवा मेंÓ फिल्म में, गीत के बोल थे ‘पांव लागु कर जोरी रेÓ। सन् 1947 में उन्होंने तीन फिल्मों के गीत गाये।
सन् 1948-49 लता जी के कैरियर के सबसे महत्वपूर्ण वर्ष रहे इस दौर में उनको फिल्म -महल, बड़ी बहन, अंदाज और बरसात में गाने के अवसर मिले, – महल का गीत ‘आयेगा आने वाला, आयेगा -Ó इतना लोकप्रिय हुआ कि रेडियो प्रसारण केन्द्र पर लोगों के टेलीफोन आने शुरू हो गये कि गीत गाने वाली कौन है, उल्लेखनीय है कि उस समय गीतों के ग्रामोफोन रेकार्ड पर फिल्म के गायक कलाकार के नाम पर फिल्म के पात्र का नाम लिखा जाता था, महल के इस गीत के लिये लोग जानना चाहते थे की ये कामिनी कौन है क्योंकि रेकार्ड पर यही लिखा था जो की फिल्म की नायिका- मधुबाला के चरित्र का नाम था लता जी को इस बात की जानकारी मिलने पर उन्होंने इस के लिये आवाज़ उठाई की गीतों के रेकार्ड पर गाने वाले गायक कलाकार के नाम होना चाहिये उनकी पहल रंग लायी जैसा वो चाहती थी वैसा होने लगा।
राजकपूर साहब की फिल्म ‘बरसातÓ की नामावली में लताजी का नाम पहली बार परदे पर आया।
लताजी ने कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया है ये फिल्में है- मराठी की – पहीली मंगळागौर (1942); चिमुकला संसार (1943); माझे बाळ (1943); गजाभाऊ (1944); हिन्दी में -बड़ी माँ (1945) आदि सन् 1952 की ‘छत्रपति शिवाजीÓ के एक दृश्य में भी लताजी दिखाई देती हैं।
लताजी फिल्म निर्माता भी रही हैं उन्होंने सन् 1953 में वादक (मराठी); सन् 1953 में झांझर (सह निर्माता – सी रामचंद्र) सन् 1955 में कंचन (हिन्दी); सन् 1990 में लेकिन का निर्माण किया है।
लताजी ने अपने कैरियर में हजारों गीत गाये है उन्होंने सर्वाधिक गीत संगीतकार – लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जी के साथ लगभग 700 गाये है, इसके अलावा – शंकर जयकिशन जी के साथ – लगभग 450, राहुल देव बर्मन के साथ लगभग 325, सी रामचंद्र और कल्याणजी-आनंदजी के साथ 300, मदन मोहन और सचिन देव बर्मन के साथ लगभग 200 गीत गाये हैं।
भारत सरकार द्वारा उन्हें सन् 1969 में – पद्म भूषण, सन- 1990 में – दादा साहब फाल्के अवार्ड, सन् 2001 में – भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया।
लताजी को उनके जन्मदिवस पर बहुत बहुत शुभकामनायें, ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वे हमेशा स्वस्थ रहे, दिर्घायु रहे।
-सुरेश भिटे

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